इस राज्य में मुफ्त पानी की नीति में हुआ बड़ा बदलाव 50 हजार रुपए से अधिक आय वाले को अब देने होंगे इतने रुपए

Edited By Utsav Singh,Updated: 10 Aug, 2024 04:20 PM

those with incomes over 50 thousand rupees will now have to pay so many rupees

हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त पानी की सुविधा में बड़ा बदलाव किया है। अब, जिन घरेलू उपभोक्ताओं की वार्षिक आय 50 हजार रुपये से अधिक है, उन्हें प्रति माह 100 रुपये का भुगतान करना होगा।

नेशनल डेस्क : हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त पानी की सुविधा में बड़ा बदलाव किया है। अब, जिन घरेलू उपभोक्ताओं की वार्षिक आय 50 हजार रुपये से अधिक है, उन्हें प्रति माह 100 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को जल उपयोग के लिए प्रति किलोलीटर के हिसाब से शुल्क चुकाना होगा। यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल ने राजस्व वृद्धि और सब्सिडी में कटौती के उद्देश्य से लिया है।

व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए नई दरें
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने हाल ही में जानकारी दी कि जिन घरेलू उपभोक्ताओं की वार्षिक आय 50 हजार रुपये से अधिक है, उन्हें अब प्रति माह 100 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके अतिरिक्त, होटल और 'होम-स्टे' जैसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी पानी की आपूर्ति वाणिज्यिक दरों पर की जाएगी। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य जलापूर्ति से जुड़े राजस्व को बढ़ाना और पेयजल की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।

फ्री पानी की सुविधा में जारी रहेंगे ये वर्ग
नई नीति के अनुसार,अकेली महिलाओं, विधवाओं, निराश्रितों दिव्यांग जनों और अन्य कमजोर वर्गों को मुफ्त पानी की सुविधा जारी रहेगी। पिछले कुछ वर्षों में, ग्रामीण क्षेत्रों में होटल और 'होम-स्टे' की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिनके लिए मुफ्त पानी की सुविधा दी जा रही थी। इसके विपरीत, शहरी क्षेत्रों के होटलों को वाणिज्यिक दरों पर पानी और बिजली की आपूर्ति की जाती है।

सरकार का निर्णय और इसके कारण
एक अधिकारी ने जानकारी दी कि हिमाचल प्रदेश में मुफ्त जलापूर्ति की योजना के चलते जन शक्ति विभाग को लगभग 800 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ है। यह घाटा तब बढ़ा जब पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) सरकार ने मई 2022 में विधानसभा चुनाव से पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त पानी की आपूर्ति की योजना लागू की। इस निर्णय का उद्देश्य चुनावी लाभ अर्जित करना था, लेकिन इसके दूरगामी वित्तीय परिणाम हुए। मुफ्त पानी की आपूर्ति के चलते विभाग को अतिरिक्त वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ा, जिससे उनके संसाधनों में भारी कमी आई। मुफ्त जलापूर्ति योजना का परिणाम यह हुआ कि विभाग को जलापूर्ति के लिए आवश्यक राजस्व प्राप्त नहीं हो सका, जो उनके वित्तीय प्रबंधन को प्रभावित कर गया।

इस वित्तीय संकट से निपटने के लिए, वर्तमान सरकार ने नई नीति की घोषणा की है, जिसमें पचास हजार रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह 100 रुपये का भुगतान करना होगा और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से वाणिज्यिक दरों पर शुल्क लिया जाएगा। यह कदम जलापूर्ति के लिए आवश्यक राजस्व की कमी को पूरा करने और पेयजल की गुणवत्ता में सुधार करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

 

 

 

 

 

 

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