Edited By Parveen Kumar,Updated: 06 Dec, 2024 09:58 PM
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम ने दुनिया की पहली कार्बन-14 डायमंड बैटरी बनाई है, जो कई हज़ार सालों तक कम मात्रा में बिजली देने की क्षमता रखती है। यह बैटरी कार्बन-14 का उपयोग करती है, जो एक रेडियोधर्मी तत्व है।
नेशनल डेस्क : ब्रिटेन के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम ने दुनिया की पहली कार्बन-14 डायमंड बैटरी बनाई है, जो कई हज़ार सालों तक कम मात्रा में बिजली देने की क्षमता रखती है। यह बैटरी कार्बन-14 का उपयोग करती है, जो एक रेडियोधर्मी तत्व है। जब कार्बन-14 टूटता है, तो यह इलेक्ट्रॉन छोड़ता है, जिन्हें डायमंड की संरचना द्वारा कैप्चर किया जाता है और इससे वोल्टेज उत्पन्न होता है। इस तकनीक का काम सौर बैटरी की तरह है, लेकिन इसमें सूर्य की रोशनी की बजाय रेडियोधर्मी तत्व के इलेक्ट्रॉनों से बिजली बनाई जाती है।
कार्बन-14 का आधा जीवन 5,700 साल होता है, इसलिए यह बैटरी बहुत लंबी उम्र तक काम कर सकती है, और कभी-कभी इसे बदलने की ज़रूरत भी नहीं होती। यह बैटरी खासकर उन उपकरणों के लिए उपयोगी हो सकती है, जिनमें बैटरी बदलना मुश्किल या असंभव हो, जैसे पेसमेकर। इससे मरीजों को बार-बार बैटरी बदलने के लिए अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा।
यूके एटॉमिक एनर्जी अथॉरिटी और ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस बैटरी को सफलतापूर्वक तैयार किया है। सारा क्लार्क, जो UKAEA की ट्रिटियम फ्यूल साइकिल की निदेशक हैं, ने कहा कि यह डायमंड बैटरी एक सुरक्षित और टिकाऊ तरीका है, जो माइक्रोवॉट स्तर की बिजली निरंतर प्रदान कर सकती है।