यू.के. की कैबिनेट में सिख समुदाय से एक भी मंत्री नहीं, लोगों ने खालिस्तानी उग्रवाद को ठहराया दोषी

Edited By Mahima,Updated: 12 Jul, 2024 09:21 AM

there is not a single minister from the sikh community in the uk cabinet

यू.के. में सिख समुदाय के 11 निर्वाचित सांसदों में से एक को भी कैबिनेट में शामिल न किए जाने को लेकर समुदाय के लोगों ने रोष व्यक्त किया है। सिख समुदाय ने इस नुकसान के लिए खालिस्तानी उग्रवाद को दोषी ठहराया ठहराया है। लोगों ने सिखों को कैबिनेट में स्थान...

नेशनल डेस्क: यू.के. में सिख समुदाय के 11 निर्वाचित सांसदों में से एक को भी कैबिनेट में शामिल न किए जाने को लेकर समुदाय के लोगों ने रोष व्यक्त किया है। सिख समुदाय ने इस नुकसान के लिए खालिस्तानी उग्रवाद को दोषी ठहराया ठहराया है। लोगों ने सिखों को कैबिनेट में स्थान दिए जाने की मांग की है।

कट्टरपंथ को तरजीह नहीं देना चाहती है सरकार
समुदाय के लोगों ने कहा है कि खालिस्तानी गुंडों, कट्टरपंथियों और चरमपंथियों ने वैश्विक स्तर पर सिख समुदाय की छवि को नुकसान पहुंचाया है। कोई भी सरकार हरजीत सज्जन जैसे कट्टर और सांप्रदायिक कट्टरपंथी को नियुक्त करके विवाद नहीं खड़ा करना चाहती, जो राष्ट्रीय हित पर अपने सांप्रदायिक एजेंडे को प्राथमिकता देगा। उन्होंने कहा है कि खालिस्तानियों को सिख समुदाय का नाम खराब करने के लिए उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए।

मंत्रिमंडल में  25 सदस्य
गौरतलब है कि नए प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के मंत्रिमंडल में उनके सहित 25 सदस्य हैं और इसमें 11 महिलाएं हैं। इस कैबिनेट में एंजेला रेनर को डिप्टी पीएम और रेचल रीव्स को देश की पहली महिला चांसलर ऑफ द एक्सचेकर बनाया गया है। नए कैबिनेट में यवेट कूपर को गृह मंत्री, डेविड लैमी को विदेश मंत्री और जॉन हीली को रक्षा मंत्री नियुक्त किया गया है। एक खास बात यह भी है कि इस कैबिनेट के चालीस प्रतिशत सदस्य ऑक्सफोर्ड या कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़े हैं।

भारतीय मूल के लोगों की आबादी 14 लाख
बता दें कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों की आबादी 14 लाख के क़रीब है जो देश की कुल आबादी का केवल 2.3 प्रतिशत है लेकिन ये ब्रिटेन का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है। ये 1950 और 1960 के दशकों में ब्रिटेन के कपड़ों के मिलों में काम करने आये थे। कुछ भारतीय मूल के लोग अफ्रीका से आकर ब्रिटेन में बस गए थे। ब्रितानी समाज के सभी क्षेत्रों में भारत और दक्षिण एशिया से आकर बसे लोग मिल जाएंगे। उद्योग, व्यापार, क्रिकेट और शिक्षा के क्षेत्रों में इन्होंने काफ़ी कामयाबी हासिल की है।

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