Edited By Mahima,Updated: 29 Nov, 2024 09:14 AM
बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों को लेकर अमेरिका के पूर्व धार्मिक स्वतंत्रता अधिकारी जॉनी मूर ने बाइडेन सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर अधिक सक्रिय रहेगा। मूर का मानना है कि ट्रंप की टीम...
नेशनल डेस्क: बांग्लादेश में इन दिनों हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है। वहां के अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और अत्याचारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है। इस बीच, अमेरिका के एक प्रमुख धार्मिक स्वतंत्रता अधिकारी जॉनी मूर ने बाइडेन सरकार के बांग्लादेश पर ध्यान न देने की आलोचना की और कहा कि ट्रंप प्रशासन में इस मामले पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।
अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े
बांग्लादेश में पिछले कुछ समय से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर लगातार हमले हो रहे हैं। हाल ही में, हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें अदालत से जमानत नहीं मिली और उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बाद उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए और उग्र विरोध प्रदर्शन किया। इन घटनाओं के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की और बढ़ गई है। इन घटनाओं में हिंदू मंदिरों को तोड़ा और अपवित्र किया गया, उनके घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जलाया गया।
अमेरिका का बयान
यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) के पूर्व कमिश्नर जॉनी मूर ने हाल ही में कहा कि अमेरिका की बाइडेन सरकार ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। मूर ने आरोप लगाया कि इस समय बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए यह संकट का समय है। उन्होंने कहा, "मुझे हैरानी है कि मौजूदा अमेरिकी सरकार ने इस मुद्दे पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। लेकिन अब ट्रंप व्हाइट हाउस लौट रहे हैं और उनकी सरकार की विदेश नीति धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को प्राथमिकता देने वाली होगी।" मूर का मानना है कि ट्रंप प्रशासन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर अधिक सक्रिय रूप से काम करेगा और भारत को एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखेगा।
भारत और अमेरिका का सहयोग मजबूत होगा
जॉनी मूर ने आगे कहा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में थे। वह भरोसा दिलाते हैं कि इस बार भी ट्रंप प्रशासन भारत और अमेरिका के बीच एक मजबूत और प्रभावशाली सहयोग की दिशा में काम करेगा, जो अब तक नहीं देखा गया था। उन्होंने यह भी कहा, "दुनिया में कोई भी चुनौती ऐसी नहीं है, जिसे सुलझाया न जा सके। अमेरिका और भारत का सहयोग बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।"
भारत ने भी जताई चिंता
भारत ने भी बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर गहरी चिंता जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में हिंदू धर्मगुरु की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत न मिलने के मामले में चिंता व्यक्त की थी। मंत्रालय ने बांग्लादेश से इस तरह की घटनाओं की रोकथाम करने की अपील की थी और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया था। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमले एक गंभीर समस्या बन गए हैं, जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान जरूरी है। अमेरिका का नया प्रशासन, खासकर ट्रंप का वापसी करने वाला विदेश नीति, बांग्लादेश जैसे देशों में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अब देखना यह है कि क्या बाइडेन सरकार की तुलना में ट्रंप प्रशासन इस दिशा में अधिक प्रभावी कदम उठाता है।