Edited By Mahima,Updated: 14 Jan, 2025 10:04 AM
रत्न और आभूषण उद्योग ने बजट 2025 में जीएसटी दर को घटाकर 1% करने की मांग की है। इससे उद्योग और ग्राहकों को राहत मिल सकती है। साथ ही, लैब में बने हीरों पर अलग जीएसटी, स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में सुधार और सोने के आयात पर कस्टम ड्यूटी में कमी की भी अपील...
नेशनल डेस्क: भारत में रत्न और आभूषण उद्योग ने आगामी बजट 2025 में सरकार से जीएसटी दर में कमी करने की मांग की है। मौजूदा 3% जीएसटी दर को घटाकर 1% करने की अपील की जा रही है, ताकि उद्योग पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ कम हो सके और ग्राहकों के लिए आभूषण खरीदना सस्ता हो सके। इस कटौती से न केवल ग्राहकों को राहत मिलेगी, बल्कि इससे पूरे उद्योग को मजबूती मिल सकती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां सोने की बढ़ती कीमतों के कारण ग्राहकों पर आर्थिक दबाव है।
अखिल भारतीय रत्न और आभूषण घरेलू परिषद (GJC) के चेयरमैन राजेश रोकड़े ने इस संबंध में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च जीएसटी दर और सोने की बढ़ती कीमतों से उद्योग और ग्राहकों, खासकर ग्रामीण इलाकों में, भारी असर हो रहा है। उनका कहना है कि अगर सरकार जीएसटी में कमी करती है तो इससे ग्राहकों की खरीदारी क्षमता बढ़ेगी और अनुपालन में भी सुधार होगा, जिससे कारोबार के लिए एक सकारात्मक वातावरण बनेगा।
लैब में बने हीरों पर भी होगी राहत
रत्न और आभूषण परिषद ने इस दौरान सरकार से यह भी अपील की है कि प्राकृतिक हीरों और लैब में बने हीरों पर अलग-अलग जीएसटी दरें लागू की जाएं। वर्तमान में दोनों तरह के हीरों पर समान 3% जीएसटी लगाया जाता है, जो उद्योग के लिए एक चुनौती है। परिषद का कहना है कि लैब में बने हीरे किफायती और टिकाऊ होते हैं, और यदि इन पर कम जीएसटी लगाया जाता है, तो यह उत्पाद ज्यादा लोकप्रिय हो सकते हैं, जिससे ग्राहकों को सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले विकल्प मिलेंगे।
उद्योग को और बढ़ावा देने के लिए मांगी गई समर्पित मंत्रालय की स्थापना
इसके अलावा, GJC ने सरकार से रत्न और आभूषण उद्योग के लिए एक समर्पित मंत्रालय बनाने की मांग की है, ताकि उद्योग के विकास को गति मिल सके और इसके लिए एक केंद्रीय मंत्री की नियुक्ति की जाए। परिषद का मानना है कि एक समर्पित मंत्रालय से उद्योग को एक ठोस दिशा मिलेगी, जो इसके समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में सुधार की जरूरत
GJC ने स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में सुधार की भी आवश्यकता बताई है। मौजूदा स्थिति में कई परिवारों के पास बेकार पड़ा हुआ सोना है, जो अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो देश में सोने के आयात में कमी आ सकती है। परिषद का कहना है कि अगर इस योजना में सुधार किया जाता है तो घरेलू सोने का अधिकतम उपयोग किया जा सकेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी, जिससे भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
सोने के आयात पर कस्टम ड्यूटी में कमी का असर
भारत में सोने की भारी मांग को पूरा करने के लिए इसे आयात किया जाता है। इस पर कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) लगती है, जो पहले 12.5% थी, लेकिन अब भारत सरकार ने इसे घटाकर 10% कर दिया है। इसके अलावा, जुलाई 2024 के बजट में सोने और चांदी की छड़ों पर सीमा शुल्क (Custom Duty) को 15% से घटाकर 6% कर दिया गया है। यह कदम सोने के आयात में मदद करेगा और बाजार में सोने की कीमतों को नियंत्रित करने में सहायक होगा।
नए कदमों से ग्राहकों को सस्ता सोना मिलेगा
यदि सरकार आगामी बजट में इन मांगों पर विचार करती है और जीएसटी में कटौती सहित अन्य सुधारों को लागू करती है, तो इससे ग्राहकों को सस्ता सोना और आभूषण खरीदने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, उद्योग को भी एक नई दिशा मिल सकती है, जिससे रत्न और आभूषण उद्योग को लाभ होगा और यह आर्थिक दृष्टिकोण से भी मजबूत होगा।