जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में जेवरात ही नहीं... युद्ध के अस्त्र, राजाओं के मुकुट, तलवार और भाले भी

Edited By Harman Kaur,Updated: 21 Jul, 2024 03:29 PM

there is not only jewelery in the gem store of jagannath temple

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में केवल सोने- चांदी व कीमती धातुओं के आभूषण ही नहीं, बल्कि राजा-महाराजाओं के युद्ध के अस्त्र व मुकुट भी हैं। भंडार में तलवार, भाला, कवच समेत कई ऐसे सामान हैं, जो स्वयं में इतिहास समेटे हैं। पुरी...

नेशनल डेस्क: ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में केवल सोने- चांदी व कीमती धातुओं के आभूषण ही नहीं, बल्कि राजा-महाराजाओं के युद्ध के अस्त्र व मुकुट भी हैं। भंडार में तलवार, भाला, कवच समेत कई ऐसे सामान हैं, जो स्वयं में इतिहास समेटे हैं। पुरी के गजपति वंश के महाराजा समेत राजा-महाराजा हर वर्ष मंदिर में सोने-चांदी की और आभूषण भक्ति स्वरूप समर्पित करते थे।

राजाओं के मुकुट लाकर भगवान के चरणों में रख देते गजपति महाराजा
गजपति महाराजा जितने राज्यों से युद्ध जीतते थे, उन राजाओं के मुकुट लाकर भगवान के चरणों में रख देते थे, जो रत्न भंडार में हैं। रत्न भंडार जांच समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ रथ ने कहा कि आंतरिक रत्न भंडार में आभूषणों के साथ ही तलवार, भाला, कवच, ढाल, मुकुट समेत कई तरह के युद्ध के सामान भी हैं। कुछ का रंग काला हो गया है। सभी को सील कर अस्थाई भंडार में रखा गया है। रत्न भंडार में मुकुट हैं, लेकिन यह कितने हैं व किस राजा के हैं, उसकी जानकारी नहीं दी। इतिहासकार अनिल धीर ने कहा कि एएसआइ (भारतीय पुरातत्व विभाग) पता कर सकता है कि आभूषण व अस्त्र कितने पुराने हैं। इतिहासकार भी विशेष जानकारी दे सकते हैं। रथ ने मंदिर के भीतर गुप्त खजाने और सुरंग जैसी चर्चाओं के संबंध में बताया कि ऐसा कुछ नहीं।

गंग वंश के राजा अनंत बर्मन ने बनवाया था पुरी का वर्तमान जगन्नाथ मंदिर
पुरी के वर्तमान जगन्नाथ मंदिर को 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंत बर्मन ने बनवाया था। उन्होंने मंदिर में सोने के हाथी, घोड़े व बहुमूल्य रत्न समर्पित किए थे। गंग वंश के दूसरे राजा आनंद भीम देव ने लगभग साढ़े 14 हजार किलो सोना दान में दिया था। कलिंग (वर्तमान में ओडिशा) पर गंग वंश के बाद सूर्यवंशी राजाओं ने शासन ने किया। इन्हें गजपति भी कहते हैं। इसकी स्थापना राजा कपिलेंद्र देव ने की थी। दक्षिण में युद्ध के बाद जब राजा कपिलेंद्र लौटे तो वहां से 716 हाथियों पर लादकर लाया सोना श्री जगन्नाथ मंदिर में दान कर दिया था। तकनीकी जांच के बाद निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। हम सरकार से इसे एसओपी में जोड़ने का अनुरोध करेंगे।  


 

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