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केजरीवाल के राहुल पर पलटवार में छिपे हैं कई संदेश

Edited By Rahul Singh,Updated: 14 Jan, 2025 01:19 PM

there are many hidden messages in kejriwal retort to rahul gandhi

अरविन्द केजरीवाल के सोशल मीडिया (X) पर एक पोस्ट ने राहुल गांधी की बनी-बनाई फिजां का गुड़-गोबड़ कर डाला। राहुल गांधी ने सीलमपुर की अपनी पहली रैली में अरविन्द केजरीवाल पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी-केजरीवाल में फर्क नहीं है।

नई दिल्ली। अरविन्द केजरीवाल के सोशल मीडिया (X) पर एक पोस्ट ने राहुल गांधी की बनी-बनाई फिजां का गुड़-गोबड़ कर डाला। राहुल गांधी ने सीलमपुर की अपनी पहली रैली में अरविन्द केजरीवाल पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी-केजरीवाल में फर्क नहीं है। झूठा भी बताया। मगर, जवाब में केजरीवाल ने कहा कि उन्हें राहुल गांधी पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है। वे कांग्रेस बचाने निकले हैं और केजरीवाल देश बचाने।
केजरीवाल ने साफ तौर पर संदेश दिया कि जो जिम्मेदारी इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी को मिली थी वो उसे भूल चुके हैं। लिहाजा अब देश बचाने की जिम्मेदारी खुद उन पर आ गयी है। यह भी संकेत था कि राहुल गांधी दिल्ली की स्थानीय राजनीति में आ रहे हैं और अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की स्थानीय राजनीति में विजयी पताका लहराते हुए देश में आम आदमी पार्टी का झंडा बुलंद करने जा रहे हैं।

भ्रष्टाचार से लड़ाई में खुद कहां खड़ी है कांग्रेस?
अरविन्द केजरीवाल ने खामोश रहकर मानो राहुल गांधी से पलट कर सवाल पूछा है कि भ्रष्टाचार मिटाने का काम दिल्ली से अर्ध राज्य क्या कर सकता है? आम आदमी पार्टी तो छोटी पार्टी है। संसद में उसकी आवाज़ कम है। वहीं कांग्रेस के पास सौ सांसद हैं। कई राज्यों में सत्ता है। फिर भ्रष्टाचार खत्म करने की बात राहुल गांधी कांग्रेस से क्यों नहीं पूछते, खुद से क्यों नहीं पूछते? यह कहने की जरूरत नहीं कि कांग्रेस का रिकॉर्ड भ्रष्टाचार को लेकर बहुत खराब रहा है। 

राहुल गांधी ने दिल्ली में बीजेपी और आरएसएस पर राजनीतिक हमला तो बोला, लेकिन मोदी और केजरीवाल को एक तराजू पर तौलने की सियासी गलती कर बैठे। सियासत में मोदी और केजरीवाल की तुलना नहीं हो सकती। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने जिस तरीके से अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम को बीते समय में परेशान किया है उसकी सानी नहीं है। बीजेपी से लड़ाई लड़ने का काम जितना आम आदमी पार्टी ने किया है उतना कोई दल दावा नहीं कर सकता। ऐसे में मोदी-केजरीवाल की तुलना करते हुए दोनों पर एक साथ निशाना साधने का अर्थ है कि हमला बेकार। कहीं पर भी निशाना लगने वाला नहीं है।

दिल्ली की जनता के लिए कुछ क्यों नहीं बोले राहुल?
दिल्ली की जनता के लिए कहने को राहुल गांधी के पास कुछ नहीं था। वो चाहते तो दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में किए गये काम को सराह सकते थे। फ्री बिजली, फ्री पानी जैसी सोच की तारीफ कर सकते थे। जो कमियां रह गयी हैं आम आदमी पार्टी की सरकार में उस पर भी राहुल गांधी बोल सकते थे। राहुल गांधी इन विषयों से बचे रह गये। झुग्गी-झोपड़ी वालों के लिए संघर्ष कर रही आम आदमी पार्टी का भी वे उल्लेख कर सकते थे। चलिए, चुनाव लड़ रहे हैं तो आम आदमी पार्टी की तारीफ कैसे करें, इस दुविधा या धर्मसंकट को समझा जा सकता है। लेकिन, इन विषयों का उल्लेख कर बीजेपी की सरकार पर भी तो हमला कर सकते थे? लेकिन, राहुल ने ऐसा नहीं करके सियासी रूप में दिखा दिया कि अरविन्द केजरीवाल को हराने के लिए कांग्रेस किसके साथ खड़ी है।

कानून व्यवस्था पर चुप क्यों रह गये राहुल?
दिल्ली में कानून-व्यवस्था के जो हालात हैं उस पर क्यों खामोश रह गये राहुल गांधी? एलजी जिस तरीके से चुनी हुई सरकार के कामकाज में बाधा डाल रहे हैं उस पर क्यों नहीं कुछ राहुलं गांधी ने कहा? ऐसे बहुतेरे सवाल हैं जो यह बताते हैं कि राहुल गांधी को पता ही नहीं कि दिल्ली के मुद्दे क्या हैं और राजनीतिक हमले की प्राथमिकता क्या है? दिल्ली से उसका हक छीना गया। दिल्ली के अधिकार कम किए गये। संविधान में संशोधन किया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदला गया। क्या कभी राहुल गांधी ने दिल्ली की जनता के लिए कुछ बोला? ये वो बातें हैं जो केजरीवाल ने ट्वीट में नहीं बोलकर भी चीख-चीख कर बोला। राहुल गांधी को जवाब नहीं देकर केजरीवाल ने यह संदेश देने की कोशिश की कि दिल्ली के चुनाव में कांग्रेस या राहुल गांधी के लिए कुछ बोलकर वह अपनी लड़ाई की धारा को बदलना नहीं चाहते। यही अपेक्षा राहुल गांधी और कांग्रेस से भी थी कि उन्हें आम आदमी पार्टी या अरविन्द केजरीवाल पर हमले करके राजनीतिक रूप से वक्त नहीं गंवाना चाहिए।

क्यों सहयोगी भाग रहे हैं दूर?
राहुल गांधी को यह भी सोचना चाहिए था कि क्यों उनके साथी-सहयोगी उनकी सियासत से दूर हो रहे हैं। आम आदमी पार्टी क्यों टीएमसी, एसपी, शिवसेना उद्धव और दूसरे दलों की पसंद बन रही है जो खुद कांग्रेस के लीडरशिप में रहे? इसका उत्तर यह है कि ये दल देख रहे हैं कि बीजेपी सरकार और मोदी-शाह के अत्याचारों से लड़ाई लड़ने का काम और जनता के लिए रक्षा कवच बनने का काम आम आदमी पार्टी कर रही है। टीम केजरीवाल के कई सदस्य इसके लिए जेल गये। मंत्री या मुख्यमंत्री रहते हुए जेल गये। राहुल गांधी ने जो राह चुनी है वो खुद उनको कमजोर करेगी। आम आदमी पार्टी का उससे कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। इसी भाव में अरविन्द केजरीवाल ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में राहुल गांधी को बख्श दिया। उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा।

केजरीवाल की चुप्पी से कांग्रेस में खलबली
राहुल गांधी पर पलटवार नहीं करके अरविन्द केजरीवाल ने कांग्रेस से सहानुभूति रखने वालों में भी सेंध लगाई है। कांग्रेस के भीतर इस विषय पर घमासान मचा हुआ है कि पार्टी बीजेपी को हराने की प्राथमिकता क्यों छोड़ रही है और क्यों नहीं आम आदमी पार्टी का साथ दे रही है। केजरीवाल उम्मीद कर रहे हैं कि कांग्रेस में उठ रही ऐसी आवाज का साथ उन्हें मिले। यही वजह है कि दो पंक्तियों के ट्वीट में राजनीति के छात्रों के लिए सीखने को बहुत कुछ है। इसमें संदेश है, संकेत, अहतियात है, आक्रमण भी है। क्या राहुल गांधी और उनकी टीम कभी यह समझ पाएगी कि उन्होंने कितना बड़ा ब्लडंर कर दिया है? 

रंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
 

Disclaimer : यह लेखक के अपने निजी विचार हैं।

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