Edited By Mahima,Updated: 08 Nov, 2024 12:00 PM
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नेशनल डेस्क: अमेरिका में 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सत्ता में वापसी के लिए मैदान में उतर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ट्रंप की वापसी भारतीय मूल के काश पटेल के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है। दरअसल, काश पटेल को ट्रंप का करीबी सहयोगी माना जाता है और उन्हें ट्रंप की नई सरकार में सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) का प्रमुख बनाने की चर्चा है। यदि यह सच होता है तो यह काश पटेल के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी और उनके करियर के लिए भी एक नया मोड़ साबित हो सकता है।
काश पटेल का जन्म
काश पटेल का जन्म एक गुजराती परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय प्रवासी हैं और वे युगांडा से 1970 के दशक में अमेरिका आए थे। पहले वे कनाडा गए थे, फिर अमेरिका में बस गए। काश पटेल के पिता को 1988 में अमेरिकी नागरिकता मिली और तब से काश और उनका परिवार अमेरिका में स्थायी रूप से रहने लगा। काश पटेल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा अमेरिका में ही प्राप्त की।
काश पटेल का शिक्षा और पेशेवर जीवन
काश पटेल ने वकालत (law) की पढ़ाई की और इसके बाद कुछ समय तक प्राइवेट लॉ फर्म में काम किया। हालांकि, बड़े कानून फर्मों में नौकरी नहीं मिलने के बाद उन्होंने सरकारी वकील के तौर पर काम करना शुरू किया। उनका मानना था कि सार्वजनिक सेवा में काम करके वह देश की सेवा कर सकते हैं। साल 2013 में, काश पटेल ने अमेरिकी न्याय विभाग (Department of Justice) में शामिल हो गए और यहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों पर काम किया। इसके बाद, 2016 में उन्हें खुफिया मामलों से जुड़ी एक स्थायी समिति में नियुक्त किया गया था। इस दौरान वे डेविड नून्स के अधीन काम कर रहे थे, जो ट्रंप के कट्टर समर्थक माने जाते थे। यह नियुक्ति काश पटेल के राजनीतिक सफर का एक अहम मोड़ था।
काश पटेल का ट्रंप के साथ जुड़ाव
काश पटेल की राजनीतिक पहचान 2016 में रूसी हस्तक्षेप (Russian interference) के मामले में काम करते हुए बनी। इसी दौरान उनका नाम ट्रंप के करीबी सहयोगियों में शामिल हो गया। जब ट्रंप राष्ट्रपति बने, तो काश पटेल ने ट्रंप के सलाहकारों की टीम में काम किया और कई संवेदनशील मामलों पर अपनी विशेषज्ञता दी। काश पटेल का ट्रंप के साथ यह जुड़ाव और उनका विश्वास ट्रंप प्रशासन में उनके प्रभाव को बढ़ाता गया।
काश पटेल का अयोध्या राम मंदिर पर बयान
काश पटेल भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति अपनी निष्ठा के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से अपनी आवाज उठाई थी। विशेष रूप से, राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान उन्होंने विदेशी मीडिया के रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। विदेशी मीडिया ने अयोध्या राम मंदिर के विवाद को 50 साल पुराना बताकर इसे ऐतिहासिक रूप से छोटा करने की कोशिश की। इस पर काश पटेल ने कहा था कि यह कोई 50 साल पुराना विवाद नहीं है, बल्कि राम मंदिर का इतिहास 500 साल पुराना है। उन्होंने मीडिया को यह याद दिलाया कि 500 साल पहले हिंदू मंदिर को तोड़ा गया था और उसके बाद से इस मंदिर के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया लगातार चल रही है। काश पटेल का मानना था कि विदेशी मीडिया जानबूझकर इस ऐतिहासिक पहलू को नजरअंदाज कर रही है ताकि भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया जा सके। काश पटेल के इस बयान ने उन्हें भारतीय समुदाय में और अधिक लोकप्रिय बना दिया था, क्योंकि उन्होंने खुलकर भारत के धार्मिक मामलों में विदेशी मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाया था।
काश पटेल और ट्रंप प्रशासन के बीच संबंध
2019 में जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे, काश पटेल को यूक्रेन से जुड़ी एक संवेदनशील जांच में भी शामिल किया गया। इस मामले में ट्रंप पर आरोप था कि उन्होंने जो बाइडेन के बेटे के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। ट्रंप के खिलाफ विपक्ष ने कड़ी आलोचना की थी, लेकिन ट्रंप ने काश पटेल और उनकी टीम की मदद ली ताकि वह किसी कानूनी पचड़े में न फंसे। काश पटेल ने इस मामले में अहम भूमिका निभाई और ट्रंप के रणनीतिक फैसलों को लागू करने में मदद की। इस दौरान काश पटेल का कद ट्रंप के विश्वासपात्र के रूप में बढ़ता गया।
काश पटेल का राजनीति में उत्थान
काश पटेल की राजनीतिक यात्रा में लगातार उत्थान होता रहा। ट्रंप प्रशासन में काश पटेल को कई अहम पदों पर नियुक्त किया गया और उनके द्वारा किए गए फैसलों को सराहा गया। काश पटेल का करियर इस समय ट्रंप के सबसे करीबी सलाहकारों में से एक के रूप में पहचान बना चुका था। ट्रंप के साथ उनके संबंध इतने मजबूत हो गए थे कि यह माना जा रहा है कि यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो CIA का प्रमुख बनाने के लिए काश पटेल सबसे बड़े दावेदार हो सकते हैं।
काश पटेल और ट्रंप के संभावित CIA चीफ बनने के कारण
1. विश्वसनीयता और अनुभव: काश पटेल के पास सुरक्षा और खुफिया मामलों में काफी अनुभव है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन में कई संवेदनशील मामलों पर काम किया है और यह ट्रंप के लिए एक मजबूत आधार बना सकता है।
2. धार्मिक और सांस्कृतिक विचारधारा: काश पटेल का भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों पर मजबूत पक्ष लेना उन्हें भारतीय समुदाय में लोकप्रिय बनाता है। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय मामलों में विदेशी मीडिया के रवैये पर अपनी आलोचना की है, जिससे उनकी छवि एक प्रो-भारत नेता के रूप में भी बन चुकी है।
3. राजनीतिक समर्थन: काश पटेल को ट्रंप का पूरा समर्थन प्राप्त है। ट्रंप के करीबी सहयोगी के रूप में उनका नाम कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में आ चुका है।
अगर काश पटेल को CIA का प्रमुख नियुक्त किया जाता है, तो यह न केवल उनके लिए बल्कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए भी गर्व की बात होगी। उनका मजबूत राजनीतिक अनुभव, ट्रंप के साथ करीबी संबंध और भारतीय संस्कृति के प्रति उनका आदर उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में काश पटेल का राजनीतिक कद और बढ़ता है या नहीं, लेकिन उनकी भूमिका और योगदान की चर्चा अमेरिका में लंबी चलेगी।