Edited By Tanuja,Updated: 30 Oct, 2024 01:28 PM
भारत और कनाडा के बीच विवादों ने कूटनीतिक संबंधों में खटास ला दी है जो आगे चलकर आर्थिक और सामाजिक संबंधों को भी प्रभावित कर रहे हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नाथाली ड्रॉइन...
International Desk: भारत और कनाडा के बीच विवादों ने कूटनीतिक संबंधों में खटास ला दी है जो आगे चलकर आर्थिक और सामाजिक संबंधों को भी प्रभावित कर रहे हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नाथाली ड्रॉइन और विदेश मंत्रालय के उप मंत्री डेविड मॉरिसन पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने भारत के खिलाफ संवेदनशील खुफिया जानकारी अमेरिकी समाचार पत्र 'वाशिंगटन पोस्ट' के साथ साझा की।
यह खबर उस समय आई है जब कनाडाई अधिकारियों ने भारत सरकार के क्रियाकलापों के संबंध में गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे संबंधों में और भी दरार आ गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में भारत को भारत में आम नागरिक और खालिस्तानी समर्थकों पर हमले करने के आरोपों में घसीटा। इससे पहले, ट्रूडो ने भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और कई अन्य भारतीय राजनयिकों को सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जोड़ा था, जो 20 सितंबर 2023 को विनिपेग में मारे गए थे।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट
कानाडा के 'द ग्लोब एंड मेल' द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, ड्रॉइन और मॉरिसन ने 'वाशिंगटन पोस्ट' को भारत के कथित हस्तक्षेप के बारे में जानकारी दी, जो कि अमेरिका में भारत की गतिविधियों को लेकर चिंताओं का विषय बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि यह खुफिया जानकारी रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) द्वारा दिए जाने वाले एक समाचार सम्मेलन के पहले साझा की गई, जिसका आयोजन थैंक्सगिविंग के दिन होने वाला था।
भारत ने उठाए कदम
इस विवाद के चलते, नई दिल्ली ने संजय कुमार वर्मा और पांच अन्य कनाडाई राजनयिकों को वापस बुला लिया है और इसके साथ ही भारत में छह कनाडाई राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया है। इस कार्रवाई ने दोनों देशों के बीच स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है।
Canadian कमिश्नर का बयान
RCMP के कमिश्नर माइक डुहेमे ने गिल की हत्या और भारत के बीच किसी भी प्रकार के संबंध की पुष्टि नहीं की है। वहीं, पूर्व CSIS कार्यकारी डैन स्टैंटन ने कहा है कि इस प्रकार की संवेदनशील जानकारी आमतौर पर गोपनीय होती है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। उनकी मान्यता है कि 'वाशिंगटन पोस्ट' के माध्यम से जो जानकारी साझा की गई है, वह यदि गुप्त है, तो इसे किसी विशेष व्यवस्था के तहत ही साझा किया जा सकता है।