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भूकंप का टाइम बम! हिमालय के नीचे छिपा है 'महाविनाश', करोड़ों भारतीय खतरे में

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 16 Apr, 2025 11:03 AM

there is an earthquake  time bomb  under the himalayas

28 मार्च 2025 को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने एशिया के कई देशों को हिला कर रख दिया। इस भयानक आपदा में करीब 3 हजार लोगों की जान चली गई और 5 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए।

नेशनल डेस्क: 28 मार्च 2025 को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने एशिया के कई देशों को हिला कर रख दिया। इस भयानक आपदा में करीब 3 हजार लोगों की जान चली गई और 5 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए। इतना ही नहीं, थाईलैंड में भी 17 लोगों की मौत हुई। इस भूकंप ने जो ऊर्जा छोड़ी वह लगभग 300 परमाणु बमों के बराबर थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना हिमालय क्षेत्र में आने वाले संभावित विनाशकारी भूकंप की आहट हो सकती है।

हिमालय के नीचे छिपा है 'टाइम बम'

वैज्ञानिकों की माने तो हिमालय के नीचे एक शक्तिशाली भूकंप का टाइम बम छिपा है, जिसे ग्रेट हिमालयन अर्थक्वेक कहा जाता है। यह भूकंप 8 या उससे अधिक तीव्रता का हो सकता है और इसका प्रभाव पूरे उत्तर भारत पर पड़ सकता है। अमेरिका के प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक रोजर बिलहम ने चेतावनी दी है कि यह कोई कल्पना नहीं बल्कि भविष्य की एक निश्चित आपदा है।

हर सदी 2 मीटर खिसकता है भारत

रोजर बिलहम के अनुसार, भारत हर सदी में तिब्बत की ओर करीब 2 मीटर खिसकता है। लेकिन इसका उत्तरी किनारा आसानी से नहीं खिसकता बल्कि हिमालय के नीचे की परतें सैकड़ों वर्षों तक फंसी रहती हैं। जब ये परतें अचानक टूटती हैं, तो तेज झटकों के साथ भूकंप आता है। यही कारण है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि आने वाला भूकंप अब केवल वक्त का इंतजार कर रहा है।

म्यांमार भूकंप क्या संकेत दे रहा है?

28 मार्च को म्यांमार में जो भूकंप आया, वह "स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट" के कारण था, जिसमें पृथ्वी की प्लेटें क्षैतिज रूप से एक-दूसरे से टकराती हैं। यह भूकंप भले ही सीधे हिमालयन फॉल्ट से जुड़ा न हो, लेकिन यह इस बात का इशारा जरूर करता है कि टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी गतिविधियां भविष्य में बड़े भूकंप की भूमिका बना रही हैं।

इन राज्यों को है सबसे ज्यादा खतरा

भारत का लगभग 59% हिस्सा भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है। खासतौर पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पूर्वोत्तर भारत सबसे ज्यादा खतरनाक फॉल्ट लाइनों पर बसे हैं। इसके अलावा दिल्ली, कोलकाता और मुंबई जैसे बड़े शहर भी इन फॉल्ट जोन में आते हैं।

  • दिल्ली: भूकंप जोन 4 में आता है और दिल्ली-हरिद्वार फॉल्ट पर स्थित है। हाल ही में धौला कुआं में आए 4.0 तीव्रता के भूकंप ने राजधानी को हिला दिया था।

  • गुजरात: 26 जनवरी 2001 को आए 7.7 तीव्रता के भुज भूकंप ने 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली थी। असर 310 किमी दूर अहमदाबाद में भी महसूस हुआ था।

क्यों डरावनी है ग्रेट हिमालयन भूकंप की चेतावनी?

हिमालयी क्षेत्र में पिछले 70 सालों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जबकि धरती के भीतर दबाव लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि ये दबाव जब टूटेगा, तो 8 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है। इसकी चपेट में करोड़ों लोग आ सकते हैं, खासकर वो जो पहाड़ी और भूकंपीय क्षेत्रों में रहते हैं।

क्या भारत तैयार है?

इस समय भारत को सतर्क रहने की जरूरत है। भूकंप की भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती, लेकिन इसके प्रभाव को कम करने के लिए सरकार और आम लोगों को तैयार रहना चाहिए। स्कूल, अस्पताल, सरकारी और निजी इमारतों को भूकंपरोधी बनाना, लोगों को जागरूक करना और इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम को मजबूत करना वक्त की मांग है।

 

 

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