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"वे इंसान नहीं, राक्षस थे": पिता और अंकल को खोने वाली महिला ने बयान किया भयानक मंजर

Edited By Rahul Rana,Updated: 25 Apr, 2025 02:48 PM

they were not humans they were monsters  woman

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में अपने पिता संतोष जगदाले और अंकल कौस्तुभ गणबोटे को खोने वाली आसावारी जगदाले ने इस भयावह घटना को बयान करते हुए कहा कि हमलावर इंसान नहीं बल्कि राक्षस थे। मंगलवार दोपहर को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के...

नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में अपने पिता संतोष जगदाले और अंकल कौस्तुभ गणबोटे को खोने वाली आसावारी जगदाले ने इस भयावह घटना को बयान करते हुए कहा कि हमलावर इंसान नहीं बल्कि राक्षस थे। मंगलवार दोपहर को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में आतंकवादियों की गोलीबारी में कम से कम 26 लोग मारे गए और कई लोग घायल हो गए। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है और दुनिया भर में इसकी निंदा की गई है। आसावारी ने कहा, "वे इंसान नहीं, राक्षस थे।" आसावरी ने ऐसी मुश्किल घड़ी में अद्भुत साहस का परिचय देते हुए घटनास्थल पर और बाद में अस्पताल में न केवल खुद को बल्कि अपनी मां और आंटी (गणबोटे की पत्नी) संगीता को भी संभाला।

आसावारी ने बताया, "हम बैसरन घाटी में मिनी स्विटजरलैंड कहे जाने वाली जगह पर फोटोशूट कर रहे थे, तभी अचानक गोलियों की आवाज आई। हमने कुछ स्थानीय लोगों से पूछा, तो उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग बाघों को भगाने के लिए गोलियां चलाते हैं। लेकिन जैसे ही हमने देखा कि लोग मारे जा रहे थे और कुछ लोग कलमा पढ़ रहे थे, हमें समझ में आ गया कि यह कुछ और था।" आसावारी ने बताया, ‘‘एक आतंकवादी, जो करीब बीस साल का था, उसने मेरे पिता से खड़े होने को कहा। मेरे पिता ने उससे अपील की कि उन्हें नुकसान न पहुंचाए। उसने एकदम ठंडे लहजे में कहा कि वह हमें दिखाएगा कि उन्हें कैसे मारना है। इतना कहकर उसने तीन गोलियां चलाईं, जिनमें से एक मेरे पिता के सिर में लगी, दूसरी कान के आर-पार हो गई और तीसरी उनकी छाती में लगी।"

आसावारी ने बताया कि उनके अंकल कौस्तुभ गणबोटे को सिर के पिछले हिस्से में गोली मारी गई जो उनकी आंख को भेदते हुए निकल गयी। उसने बताया कि कुछ और पुरूषों को भी गोली मारी गयी। आसावरी ने उन भयानक क्षणों का हृदय विदारक ब्यौरा साझा किया जब एक ही सेकेंड में पर्यटकों की खुशी मातम में बदल गई। आसावारी ने कहा, "आतंकवादियों ने लोगों से 'कलमा' पढ़ने को कहा। जो लोग पढ़ सकते थे, उन्होंने पढ़ा और जो नहीं पढ़ सकते थे, उन्होंने नहीं पढ़ा। मेरे पिता ने कहा कि वे जो भी कह रहे हैं, हम करेंगे, लेकिन इसके बावजूद आतंकवादियों ने मेरे पिता और अंकल को मार डाला।"

आसावारी ने बताया कि एक आदमी को गोली तब मारी गई जब वह अपनी पत्नी और बेटे के लिए खाने का सामान लेने गया था जबकि उसकी पत्नी और बेटा फोटोशूट कर रहे थे। आसावरी ने बताया, "लड़के ने आतंकवादियों से उसे और उसकी मां को भी मार डालने के लिए कहा, लेकिन वे यह कहते हुए चले गए कि वे महिलाओं और बच्चों को नहीं मारेंगे। इस तबाही के बीच, मैंने हिम्मत जुटाई और मैं अपनी मां और आंटी के साथ निकलने में कामयाब रही।" उन्होंने बताया, ‘‘ नीचे उतरते समय मेरी मां के पैर में चोट लग गई। एक खच्चर वाले ने हमारी मदद की और हमें दिलासा दिया।

उसने खच्चर पर बिठाकर हमें हमारे ड्राइवर तक पहुंचाया।'' उन्होंने कहा, "मैं अभी तक अपने पिता और अंकल की मौत को स्वीकार नहीं कर पाई हूं। यह पूरा घटनाक्रम भयानक था। आतंकवादियों की क्रूरता से साफ है कि वे इंसान नहीं, राक्षस थे। इंसान इतने निर्दयी नहीं हो सकते।" आसावारी ने सरकार से इन आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और पीड़ितों के परिवारों की मदद करने की अपील की। कौस्तुभ गणबोटे और उनके बचपन के दोस्त संतोष जगदाले मंगलवार को आतंकी हमले में मारे गये। दोनों अपने परिवार के साथ कश्मीर की यात्रा पर आये थे, तभी चार हथियारबंद आतंकवादियों ने उन्हें बैसरन में रोका और उनसे उनका धर्म पूछने के बाद गोली मार दी। 

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