टैक्स विवाद सुलझाने का बढ़ा मौका, सरकार ने 31 जनवरी 2025 तक बढ़ाई डेडलाइन

Edited By Mahima,Updated: 31 Dec, 2024 09:52 AM

there is an increased opportunity to resolve tax disputes

आयकर विभाग ने विवाद से विश्वास योजना की डेडलाइन को 31 जनवरी 2025 तक बढ़ा दिया है। अब टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स विवादों का निपटारा करने के लिए एक और महीना मिल गया है। इस योजना का उद्देश्य टैक्सपेयर्स को कम राशि में विवाद निपटाने का अवसर देना है, जबकि...

नेशनल डेस्क: आज, 31 दिसंबर 2024 को साल का आखिरी दिन है और अगले दिन से नए साल 2025 की शुरुआत होने जा रही है। इस बीच टैक्सपेयर्स के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण खबर आई है। आयकर विभाग ने ऐन मौके पर विवाद से विश्वास योजना (Vivad Se Vishwas Scheme) की डेडलाइन को बढ़ाने का ऐलान किया है। पहले यह योजना 31 दिसंबर तक लागू थी, लेकिन अब इस डेडलाइन को बढ़ाकर 31 जनवरी 2025 कर दिया गया है। इसका मतलब है कि टैक्सपेयर्स को अपने विवादित टैक्स मामलों को हल करने के लिए एक और महीना मिल गया है। इस योजना का उद्देश्य उन टैक्सपेयर्स को राहत देना है, जिनके खिलाफ आयकर विभाग में विवाद चल रहे हैं। इस योजना के तहत टैक्सपेयर्स कम राशि में अपने विवादों को निपटाकर अपने मामले सुलझा सकते हैं। आइए, जानते हैं इस योजना के विस्तार से।

विवाद से विश्वास योजना का उद्देश्य
विवाद से विश्वास योजना का मुख्य उद्देश्य टैक्स विवादों को जल्द सुलझाना और करदाताओं के बीच विश्वास को बढ़ावा देना है। आयकर विभाग ने इसे इस तरह से डिजाइन किया है कि इसमें टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिले और सरकार को लंबित टैक्स विवादों से निपटने में मदद मिल सके। इस योजना का पहला ऐलान भारत सरकार के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे बजट में किया था, और तब से यह योजना टैक्सपेयर्स के लिए काफी उपयोगी साबित हुई है। इस योजना के तहत, अगर किसी टैक्सपेयर्स के खिलाफ आयकर विभाग या अदालतों में टैक्स विवाद लंबित है, तो वह एक निश्चित शुल्क के साथ अपने विवाद को निपटा सकता है। यह स्कीम टैक्सपेयर्स को विवादों को खत्म करने के लिए कम भुगतान की सुविधा देती है। इसके माध्यम से सरकार की कोशिश यह है कि टैक्सपेयर्स के विवादों का समाधान तेजी से हो और लंबित मामलों की संख्या में कमी आए।

डेडलाइन का बढ़ाया जाना
आयकर विभाग ने पहले 31 दिसंबर 2024 तक इस योजना का लाभ उठाने के लिए टैक्सपेयर्स को समय दिया था, लेकिन अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 31 जनवरी 2025 कर दिया है। इसका मतलब है कि जो टैक्सपेयर्स इस योजना का लाभ उठाना चाहते थे, लेकिन किसी कारणवश समय सीमा के भीतर अपनी दावेदारी नहीं कर पाए, उनके पास अब एक और महीना है। यह टैक्सपेयर्स के लिए राहत की बात है क्योंकि अब वे आसानी से अपने विवादित मामलों को कम राशि में निपटा सकते हैं। आयकर विभाग के मुताबिक, यदि टैक्सपेयर्स 31 जनवरी 2025 तक अपने विवादों का निपटारा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें 1 फरवरी 2025 से शुरू होने वाले मामलों में विवादित टैक्स का 110% भुगतान करना होगा। इसका मतलब यह है कि डेडलाइन के बाद मामले का निपटारा महंगा हो सकता है।

इस योजना से कौन कर सकता है लाभ?
विवाद से विश्वास योजना उन टैक्सपेयर्स के लिए है जिनके खिलाफ आयकर विभाग में विवादित मामलों का निपटारा किया जाना है। इसका लाभ उन करदाताओं को मिलेगा जिनके मामले अदालतों में लंबित हैं, जैसे सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय, या आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT)। इस योजना के तहत उन सभी टैक्सपेयर्स को राहत दी जा रही है जो जुलाई 2024 तक किसी न्यायिक मंच पर अपने मामले को लेकर याचिका दायर कर चुके हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के माध्यम से लगभग 2.7 करोड़ टैक्स विवादों का समाधान किया जा सके, जिनकी कुल राशि लगभग 35 लाख करोड़ रुपये होगी। टैक्सपेयर्स इस योजना का फायदा उठाकर अपनी लंबित टैक्स विवादों को कम राशि में निपटा सकते हैं, और इससे सरकार के लिए विवादों को निपटाने में आसानी होगी।

डेडलाइन के बाद क्या होगा?
विवाद से विश्वास योजना का मुख्य उद्देश्य कर विवादों का शीघ्र समाधान करना है। अगर टैक्सपेयर्स 31 जनवरी 2025 तक इस योजना का लाभ नहीं उठाते हैं, तो उन्हें अपने विवादित टैक्स मामलों का निपटारा करने के लिए 110% भुगतान करना होगा। इसका मतलब है कि वे जितनी राशि पहले दे रहे थे, अब उन्हें उसे 10% अधिक राशि के रूप में चुकानी होगी। इस अतिरिक्त भुगतान से यह सुनिश्चित किया जाता है कि टैक्सपेयर्स विवादों का शीघ्र समाधान करें और लंबित मामलों को न बढ़ाएं। यदि कोई टैक्सपेयर योजना का लाभ नहीं उठाता और डेडलाइन के बाद मामले का निपटारा करता है, तो उसे 110% भुगतान करना पड़ेगा, जो निश्चित रूप से अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल सकता है।

फॉर्म की प्रक्रिया
इस योजना के तहत चार प्रकार के फॉर्म जारी किए गए हैं:

- फॉर्म 1: इसमें टैक्सपेयर्स अपनी डिक्लेरेशन और अंडरटेकिंग देंगे।
- फॉर्म 2: यह प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए है, जो आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाएगा।
- फॉर्म 3: इस फॉर्म में आपको अपनी पेमेंट जानकारी देनी होगी।
- फॉर्म 4: इसमें टैक्स एरियर का फुल और फाइनल सेटलमेंट किया जाएगा।

इन फॉर्मों में से फॉर्म 1 और फॉर्म 3 सबसे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन दोनों फॉर्मों के बिना विवाद का समाधान संभव नहीं है। फॉर्म 1 में आपको आयकर से संबंधित हर विवाद का अलग-अलग विवरण देना होगा। फॉर्म 3 में आपको अपनी पेमेंट की जानकारी भरनी होगी, जिसमें आपको अपनी अपील या दावे को वापस लेने के प्रमाण के साथ सबमिट करना होगा। इन फॉर्मों को टैक्सपेयर्स ऑनलाइन भर सकते हैं। ये फॉर्म आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल (www.incometax.gov.in) पर उपलब्ध हैं, जहां से इन्हें आसानी से डाउनलोड और सबमिट किया जा सकता है।

डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स
भारत में टैक्स को दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है: डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स। डायरेक्ट टैक्स में मुख्य रूप से आयकर (Income Tax) आता है, जिसे करदाता अपनी आय के आधार पर सरकार को चुकाते हैं। वहीं, इनडायरेक्ट टैक्स के तहत वस्तु एवं सेवा कर (GST) आता है, जो वस्तु या सेवा की खरीद पर लगता है। विवाद से विश्वास योजना मुख्य रूप से डायरेक्ट टैक्स से जुड़ी है और इसका उद्देश्य आयकर विवादों का शीघ्र समाधान करना है। इस योजना के तहत टैक्सपेयर्स को कम राशि में समाधान मिल सकता है, जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं।

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