भारत का एक ऐसा गांव जहां बच्चे-बूढ़े सभी सिर्फ संस्कृत बोलते हैं, जानिए कब से चल रहा ये सिलसिला ?

Edited By Utsav Singh,Updated: 04 Sep, 2024 09:21 PM

there is a village in india where everyone young and old speaks only sanskrit

भारत का एक ऐसा अनोखा गांव है, जो अपनी संस्कृत भाषा के प्रति समर्पण और प्रेम से देश भर में एक मिसाल बन गया है। इस गांव के हर नागरिक ने संस्कृत भाषा को अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना लिया है। गांव के निवासी, चाहे वे किसी भी धर्म या पेशे से...

नेशनल डेस्क : भारत का एक ऐसा अनोखा गांव है, जो अपनी संस्कृत भाषा के प्रति समर्पण और प्रेम से देश भर में एक मिसाल बन गया है। इस गांव के हर नागरिक ने संस्कृत भाषा को अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना लिया है। गांव के निवासी, चाहे वे किसी भी धर्म या पेशे से हों, एक-दूसरे से केवल संस्कृत में ही बात करते हैं। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी इस प्राचीन भाषा का प्रयोग करते हैं। यहां तक कि स्थानीय दुकानदार, शिक्षक, और किसान भी संस्कृत में संवाद करते हैं, जिससे इस भाषा को जीवित रखने का उनका समर्पण और प्रेम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

दीवारों पर लिखे है संस्कृत में श्लोक
गांव की दीवारों पर संस्कृत के श्लोक, उद्धरण और संदेश लिखे गए हैं, जो यहां के निवासियों के संस्कृत भाषा के प्रति गहरे प्रेम और सम्मान को दर्शाते हैं। ये श्लोक न केवल भाषा की सुंदरता को उजागर करते हैं, बल्कि आने वाले पीढ़ियों को भी इसके महत्व से अवगत कराते हैं। गांव का यह अनोखा प्रयास देशभर के लिए प्रेरणादायक है, जो दिखाता है कि भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों की समृद्ध विरासत को कैसे सहेजा और आगे बढ़ाया जा सकता है। यह गांव उन सभी के लिए एक उदाहरण है, जो अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए प्रयासरत हैं।

झिरी गांव मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित है
दरअसल  यह गांव मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित झिरी गांव, अपने संस्कृत प्रेम के कारण देश भर में एक विशेष पहचान बना चुका है। जहां आसपास के गांव अपनी स्थानीय बोलियों में संवाद करते हैं, वहीं झिरी गांव ने संस्कृत को अपनी मातृभाषा के रूप में अपनाया है। इस गांव की कहानी वर्ष 2002 से शुरू होती है, जब विमला तिवारी ने संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया। उनके अथक प्रयासों और समर्पण से धीरे-धीरे गांव के लोग संस्कृत सीखने लगे। विमला तिवारी ने संस्कृत को न केवल भाषा के रूप में, बल्कि जीवन के हर पहलू में इस्तेमाल करने की पहल की, जिससे यह गांव संस्कृत में संवाद करने वाला एक अनूठा समुदाय बन गया।

विमला तिवारी ने फैलाया जागरुकता
वर्ष 2002 से संस्कृत सीखने का यह सिलसिला जारी रहा, और आज स्थिति यह है कि झिरी गांव के हर व्यक्ति, बच्चे, युवा, और बुजुर्ग सभी संस्कृत में ही बात करते हैं। विमला तिवारी के इस अनोखे प्रयास से गांव में एक नई सांस्कृतिक जागरूकता आई है, जो देशभर में संस्कृत भाषा को जीवित रखने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। झिरी गांव की यह अनोखी पहल दिखाती है कि कैसे एक छोटे से गांव ने मिलकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का कार्य किया है। इस प्रयास ने न केवल गांव को एक पहचान दिलाई है, बल्कि पूरे भारत में संस्कृत के प्रति जागरूकता और प्रेम को भी बढ़ावा दिया है। झिरी गांव का यह समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो भाषा और संस्कृति के महत्व को समझने और उसे संरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल देता है।

मंदिरों और चौपालों में भी संस्कृत सिखाई जाती है
झिरी गांव में न केवल स्कूलों में बल्कि मंदिरों और चौपालों में भी संस्कृत सिखाई जाती है। गांव के नौजवान बच्चों को संस्कृत पढ़ाने का जिम्मा लेते हैं और यहां तक कि विवाह समारोहों में भी संस्कृत गीत गाए जाते हैं। इससे संस्कृत यहां के सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई है। मत्तूर गांव, जो कर्नाटक में स्थित है, कन्नड़ भाषी क्षेत्र के बीच होने के बावजूद संस्कृत को अपने संवाद की भाषा के रूप में अपनाए हुए है। यहां के लोग अपनी दिनचर्या में संस्कृत का प्रयोग करते हैं, जिससे यह गांव भी संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। मत्तूर में संस्कृत का प्रयोग केवल बातचीत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह यहां के धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का भी एक प्रमुख हिस्सा है।

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!