Edited By Pardeep,Updated: 06 Feb, 2025 06:29 AM
यहां भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के आधिकारिक संरक्षक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के 18 कर्मचारियों को ‘गैर-हिंदू' गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई, जिसके तहत उन्हें मंदिर निकाय द्वारा आयोजित सभी...
नेशनल डेस्कः यहां भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के आधिकारिक संरक्षक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के 18 कर्मचारियों को ‘गैर-हिंदू' गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई, जिसके तहत उन्हें मंदिर निकाय द्वारा आयोजित सभी धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने से रोक दिया गया है। एक आधिकारिक ज्ञापन में कहा गया है। मंदिर निकाय ने एक फरवरी को जारी ज्ञापन में कहा कि उक्त कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है, ताकि उनकी गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके क्योंकि इससे टीटीडी की प्रतिष्ठा कम हो रही है।
आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश ने टीटीडी के इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि गैर-हिंदू कर्मचारियों को धार्मिक गतिविधियों से रोकने के टीटीडी के फैसले पर कोई संदेह नहीं है क्योंकि राज्य में सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेतृत्व वाली राजग सरकार का भी यही रुख है।
टीटीडी की कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने ज्ञापन में कहा, ‘‘यह साबित हो गया है कि टीटीडी के 18 कर्मचारी गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में शामिल थे, हालांकि उन्होंने भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी की तस्वीर/मूर्ति के सामने शपथ ली है कि वे केवल हिंदू धर्म और हिंदू परंपराओं का पालन करेंगे...।'' ज्ञापन में कहा गया कि इन कर्मचारियों ने शपथ ली है कि वे 24 अक्टूबर 1989 को जारी शासनादेश संख्या 1060 राजस्व (बंदोबस्ती - 1) में जारी नियम 9 (6) के अनुपालन में गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे।
मंदिर निकाय के अनुसार, उक्त कर्मचारी गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में शामिल थे और इसके साथ ही वे टीटीडी द्वारा आयोजित हिंदू धार्मिक मेलों और त्योहारों में भी भाग ले रहे थे, जिससे करोड़ों हिंदू भक्तों की पवित्रता और भावनाओं को ठेस पहुंच रही थी। टीटीडी ने अपने मुख्य अभियंता और उप कार्यकारी अधिकारी (मानव संसाधन) को इन कर्मचारियों की वर्तमान तैनाती की जांच करने का भी निर्देश दिया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे तिरुमाला या टीटीडी के किसी मंदिर और किसी धार्मिक कार्यक्रम में ड्यूटी न कर रहे हों। इसके अलावा, टीटीडी ने निर्देश दिया कि यदि ये कर्मचारी धर्म से जुड़े किसी संवेदनशील पद पर काम करते हुए पाए जाएं तो उन्हें तत्काल वहां से स्थानांतरित कर दिया जाए।
इसी प्रकार, ज्ञापन में विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वे इन कर्मचारियों को मंदिर संबंधी कार्यों, शोभायात्रा, कार्यक्रमों, मेलों और उत्सवों में तैनात या प्रतिनियुक्त न करें। टीटीडी तिरुपति स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर का आधिकारिक संरक्षक है। अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘उन 18 कर्मचारियों को धार्मिक आयोजनों में भाग लेने से रोक दिया गया है। उन्हें टीटीडी के सभी धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में भाग लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। वे भाग नहीं ले सकते।''
इससे पहले नवंबर 2024 में, अध्यक्ष बीआर नायडू की अध्यक्षता वाले टीटीडी बोर्ड ने कहा था कि वह तिरुमाला में काम करने वाले गैर-हिंदुओं पर उचित निर्णय लेने के लिए एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को एक पत्र लिखेंगे। टीटीडी के अध्यक्ष ने अक्टूबर 2024 में हैदराबाद में कहा था कि भगवान वेंकटेश्वर के निवास स्थान तिरुमाला में काम करने वाले सभी लोग हिंदू होने चाहिए। इसके अलावा, टीटीडी के नियमों के अनुसार गैर-हिंदुओं को मंदिर में दर्शन करने से पहले देवता में अपनी आस्था घोषित करनी होती है।
नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकेश ने कहा, ‘‘इस बारे में कोई दूसरा विचार नहीं है। हमने चुनाव से पहले इस बारे में बात की थी और हम इस पर कायम हैं। हम इसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाएंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं। इसमें धार्मिक भावनाएं शामिल हैं।'' लोकेश ने अपनी बात रखते हुए ‘‘हिंदुओं को मस्जिद में काम करने की अनुमति नहीं होने'' का उदाहरण पेश किया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने टीटीडी के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि गैर-हिंदू कर्मचारियों के संबंध में टीटीडी के फैसले पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।