Edited By Rohini,Updated: 02 Jan, 2025 12:04 PM
खगोलीय घटनाओं को लेकर न केवल वैज्ञानिकों बल्कि आम लोगों में भी काफी उत्सुकता होती है। इस साल यानी 2025 में धरती और चंद्रमा की चाल के चलते चार ग्रहण होंगे जिनमें दो चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण होंगे। इन चारों ग्रहणों में से केवल एक ग्रहण भारत से...
नेशनल डेस्क। खगोलीय घटनाओं को लेकर न केवल वैज्ञानिकों बल्कि आम लोगों में भी काफी उत्सुकता होती है। इस साल यानी 2025 में धरती और चंद्रमा की चाल के चलते चार ग्रहण होंगे जिनमें दो चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण होंगे। इन चारों ग्रहणों में से केवल एक ग्रहण भारत से देखा जा सकेगा और वह होगा पूर्ण चंद्रग्रहण।
भारत में 7 साल बाद पूर्ण चंद्रग्रहण
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर के अनुसार इस बार भारत में पूर्ण चंद्रग्रहण देखने का मौका मिलेगा जो लगभग 7 साल बाद आएगा। इससे पहले भारत से पूर्ण चंद्रग्रहण 27 जुलाई 2018 को देखा गया था। इस बार यह विशेष चंद्रग्रहण सितंबर में होगा।
ग्रहणों का क्रम और विवरण
पहला ग्रहण - चंद्रग्रहण (14 मार्च 2025):
: यह ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा लेकिन भारत में यह दृश्यमान नहीं होगा।
: यह ग्रहण यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर और आर्कटिक प्रदेशों में देखा जा सकेगा।
: पूर्ण ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह से विलुप्त नहीं होता उसका रंग तांबयी लाल से नारंगी जैसा दिखाई दे सकता है।
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सूर्यग्रहण (29 मार्च 2025):
: यह ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण होगा।
: यह यूरोप, उत्तरी एशिया, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, अटलांटिक और आर्कटिक क्षेत्रों में देखा जा सकेगा लेकिन भारत में यह दृश्यमान नहीं होगा।
तीसरा ग्रहण - सूर्यग्रहण (21 सितंबर 2025):
: यह सूर्य का आंशिक ग्रहण होगा।
: चूंकि यह ग्रहण रात्रि के समय भारत में होगा इसलिए इसे भारत से नहीं देखा जा सकेगा। यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण, प्रशांत और अटलांटिक महासागर तथा अंटार्कटिका से देखा जा सकेगा।
चतुर्थ ग्रहण - पूर्ण चंद्रग्रहण (7-8 सितंबर 2025):
: यह पूर्ण चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकेगा।
: इस ग्रहण की पूर्णता की अवधि 1 घंटा 11 मिनट होगी और आंशिक ग्रहण 2 घंटे 7 मिनट का होगा।
: ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग गहरा लाल या भूरा दिखाई दे सकता है जो एक बेहद रोमांचक दृश्य होगा।
: यह ग्रहण यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका का पश्चिमी भाग, दक्षिणी अमेरिका का पूर्वी भाग, अटलांटिक, हिंद महासागर और आर्कटिक प्रदेशों में देखा जा सकेगा।
ग्रहण को ज्ञान पर्व के रूप में मनाएं
प्रोफेसर कपूर ने कहा कि ग्रहणों को ज्ञान पर्व के रूप में देखना चाहिए। इनसे किसी भी मनुष्य का कोई अनिष्ट नहीं होता बल्कि यह खगोलीय घटनाएं हमारे ज्ञान और समझ को बढ़ाने का मौका देती हैं।
अंत में बता दें कि इस साल चार ग्रहणों में से एक पूर्ण चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देगा जो सितंबर में होगा। यह एक दुर्लभ और रोमांचक घटना है जिसे लाखों लोग देख सकेंगे। इस ग्रहण को सही तरीके से देखना और इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आनंद लेना चाहिए।