Edited By rajesh kumar,Updated: 28 Nov, 2023 06:43 PM
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने के कारण अंदर फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 17वें दिन श्रमिकों को बाहर निकलता देख उनके परिवार वालों ने राहत की सांस ली। सीएम पुष्कर सिंह धामी बाहर निकाले गए...
नेशनल डेस्क: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने के कारण अंदर फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 17वें दिन श्रमिकों को बाहर निकलता देख उनके परिवार वालों ने राहत की सांस ली। सीएम पुष्कर सिंह धामी बाहर निकाले गए श्रमिको से मुलाकात कर रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल (से.नि) वीके सिंह भी वहीं मौजूद हैं।धामी ने श्रमिकों और रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए कर्मियों के मनोबल और साहस की जमकर सराहना की। टनल से बाहर निकाले गए श्रमिकों की प्रारंभिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण टनल में बने अस्थाई मेडीकल कैंप में की जा रही है। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि ‘बाबा बौख नाग देवता' का प्रकोप होने के बाद यह हादसा हुआ है। आइए जानते हैं क्या है बाबा बौख नाग देवता की कहानी और सुरंग से क्या है कनेक्शन?
बौख नाग देवता की नाराजगी से हुआ हादसा
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग हादसे को स्थानीय लोग ‘बाबा बौख नाग देवता' का प्रकोप होने का दावा कर रहे हैं जिनके मंदिर को दिवाली से कुछ दिन पहले निर्माण कंपनी ने तोड़ दिया था। बदले में कंपनी ने टनल के पास देवता का मंदिर बनाने का वादा किया था, लेकिन 2019 से अभी तक मंदिर नहीं बनाया। इसके अलावा ग्रामीणों द्वारा बनाया छोटा मंदिर भी तोड़ दिया गया। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी याद दिलाई, लेकिन अधिकारियों ने इस अनसुना कर दिया। इसके बाद यह हादसा हुआ। यह देवता का ही प्रकोप है।
लोग बोले- रक्षक हैं बाबा
मजदूरों को बाहर निकालने के सारे इंतजाम विफल होने पर निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने बौखनाग देवता के पुजारी को बुलाकर उनसे क्षमा याचना की और उनसे पूजा संपन्न करवाई। बौखनाग देवता के पुजारी गणेश प्रसाद बिजल्वाण ने सुरंग में पूजा अर्चना की तथा शंख बजाया। देवता की आरती करने के बाद उन्होंने सुरंग के चारों तरफ चावल फेकें और मजदूरों को बचाने के लिए किए जा रहे अभियान की सफलता के लिए प्रार्थना की।
बताया जा रहा है कि सुरंग के मुहाने पर बने बौखनाग मंदिर के टूटने के बाद स्थानीय लोग बौखनाग देवता के रुष्ट होने के कारण हादसा होने की आशंका जता रहे हैं। बौखनाग देवता को इलाके का रक्षक माना जाता है। सुरंग ढहने के कारण 41 श्रमिक पिछले 16 दिन से उसके अंदर फंसे हैं जिन्हें बाहर लाने के लिए देश भर के तमाम बड़े तकनीकी विशेषज्ञों से लेकर अत्याधुनिक मशीनों का सहारा लिया जा रहा है। सुरंग में मलबा गिरने की वजह से बचाव कार्य में दिक्कतें का सामना करना पड़ा था।
मंदिर को नहीं तोड़ने की दी थी सलाह
सिलक्यारा गांव के निवासी 40 वर्षीय धनवीर चंद रमोला ने कहा, ‘‘परियोजना शुरू होने से पहले सुरंग के मुंह के पास एक छोटा मंदिर बनाया गया था और स्थानीय मान्यताओं को सम्मान देते हुए अधिकारी और मजदूर पूजा करने के बाद ही सुरंग के अंदर दाखिल होते थे।'' हांलांकि, उन्होंने दावा किया कि कुछ दिन पहले निर्माण कंपनी प्रबंधन ने मंदिर को वहां से हटवा दिया और लोगों का मानना है कि इसी की वजह से यह हादसा हुआ है। एक अन्य ग्रामीण राकेश नौटियाल ने कहा, ‘‘हमने निर्माण कंपनी से कहा था कि मंदिर को न तोड़ा जाए या ऐसा करने से पहले आसपास उनका दूसरा मंदिर बना दिया जाए।''
स्थानीय देवता के लिए छोटा मंदिर बनाने की है परंपरा
नौटियाल ने कहा कि कंपनी वालों ने हमारी चेतावनी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह हमारा अंधविश्वास है। उन्होंने दावा किया कि पहले भी सुरंग में एक हिस्सा गिरा था लेकिन तब एक भी मजदूर नहीं फंसा और न ही किसी अन्य प्रकार का नुकसान हुआ। पुजारी बिजल्वाण ने कहा, ‘‘उत्तराखंड देवताओं की भूमि है। किसी भी पुल, सड़क या सुरंग को बनाने से पहले स्थानीय देवता के लिए छोटा मंदिर बनाने की परंपरा है। इनका आशीर्वाद लेकर ही काम पूरा किया जाता है।'' उन्होंने कहा कि उनका भी मानना है कि निर्माण कंपनी ने मंदिर को तोड़कर गलती की और इसी वजह से हादसा हुआ जिससे 41 श्रमिकों की जिंदगी संकट में फंस गई।
सीएम धामी और विदेशी एक्सपर्ट ने की पूजा
बाबा बौख नाग के प्रकोप की बात का पता चलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विदेश से आए इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने बाबा बौखनाग की पूजा अर्चना की। वहीं, सीएम धामी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा- ''बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है. शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा।'
सुरंग में क्या हादसा हुआ था?
दरअसल, 12 नवंबर 2023 को सुबह 05.30 बजे सिलक्यारा से बड़कोट के बीच बन रही निर्माणाधीन सुरंग में धंसाव हो गया था। एमओआरटीएच ने बताया था कि सुरंग के सिल्क्यारा हिस्से में 60 मीटर की दूरी में मलबा गिरने के कारण यह घटना हुई। 41 श्रमिक सुरंग के अंदर सिलक्यारा पोर्टल से 260 मीटर से 265 मीटर अंदर रिप्रोफाइलिंग का काम कर रहे थे, तभी सिलक्यारा पोर्टल से 205 मीटर से 260 मीटर की दूरी पर मिट्टी का धंसाव हुआ और सभी 41 श्रमिक अंदर फंस गए थे।