Edited By Mahima,Updated: 14 Oct, 2024 11:02 AM
जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा, जेआरडी टाटा, भारत में एकमात्र उद्योगपति हैं जिन्हें 1992 में भारत रत्न मिला। उन्होंने 53 वर्षों तक टाटा सन्स के चेयरमैन के रूप में कार्य किया, टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और भारत की सिविल एविएशन इंडस्ट्री के जनक...
नेशनल डेस्क: जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा, जिन्हें JRD Tata के नाम से जाना जाता है, भारतीय उद्योग जगत के एक महान शख्सियत हैं, जिन्हें 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वह भारत में एकमात्र उद्योगपति हैं जिन्हें यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला है। JRD Tata का जीवन न केवल उद्योग के क्षेत्र में उनकी अनूठी उपलब्धियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उन्होंने समाज और नागरिकता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया। 53 वर्षों तक टाटा सन्स के चेयरमैन रहने के दौरान, उन्होंने टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और भारत की सिविल एविएशन इंडस्ट्री के जनक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी दृष्टि, साहस और सामाजिक प्रतिबद्धता ने उन्हें एक प्रेरणास्त्रोत बना दिया है, और उनकी विरासत आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।
JRD Tata का ऐतिहासिक योगदान
JRD Tata का जन्म 29 जुलाई 1904 को पेरिस, फ्रांस में हुआ था। उनके पिता रतनजी दादाभाई टाटा और मां नीनी टाटा एक प्रतिष्ठित परिवार से थे। JRD Tata ने 1929 में टाटा ग्रुप में प्रवेश किया, और 1938 में केवल 34 वर्ष की आयु में उन्होंने टाटा सन्स के चेयरमैन का पद संभाला। उनके कार्यकाल में टाटा ग्रुप ने अभूतपूर्व विकास किया और उद्योग में अपनी पहचान बनाई।
Tata ग्रुप का विकास
JRD Tata के नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने 50 गुना से अधिक वृद्धि की। उनका विजन और रणनीतिक सोच इस ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर ले गई। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 14 नई कंपनियों की स्थापना की, जिनमें टाटा मोटर्स, टाटा सॉल्ट, टाटा ग्लोबल बेवरेजेज और टाइटन जैसी प्रसिद्ध कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों ने भारतीय बाजार में अपनी मजबूत पहचान बनाई और उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रियता हासिल की।
सिविल एविएशन का विकास
JRD Tata को भारत में सिविल एविएशन इंडस्ट्री का जनक भी माना जाता है। 1929 में, वह पहले व्यक्ति बने जिन्हें हवाई जहाज उड़ाने के लिए लाइसेंस मिला। इसके बाद, उन्होंने 1932 में टाटा एयरलाइन्स की स्थापना की, जो भारत की पहली घरेलू एयरलाइन थी। 1946 में इसका नाम बदलकर एयर इंडिया रख दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि कई दशकों बाद, एयर इंडिया फिर से टाटा ग्रुप के अधीन आ गई है, जिससे उनकी विरासत और मजबूत हुई है।
कर्मचारियों के कल्याण के लिए कदम
JRD Tata ने अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की। 1956 में, उन्होंने टाटा प्रशासनिक सेवा (TAS) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें नेतृत्व के लिए तैयार करना था। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के मॉडल पर यह सेवा स्थापित की। उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं भी लागू कीं। इनमें 8 घंटे की कार्यदिवस की व्यवस्था, मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं, और भविष्य निधि योजना शामिल थीं। इसके अलावा, उन्होंने कर्मचारियों को किसी दुर्घटना के मामले में मुआवजा देने की पहल की, जिससे उन्हें एक सुरक्षित कार्य वातावरण मिला।
भारत रत्न का सम्मान
भारत रत्न, देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जिसे अब तक 53 लोगों को प्रदान किया जा चुका है। इनमें से अधिकांश राजनेता हैं, लेकिन JRD Tata एकमात्र व्यवसायी हैं जिन्हें यह सम्मान मिला। यह सम्मान उन्हें 1992 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के हाथों मिला। JRD Tata ने इस सम्मान को प्राप्त करते हुए कहा था कि वह नहीं चाहते कि भारत केवल एक आर्थिक महाशक्ति बने, बल्कि वह चाहते थे कि भारत एक खुशहाल और समृद्ध देश बने।
JRD Tata का निधन और विरासत
JRD Tata का निधन 29 नवंबर 1993 को जिनेवा में हुआ। उनका जीवन और कार्य हमेशा भारतीय उद्योग और समाज में एक प्रेरणा के रूप में रहेंगे। उन्होंने न केवल टाटा ग्रुप के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि उन्होंने भारत के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई सामाजिक और शैक्षिक संस्थानों की स्थापना की, जिनमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, और टाटा मेडिकल सेंटर शामिल हैं। JRD Tata की जीवन यात्रा न केवल एक उद्योगपति की कहानी है, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने अपने समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाई और भारतीय उद्योग को नई दिशा दी। उनकी दृष्टि, साहस और नेतृत्व कौशल आज भी लोगों को प्रेरित करता है। उनका योगदान भारत के विकास में हमेशा याद रखा जाएगा, और उनके कार्यों की प्रेरणा अगली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी।