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पहली बार नहीं मची नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़, पहले भी इतनी बार हो चुकी है चूक

Edited By Pardeep,Updated: 17 Feb, 2025 06:12 AM

this is not first time that a stampede has occurred at new delhi railway station

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुए दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस हादसे में 18 लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए हैं। यह घटना कोई नई नहीं है, बल्कि इससे पहले भी इस...

नेशनल डेस्कः नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुए दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस हादसे में 18 लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए हैं। यह घटना कोई नई नहीं है, बल्कि इससे पहले भी इस स्टेशन पर भगदड़ जैसी घटनाएं घट चुकी हैं, जिनमें कई लोगों की जान चली गई थी। 2004, 2010 और 2012 में भी प्लेटफार्म के अचानक बदलाव के कारण भगदड़ मच चुकी है, जिससे यात्रियों की जान पर बन आई थी। 

अतीत में हुए हादसों का इतिहास:

2004: बिहार जाने वाली ट्रेन के प्लेटफार्म को अंतिम समय में बदला गया, जिससे भगदड़ मच गई और पांच महिलाओं की जान चली गई।

2010: पटना जाने वाली ट्रेन के प्लेटफार्म में बदलाव से अचानक अफरातफी मच गई, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई और कई लोग घायल हो गए।

2012: फिर से बिहार जाने वाली ट्रेन के प्लेटफार्म में बदलाव की वजह से एक महिला और एक किशोर की जान गई।

2025: और अब 2025 में भी वही कारण सामने आया है – प्लेटफार्म में अचानक बदलाव के कारण इस बार भी एक भयावह हादसा हुआ, जिसमें 18 लोगों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। 

क्या हैं गंभीर खामियां? 
यात्रियों का कहना है कि इन हादसों के बाद भी रेलवे प्रशासन ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? बार-बार एक ही वजह से ऐसी घटनाएं होती हैं, फिर भी सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था में कोई सुधार क्यों नहीं हुआ? ऐसे बड़े और भीड़-भाड़ वाले रेलवे स्टेशनों पर जहां हर दिन हजारों यात्री आते-जाते हैं वहां सुरक्षा व्यवस्थाएं इतनी कमजोर क्यों हैं?

रेलवे प्रशासन हमेशा दावा करता है कि प्लेटफार्म बदलाव की सूचना समय पर दी जाती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जानकारी यात्रियों तक सही तरीके से पहुंचाई जाती है और क्या यह जानकारी इतनी स्पष्ट होती है कि यात्रियों को किसी भी प्रकार की अफरातफी का सामना न करना पड़े?

यात्रियों की नजर में रेलवे प्रशासन की यह लापरवाही और सुस्ती है, जिससे ऐसे हादसे होते हैं। क्या यात्रियों के लिए सही रास्तों और उचित मार्गदर्शन की योजना बनाई गई है? क्या सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं, खासकर जब प्लेटफार्म बदलाव जैसे निर्णय किए जाते हैं? 

क्या कदम उठाए जाने चाहिए? 
रेलवे के पास पर्याप्त संसाधन और समय हैं, लेकिन फिर भी इन हादसों को रोकने के लिए प्राथमिक कदम क्यों नहीं उठाए जाते? यात्रियों का कहना है कि अब समय आ गया है कि रेलवे अपने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन व्यवस्था में गंभीर सुधार करे। इसके लिए तकनीकी उपायों के साथ-साथ बेहतर योजना, यात्रियों तक सही जानकारी पहुंचाना और उन्हें सुरक्षित रास्तों की योजना बनानी होगी।

साथ ही रेलवे को यह समझना होगा कि हर यात्री की जान अनमोल है। किसी भी व्यक्ति की जान से बढ़कर कोई काम नहीं हो सकता। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की तत्काल आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और किसी और की जान न जाए।

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