Edited By Tanuja,Updated: 05 Nov, 2024 01:29 PM
चीन आज वैश्विक विनिर्माण का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, लेकिन इसे नकली उत्पादों के निर्माण में भी बदनाम किया जाता है। अनुमानित रूप से, चीन दुनिया के 80% नकली सामानों के उत्पादन के लिए जिम्मेदार...
Bejing: चीन आज वैश्विक विनिर्माण का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, लेकिन इसे नकली उत्पादों के निर्माण में भी बदनाम किया जाता है। अनुमानित रूप से, चीन दुनिया के 80% नकली सामानों के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है। ये नकली सामान विभिन्न श्रेणियों में फैल चुके हैं, जैसे लग्जरी हैंडबैग, घड़ियाँ, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाएं और यहां तक कि रोजमर्रा की चीजें। 2020 में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन से आने वाले नकली सामान वैश्विक व्यापार का लगभग 3.3% हिस्सा हैं, जिनकी सालाना कीमत 500 अरब डॉलर से अधिक है।
हाल ही में चीन के ग्वांगडोंग प्रांत में एक अजीब घटना हुई, जिसमें शानवेई चिड़ियाघर में एक आगंतुक ने TikTok पर वीडियो शेयर किया, जिसमें दो जानवरों को पांडा बताया गया। हालांकि, ये जानवर असल में पांडा नहीं, बल्कि चाउ चाउ कुत्ते थे। पहले तो चिड़ियाघर के अधिकारियों ने उन्हें 'पांडा डॉग्स' बताने की कोशिश की, लेकिन जब दर्शकों ने संदेह किया, तो उन्हें यह स्वीकार करना पड़ा कि चिड़ियाघर में कोई असली पांडा नहीं है। इसके लिए उन्होंने कुत्तों को काले और सफेद रंग में रंगकर उन्हें पांडा जैसा बनाने का अनैतिक कदम उठाया। यह घटना अकेली नहीं है; इससे पहले मई में, जियांग्सू प्रांत के ताइझोउ चिड़ियाघर में भी ऐसा ही मामला देखा गया था। हालांकि उस वक्त इसमें उतना ध्यान नहीं मिला। लेकिन हाल की घटना ने वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है।
A zoo in China has been accused of dyeing dogs black and white to look like pandas. Interestingly, the zoo doesn’t have real pandas 🐼 😅 pic.twitter.com/F8viaX6aII
— Clown World ™ 🤡 (@ClownWorld_) May 12, 2024
चीन के मजबूत विनिर्माण ढांचे ने नकली सामानों के मुद्दे को बढ़ाने का कार्य किया है। यहां की विशाल आपूर्ति श्रृंखला और बौद्धिक संपदा नियमों का कमजोर प्रवर्तन इस तरह की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देता है। नकली उत्पादों का सबसे बड़ा खतरा दवा उद्योग में है, जहां नकली दवाएं गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि कई विकासशील देशों में 10% से अधिक चिकित्सा उत्पाद या तो घटिया या नकली साबित होते हैं।COVID-19 महामारी के दौरान नकली चीनी टीकों का मामला भी चिंता का विषय बना। केवल दवाओं में ही नहीं, बल्कि तकनीकी उत्पादों जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि में भी नकली सामान का अत्यधिक प्रचार है। इन उत्पादों की गुणवत्ता अक्सर निम्न होती है और ये बौद्धिक संपदा के चोरी के मामलों में भी शामिल होते हैं।सिर्फ ये ही नहीं, लक्जरी सामान का बाजार भी नकली सामानों से अंजान नहीं रहा है। लुई वुइटन, गुच्ची जैसे ब्रांड निरंतर नकली वस्तुओं से प्रभावित हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे अलीबाबा, अमेज़न, और ईबे पर इन नकली सामानों की बिक्री हो रही है।
यूरोपीय संघ को हो रहा बड़ा नुकसान
यूरोपीय संघ को प्रति वर्ष €16 बिलियन का नुकसान और लगभग 200,000 नौकरियों के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यह जानकारी यूरोपीय संघ बौद्धिक संपदा कार्यालय (EUIPO) की एक रिपोर्ट से मिली है। इन नकली वस्तुओं का एक बड़ा हिस्सा चीन में ही उत्पादित होता है। इस समस्या का केंद्र चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) पर भी है, जो नकली व्यापार को बढ़ावा देने का आरोप लगा है। इसके अलावा, कुछ सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों पर भी आरोप हैं कि वे नकली उत्पादों के उत्पादन में शामिल हैं।चीन में नकली उत्पादों का व्यापक प्रसार न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि यह उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए भी गंभीर समस्याएं उत्पन्न करता है।