Edited By Radhika,Updated: 17 Mar, 2025 05:22 PM

देशभर में गर्मी का मौसम पूरी तरह से शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन बिजली संकट को लेकर चिंताएं बढ़ने लगी हैं। भारत के शीर्ष ग्रिड ऑपरेटर ने मई और जून के महीनों में बिजली की भारी किल्लत का अनुमान जताया है।
नेशनल डेस्क : देशभर में गर्मी का मौसम पूरी तरह से शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन बिजली संकट को लेकर चिंताएं बढ़ने लगी हैं। भारत के शीर्ष ग्रिड ऑपरेटर ने मई और जून के महीनों में बिजली की भारी किल्लत का अनुमान जताया है। National Load Despatch Centre (NLDC) की रिपोर्ट के अनुसार, खासतौर पर गैर-सौर घंटों में बिजली की भारी कमी हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय 15-20 गीगावॉट की कमी आ सकती है, जिससे लोड शेडिंग की संभावना बन सकती है।
सोलर एनर्जी का असर-
रिपोर्ट में बताया गया है कि मई का महीना विशेष रूप से कठिन साबित हो सकता है क्योंकि इस दौरान बिजली की मांग चरम पर पहुंचने के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसके कारण सिस्टम में कमजोरियां बढ़ सकती हैं, जिससे बिजली की सप्लाई में और भी समस्या आ सकती है।

समय पर कदम उठाने की जरूरत-
ग्रिड पर दबाव कम करने के लिए रिपोर्ट में डिमांड साइड मैनेजमेंट अपनाने की सलाह दी गई है। इसके तहत, औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों को गैर-पीक घंटों में बिजली का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। सौर ऊर्जा दिन के समय मांग को पूरा करने में मदद करती है, लेकिन इसकी अस्थिरता के कारण सुबह और शाम के समय बिजली की कमी हो सकती है।
बिजली संकट की गंभीरता-
रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच 19 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। जून में यह आंकड़ा 4.7 से 20.1 प्रतिशत तक जा सकता है। विशेष रूप से मई और जुलाई में 15 गीगावॉट से ज्यादा बिजली की कमी हो सकती है। इस दौरान, सौर ऊर्जा के समय ग्रिड को पर्याप्त सप्लाई मिल सकती है, लेकिन गैर-सौर घंटों में बिजली की कमी का सामना करना पड़ेगा।
बिजली संकट से निपटने के लिए भंडारण समाधान की जरूरत-
देश में बढ़ते बिजली संकट से निपटने के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने 18 फरवरी को एक महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। इसमें सौर ऊर्जा संयंत्रों के साथ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों जैसे बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) और पंप्ड स्टोरेज प्लांट (PSP) को स्थापित करने की सिफारिश की गई है।