Edited By Mahima,Updated: 28 Nov, 2024 09:11 AM
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस जारी है। एकनाथ शिंदे ने खुद को रेस से बाहर कर लिया है, जिससे देवेंद्र फडणवीस का नाम प्रमुख हो गया है। हालांकि, बीजेपी को मराठा समुदाय का समर्थन बनाए रखने की चिंता है। आज दिल्ली में अमित शाह की बैठक के...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के पांच दिन बाद राज्य के अगले मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस गहरा गया है। आज (गुरुवार) दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ महायुति के प्रमुख नेता – बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना के एकनाथ शिंदे और एनसीपी के अजित पवार – अहम बैठक करेंगे। इस बैठक में राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। हालांकि, एकनाथ शिंदे ने खुद को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर कर लिया है, लेकिन फिर भी यह सवाल बना हुआ है कि बीजेपी अपने सहयोगी दलों के बीच से किसे महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाएगी। इस दौरान विभिन्न नेताओं की बैठकें, मुलाकातें और चर्चाएं जारी हैं, ताकि अगले मुख्यमंत्री के चयन में किसी प्रकार की राजनीति या समाजिक संतुलन में कोई विघ्न न आए।
मुख्यमंत्री की दौड़ से एकनाथ शिंदे बाहर
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 132 सीटें मिलीं, जबकि शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं। बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सवाल यह था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस सवाल का हल फिलहाल नहीं निकला था, लेकिन अब एकनाथ शिंदे ने खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर कर लिया है। शिंदे ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता में साफ कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के फैसले का पूरी तरह से समर्थन करेंगे और मुख्यमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है। उनका कहना था कि जो भी निर्णय लिया जाएगा, शिवसेना और उनके गुट की ओर से उस फैसले को पूरी तरह से माना जाएगा। शिंदे का यह बयान उस समय आया जब शिवसेना के कुछ नेताओं ने यह मांग उठाई थी कि चूंकि चुनाव में महायुति (बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी) ने शानदार जीत हासिल की है, इसलिए मुख्यमंत्री पद पर शिंदे का ही हक बनता है। लेकिन शिंदे ने इस बात को नकारते हुए केंद्रीय नेतृत्व का फैसला स्वीकार करने की बात की। इसके साथ ही, फडणवीस का नाम फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख रूप से चर्चा में आ गया है।
बीजेपी को फडणवीस पर मराठा समुदाय का विरोध और चिंता
वहीं, बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए भी यह फैसला आसान नहीं है। देवेंद्र फडणवीस, जो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं, का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे आगे है, लेकिन उनके नाम को लेकर एक बड़ी चिंता यह है कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय का विरोध हो सकता है। फडणवीस गैर-मराठा समुदाय से आते हैं, और राज्य के अंदर मराठा समाज का महत्वपूर्ण वोट बैंक है। बीजेपी को डर है कि अगर फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया, तो मराठा समुदाय का गुस्सा उग्र हो सकता है, जो उनकी चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है। इसी मुद्दे पर बुधवार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े के बीच करीब 40 मिनट तक बैठक हुई थी। इस बैठक में फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने के असर पर चर्चा की गई, खासकर मराठा वोट बैंक की स्थिति को लेकर। यह चर्चा इस दिशा में हुई कि कैसे मराठा समुदाय को संतुष्ट किया जा सकता है, ताकि चुनावी राजनीति में उनका समर्थन बना रहे।
दिल्ली और मुंबई में बैठकों का दौर जारी
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस और विचार-मंथन की स्थिति के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं। दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और बीजेपी नेताओं की बैठकें जारी हैं, तो वहीं मुंबई में भी अहम बैठकें चल रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की। इसके अलावा, मुंबई में भी एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल और गिरीश महाजन ने देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की, जिसमें मंत्रिमंडल विस्तार और मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा की गई। दिल्ली और मुंबई में हो रही इन बैठकों के बीच यह भी चर्चा हो रही है कि राज्य में नए मंत्रीमंडल का गठन कैसे किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, महायुति सरकार में बीजेपी को 20 मंत्री, शिवसेना को 11-12 मंत्री और एनसीपी को 10 मंत्री पद मिल सकते हैं। हालांकि, डिप्टी सीएम के पद को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट फैसला नहीं हो पाया है, और इस मुद्दे पर भी सस्पेंस बना हुआ है।
शिंदे का बयान और बीजेपी का केंद्रीय पर्यवेक्षक
एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री के नाम पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का पूरा समर्थन करने का बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव महायुति के साथ लड़ा गया था और इस दौरान बीजेपी के साथ मिलकर शानदार जीत हासिल की गई है। शिंदे ने यह भी कहा कि वे किसी भी स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के फैसले के खिलाफ नहीं जाएंगे। इस बयान के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि बीजेपी के नेतृत्व में देवेंद्र फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। बीजेपी ने राज्य के केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह को महाराष्ट्र भेजा है। उनका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की प्रक्रिया सटीक और विधिवत तरीके से हो, और किसी प्रकार का राजनीतिक संकट पैदा न हो।
क्या होगा अगला कदम?
अब सबकी निगाहें आज (गुरुवार) की अहम बैठक पर हैं, जिसमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार बैठक करेंगे। इस बैठक में मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जा सकता है। यह देखने वाली बात होगी कि क्या बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में चुनती है या पार्टी किसी नए चेहरे को आगे करती है। हालांकि, शिंदे के बयान और बीजेपी के निर्णय से यह संभावना जताई जा रही है कि फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री बनाने का रास्ता साफ हो सकता है। इसके साथ ही, अब यह भी देखना है कि नई सरकार के गठन के बाद राज्य के राजनीति में किस तरह के बदलाव और विकास की दिशा होगी।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रही इस राजनीतिक हलचल का अब अंत निकट है। एक तरफ बीजेपी और शिवसेना के बीच बैठकों का दौर जारी है, वहीं दूसरी ओर मराठा समुदाय के समर्थन को बनाए रखने के लिए सावधानी बरती जा रही है। हालांकि एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ से खुद को बाहर कर लिया है, फिर भी बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए यह निर्णय लेने में काफी समय लग रहा है। आने वाले दिनों में यह तय होगा कि महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में कौन बैठता है, और राज्य के राजनीति में नया मोड़ कैसे आता है।