Edited By Mahima,Updated: 21 Sep, 2024 10:02 AM
तिरुपति लड्डू विवाद तब और बढ़ गया जब मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलाए जाने के आरोप सामने आए। केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जबकि स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने...
नेशनल डेस्क: तिरुपति मंदिर के प्रसाद, खासकर लड्डुओं, में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलाने के आरोप ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यह मामला अब एक राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन चुका है, और केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को जानकारी दी कि उन्होंने नायडू से बात की है और एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) द्वारा लैब रिपोर्ट की जांच कराने का निर्देश दिया है।
मंदिर की पवित्रता पर भी गंभीर सवाल
मुख्यमंत्री नायडू ने एक प्रयोगशाला रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि YSR कांग्रेस पार्टी के नेता जगन मोहन रेड्डी के मुख्यमंत्री रहते हुए तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल किए गए घी के नमूनों में बीफ टैलो, मछली का तेल और सुअर की चर्बी के अंश पाए गए हैं। यह आरोप न केवल धार्मिक भावनाओं को भड़का रहा है, बल्कि मंदिर की पवित्रता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
विशेष समिति का गठन किया
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने इस विवाद पर खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने YSR कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह मंदिर और 'सनातन धर्म' को अपवित्र करने का प्रयास कर रही है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तिरुपति मंदिर प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन घी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक चार सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया गया है। केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए और यदि कोई दोषी पाया गया, तो उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए। यह बयान इस बात का संकेत है कि केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
जगन मोहन रेड्डी और उनकी पार्टी YSR कांग्रेस ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने नायडू और उनकी पार्टी पर आरोप लगाए हैं और न्यायिक समिति के गठन की मांग की है, ताकि इस विवाद की निष्पक्ष जांच की जा सके। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की है, जिससे सभी की नजरें इस सुनवाई पर टिकी हैं।
तिरुपति मंदिर के भक्तों के बीच चिंता और भ्रम का माहौल
इस विवाद ने तिरुपति मंदिर के भक्तों के बीच चिंता और भ्रम का माहौल बना दिया है। भक्तों का मानना है कि लड्डू जैसे पवित्र प्रसाद में यदि ऐसी सामग्रियां मिलाई गई हैं, तो इससे उनकी आस्था और विश्वास को ठेस पहुंच सकती है। मंदिर की पवित्रता और उसकी परंपराओं को लेकर भक्तों में गहरी चिंताएं हैं।
मंदिर की पवित्रता पर सवाल
YSR कांग्रेस के राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी, जो चार साल तक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड के अध्यक्ष रहे हैं, ने कहा कि यह कहना भी असंभव है कि देवता को अर्पित किए जाने वाले लड्डुओं में पशुओं की चर्बी का उपयोग किया गया था। उन्होंने नायडू पर 'घृणित' राजनीति करने का आरोप लगाया है, जिससे मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचा है। इस विवाद ने तिरुपति मंदिर की परंपराओं और धार्मिक आस्था को एक बड़ी चुनौती दी है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच कर रहे हैं। हालांकि, भक्तों में निराशा और संदेह का वातावरण बढ़ रहा है। सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि यह विवाद कैसे समाप्त होता है और तिरुपति मंदिर की पवित्रता को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। यह मामला न केवल आंध्र प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक मुद्दा बन गया है।