आटे की कीमतों में दिखी बेतहाशा वृद्धि... महंगाई का खतरा, जानिए क्या है ताजा भाव

Edited By Mahima,Updated: 25 Dec, 2024 09:13 AM

there is a tremendous increase in the prices of flour  threat of inflation

भारत में गेहूं के आटे की कीमतों में 15 साल बाद सबसे तेज बढ़ोतरी हुई है, जिससे खाद्य महंगाई और FMCG कंपनियों की लागत पर असर पड़ा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इसका सीधा असर दिख रहा है। सरकार और कंपनियां इसे नियंत्रित करने के प्रयास में हैं, लेकिन...

नेशनल डेस्क: भारत में गेहूं के आटे की कीमतों में हाल ही में हुई अभूतपूर्व वृद्धि ने उपभोक्ताओं और घरेलू बजट पर भारी असर डाला है। दिसंबर 2023 तक, गेहूं के आटे की कीमतें 40 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, जो जनवरी 2009 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। इस वृद्धि का असर केवल ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी इसके दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। आटे की कीमतों में इस तेजी के कारण खाद्य महंगाई की समस्या गंभीर हो गई है और इससे FMCG (फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स) कंपनियों की उत्पादन लागत भी बढ़ी है, जो कीमतों में और बढ़ोतरी का कारण बन सकती है।

आटे की बढ़ती कीमतों के कारण
गेहूं के आटे की कीमतों में इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण है गेहूं की कम पैदावार, जिसके कारण गेहूं की उपलब्धता में कमी आई है। इसके अलावा, वैश्विक खाद्य संकट, मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां और भारत में गेहूं के भंडार में कमी ने आटे की कीमतों को बढ़ाने में योगदान किया है। इसके साथ ही, सरकारी भंडार में गेहूं की कमी और निर्यात बढ़ने के कारण आटे के दाम में वृद्धि हुई है। 

ग्रामीण इलाकों पर अधिक असर
कंट्रोल रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में FMCG (फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स) सेक्टर की वृद्धि पिछले साल की तुलना में काफी धीमी हो गई है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि ग्रामीण भारत में FMCG सेक्टर की वृद्धि दर सिर्फ 4 प्रतिशत रही, जो पिछले साल 6 प्रतिशत थी। इसके कारण ग्रामीण परिवारों की मासिक खर्चों में भारी वृद्धि हुई है। विशेष रूप से गेहूं का आटा ग्रामीणों के खर्च का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और आटे की बढ़ी हुई कीमतों ने उनकी आर्थिक स्थिति को दबाव में डाल दिया है। 

आटे की कीमतों का शहरी इलाकों पर असर
शहरी इलाकों में भी इस बढ़ोतरी का प्रभाव देखा जा रहा है। यहां पर FMCG उत्पादों की कीमतें 11.1 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं, जो पिछले 15 महीनों में सबसे अधिक है। शहरी क्षेत्रों में प्रति घर औसत खर्च भी पिछले दो वर्षों में 13 प्रतिशत बढ़ा है। खाद्य महंगाई का असर न केवल सामान्य उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है, बल्कि यह कंपनियों के लिए भी एक चुनौती बन गई है। कई FMCG कंपनियों ने इस बढ़ोतरी के कारण अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाने का संकेत दिया है, जिससे उपभोक्ताओं को महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ सकता है।

FMCG कंपनियां क्यों परेशान हैं?
FMCG कंपनियों के लिए आटे की कीमतों में वृद्धि केवल एक पहलू नहीं है, बल्कि इससे जुड़े अन्य कच्चे माल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। खाद्य उत्पादों के अलावा, अन्य वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि देखी गई है, जिससे कंपनियों के उत्पादन खर्च में भारी बढ़ोतरी हुई है। कंपनियों के सामने यह चुनौती है कि वे अपने उत्पादों की कीमतों को कैसे संभालें और उपभोक्ताओं पर बढ़े हुए खर्च का बोझ किस तरह से कम करें। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, तो FMCG कंपनियों के लिए अपने उत्पादों की कीमतों में वृद्धि करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता। इससे आम उपभोक्ता के लिए महंगाई और भी बढ़ सकती है, जो पहले से ही खाद्य महंगाई से जूझ रहे हैं।

आगे की स्थिति और संभावनाएं
विशेषज्ञों का अनुमान है कि गेहूं की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि किसानों द्वारा कम गेहूं का उत्पादन और सरकार के पास कम स्टॉक मौजूद है। अगर आने वाले समय में गेहूं की आपूर्ति नहीं बढ़ती है, तो आटे की कीमतों में और इजाफा हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, घरेलू बजट पर दबाव बढ़ सकता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। FMCG कंपनियों का भी मानना है कि आने वाले महीनों में कच्चे माल की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है, जो उनके उत्पादों की कीमतों को प्रभावित कर सकती है। इस स्थिति में, कंपनियों को लागत बढ़ाने और उत्पादन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है।

सरकार और कंपनियों के कदम
सरकार और FMCG कंपनियां इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठा रही हैं। सरकार गेहूं के स्टॉक को बढ़ाने के प्रयासों में लगी हुई है और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए समर्थन मूल्य में इजाफा करने की योजना बना सकती है। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में गेहूं की बिक्री पर नियंत्रण लगाने और भंडारण में सुधार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं FMCG कंपनियां भी अपने उत्पादन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने और लागत नियंत्रण करने के उपायों पर काम कर रही हैं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, खाद्य महंगाई और उत्पादन लागत में वृद्धि की समस्या को नियंत्रित करना आसान नहीं होगा। भारत में गेहूं के आटे की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि ने पूरे देश में महंगाई को और बढ़ा दिया है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक, हर जगह इसके असर से FMCG कंपनियां और उपभोक्ता परेशान हैं। सरकार और कंपनियां इसे नियंत्रित करने के प्रयास कर रही हैं, लेकिन गेहूं की कम आपूर्ति और बढ़ती लागत के कारण महंगाई का दबाव बनी रह सकती है। आने वाले महीनों में अगर गेहूं के दाम और बढ़े, तो इससे खाद्य महंगाई और उपभोक्ताओं के खर्च पर और असर पड़ सकता है।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!