Edited By rajesh kumar,Updated: 12 Sep, 2024 12:58 PM
राजस्थानी लोक संगीत के मशहूर गायक और बाड़मेर बॉयज बैंड के लीड सिंगर मांगे खान का 49 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे और हाल ही में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। उनकी मौत से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।...
नेशनल डेस्क: राजस्थानी लोक संगीत के मशहूर गायक और बाड़मेर बॉयज बैंड के लीड सिंगर मांगे खान का 49 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे और हाल ही में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। उनकी मौत से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं।
संगीत से भरी थी मांगे खान की जिंदगी
मांगे खान ने अपने साथी बैंड सदस्यों सवाई खान और मगदा खान के साथ मिलकर 'बोले तो मिठो लागे', 'अमरानो', 'राणाजी' और 'पीर जलानी' जैसे लोकप्रिय गीत गाए थे। उनकी आवाज़ की खनक और अनूठी शैली ने उन्हें देश-विदेश में प्रसिद्धि दिलाई। उन्होंने डेनमार्क, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और इटली जैसे देशों में अपनी गायकी से लोगों को मंत्रमुग्ध किया था।
मांगे खान की आखिरी बातचीत
अमरास रिकॉर्ड्स के संस्थापक आशुतोष शर्मा ने बताया कि मांगे खान से उनकी आखिरी बातचीत अस्पताल जाते समय हुई थी। खान ने हंसते हुए कहा था, "तबीयत जोरदार है, मिलते हैं ऑपरेशन के बाद।" आशुतोष ने याद किया कि 2010 में राजस्थान के एक गाँव में उनसे पहली मुलाकात हुई थी, जब वे रुकमा बाई का गाना रिकॉर्ड करने पहुंचे थे। उसी समय मांगे खान ने भी अपने गीत रिकॉर्ड करने की इच्छा जताई थी।
संगीत की शुरुआत और सफर
मांगे खान की शुरुआत आशुतोष शर्मा के साथ 'छल्ला छल्ला' और 'पीर जलानी' जैसे गानों से हुई, जिसे बाद में कोक स्टूडियो ने भी प्रस्तुत किया। 2011 में दिल्ली के सिरी फोर्ट में अपने पहले परफॉरमेंस से मांगे खान और बाड़मेर बॉयज ने भारतीय लोक संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। उनके निधन से संगीत प्रेमियों और उनके चाहने वालों को बड़ा झटका लगा है। मांगे खान की आवाज़ और उनकी संगीत शैली हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी। उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता, लेकिन उनका संगीत सदियों तक याद किया जाएगा।