Kolkata Rape Case : हॉस्पिटल से नहीं था कोई संबंध, फिर भी घटना स्थल पर मौजूद थे डॉ देबाशीष सोम, पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने किया बड़ा खुलासा

Edited By Utsav Singh,Updated: 27 Aug, 2024 03:36 PM

there was no connection with the hospital yet dr debashish som

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और उसकी हत्या के मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। हाल ही में इस केस में एक नया नाम सामने आया है, जिसको लेकर अस्पताल के पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट अख्तर अली ने गंभीर दावा...

पश्चिम बंगाल : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और उसकी हत्या के मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। हाल ही में इस केस में एक नया नाम सामने आया है, जिसको लेकर अस्पताल के पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट अख्तर अली ने गंभीर दावा किया है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर देबाशीष सोम, जिनका आरजी कर हॉस्पिटल से कोई संबंध नहीं था, को क्राइम सीन पर देखा गया था। अख्तर अली के मुताबिक, डॉक्टर देबाशीष सोम उस अपराध स्थल पर मौजूद थे, जबकि उनकी अस्पताल से कोई औपचारिक जुड़ाव नहीं था। यह दावा मामले की जटिलता को और बढ़ाता है और इस सवाल को जन्म देता है कि डॉक्टर देबाशीष सोम का इस केस से क्या संबंध हो सकता है।

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डॉ देबाशीष जांच एजेंसियों लिए एक महत्वपूर्ण मोड़
डॉक्टर देबाशीष सोम की पहचान और उनकी भूमिका इस केस में अब तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनके नाम का सामने आना जांच एजेंसियों और जनता के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। इस नई जानकारी से मामले की जांच में क्या नया मोड़ आता है, यह देखने वाली बात होगी। वहीं आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट अख्तर अली ने एक गंभीर दावा किया है कि अस्पताल में 31 साल की महिला डॉक्टर की लाश मिलने के बाद क्राइम सीन पर डॉक्टर देबाशीष सोम भी मौजूद थे। अख्तर अली ने यह भी बताया कि डॉक्टर देबाशीष सोम पोस्टमॉर्टम के दौरान भी वहाँ मौजूद थे। इस खुलासे से जांच एजेंसियों के सामने नया विवाद खड़ा हो गया है और इस बात की गहराई से जांच की जा रही है कि डॉक्टर देबाशीष सोम की इस मामले में क्या भूमिका थी और उनका क्राइम सीन पर मौजूद रहना किस संदर्भ में था।

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डॉ देबाशीष का हॉस्पिटल से कोई औपचारिक संबंध नहीं
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट अख्तर अली ने कई अहम खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया कि डॉक्टर देबाशीष सोम वर्तमान में पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड (West Bengal Health Recruitment Board) के सदस्य हैं, लेकिन फिलहाल उनका आरजी कर अस्पताल से कोई औपचारिक संबंध नहीं है। अख्तर अली का कहना है कि देबाशीष सोम पहले आरजी कर अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख (HoD) थे और उनके कार्यकाल के दौरान दवाइयों की खरीद-फरोख्त में धांधली के आरोप लगे थे।

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कैफेटेरिया का मालिक संदीप घोष का सुरक्षाकर्मी था
इसके अलावा, अख्तर अली ने यह भी दावा किया कि अस्पताल के कैफेटेरिया का मालिक चंदन लौह, पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का अतिरिक्त सुरक्षा कर्मी (additional security personnel) था और अस्पताल में भ्रष्टाचार में उसकी संलिप्तता भी रही है। अख्तर अली के इन दावों से यह सवाल उठता है कि क्या देबाशीष सोम और चंदन लौह के कथित रूप से आपसी संबंध और भ्रष्टाचार के आरोप इस केस की जांच को प्रभावित कर सकते हैं। इस खुलासे के बाद, मामले की जांच में नई दिशा देखने को मिल सकती है।

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ट्रेनी डॉक्टर आराम करने के लिए सेमिनार हॉल में गई थी
8-9 अगस्त की रात कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की एक दर्दनाक घटना घटी। अगले दिन सुबह, डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल में पाया गया। शव मिलने से कुछ घंटे पहले, वह अपनी 36 घंटे की शिफ्ट पूरी करने के बाद आराम करने के लिए सेमिनार हॉल में गई थी। डॉक्टर के शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में 16 बाहरी और 9 आंतरिक चोटें पाई गईं, जो उसकी हत्या की क्रूरता को दर्शाती हैं। CCTV फुटेज के विश्लेषण से यह पता चला कि संजय रॉय नामक व्यक्ति 9 अगस्त की सुबह करीब 4:03 बजे अस्पताल की बिल्डिंग में दाखिल हुआ था। फुटेज से यह भी सामने आया कि 8 अगस्त को संजय रॉय ने चेस्ट डिपार्टमेंट का दौरा किया था और कैमरों में पीड़ित डॉक्टर और अन्य लोगों को संदिग्ध रूप से घूरते हुए देखा गया था।

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10 अगस्त संजय रॉय को गिरफ्तार किया
कोलकाता पुलिस ने 10 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के शव मिलने के एक दिन बाद संजय रॉय को गिरफ्तार किया। संजय रॉय की गिरफ्तारी CCTV फुटेज और डॉक्टर के शव के पास मिले एक ब्लूटूथ डिवाइस के आधार पर की गई थी। संजय रॉय, जो 33 साल का है, साल 2019 से नागरिक स्वयंसेवक के रूप में कोलकाता पुलिस के साथ काम कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी ने इस जघन्य अपराध की जांच में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। CCTV फुटेज में रॉय की संदिग्ध गतिविधियों और अन्य साक्ष्यों ने उसे इस मामले का प्रमुख संदिग्ध बना दिया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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