mahakumb

ट्रंप का BRICS पर बड़ा बयान: 150% टैरिफ की धमकी के बाद टूट गया ब्रिक्स ?

Edited By Mahima,Updated: 21 Feb, 2025 10:27 AM

trump on brics did brics break after the threat of 150 tariff

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकी दी कि अगर उन्होंने अमेरिकी डॉलर को चुनौती देने के लिए नई करेंसी शुरू की, तो उन पर 150% टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप के अनुसार, यह धमकी ब्रिक्स देशों के बीच एकजुटता को तोड़ चुकी है। वहीं, ब्रिक्स...

नेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से ब्रिक्स (BRICS) देशों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि 150% टैरिफ की धमकी देने के बाद ब्रिक्स देशों का यह समूह टूट गया है। ट्रंप ने कहा कि ब्रिक्स देशों द्वारा अमेरिकी डॉलर को चुनौती देने के प्रयास का कोई लाभ नहीं होगा और यह पूरी तरह से विफल रहेगा। उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब ब्रिक्स देशों के बीच एक नई वैश्विक करेंसी लाने की चर्चाएं तेज हो रही हैं।

ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर को देंगे चुनौती 
ट्रंप ने कहा कि जब वह सत्ता में आए थे, तो उन्होंने सबसे पहले यह चेतावनी दी थी कि जो भी ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर को चुनौती देंगे और नई करेंसी लाने की कोशिश करेंगे, उन पर 150% टैरिफ लगाया जाएगा। उनका कहना था कि अमेरिका को ब्रिक्स देशों का व्यापार नहीं चाहिए और अगर उन्होंने डॉलर के खिलाफ कुछ किया, तो वे इसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। ट्रंप के मुताबिक, इस धमकी के बाद ब्रिक्स देशों के बीच एकजुटता टूट गई और अब उनके बारे में बहुत कम सुना जा रहा है। 

ब्रिक्स देशों की नई करेंसी की योजना
ब्रिक्स देशों ने कई बार अमेरिकी डॉलर की प्रतिस्पर्धा में एक नई साझा करेंसी लाने की योजना पर विचार किया है। इसका उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अमेरिकी डॉलर और यूरो पर निर्भरता को कम करना है। ब्रिक्स के नेताओं ने इस योजना को लेकर कई बार चर्चा की है, विशेषकर 2022 में 14वें ब्रिक्स समिट में, जहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिक्स देशों से नई वैश्विक रिजर्व करेंसी लाने की बात की थी। इसके बाद, अप्रैल 2023 में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा ने भी इस विचार का समर्थन किया था।

अमेरिकी डॉलर और यूरो पर निर्भरता
ब्रिक्स देशों का यह कदम अमेरिका के वैश्विक वित्तीय प्रभुत्व से असंतोष का संकेत है। वे चाहते हैं कि दुनिया की वित्तीय प्रणाली अमेरिकी डॉलर और यूरो पर निर्भर न रहे। ब्रिक्स देश मानते हैं कि नई करेंसी लाने से उन्हें अपने आर्थिक हितों को बेहतर तरीके से साधने का मौका मिलेगा। 

अन्य देशों को भी अमेरिकी डॉलर और यूरो के प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश
ब्रिक्स देशों में वर्तमान में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। हाल ही में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को भी इस समूह में शामिल किया गया है। इसके अलावा, तुर्की, अजरबैजान और मलेशिया ने भी ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए आवेदन किया है। ब्रिक्स के इस विस्तार से यह साफ होता है कि कई अन्य देशों को भी अमेरिकी डॉलर और यूरो के प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश है।

अमेरिकी डॉलर वैश्विक व्यापार में सबसे प्रमुख मुद्रा 
अभी तक अमेरिकी डॉलर वैश्विक व्यापार में सबसे प्रमुख मुद्रा रही है। 1999 से 2019 के बीच, अमेरिका में 96% अंतर्राष्ट्रीय कारोबार डॉलर में हुआ था, जबकि एशिया प्रशांत क्षेत्र में यह आंकड़ा 74% था। हालांकि, हाल के वर्षों में डॉलर का वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी घट रही है, यूरो और येन जैसे अन्य मुद्राओं की लोकप्रियता बढ़ी है। फिर भी, अमेरिकी डॉलर का वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक इस्तेमाल जारी है। अगर ब्रिक्स देशों ने अपनी नई करेंसी शुरू की, तो इसका सीधा असर अमेरिकी डॉलर की ताकत पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिकी डॉलर की भूमिका कमजोर हो सकती है, जिससे अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय क्षेत्र में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 

अमेरिकी डॉलर का उपयोग वैश्विक व्यापार
पिछले साल अक्टूबर में ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन के दौरान, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी डॉलर पर कड़ी आलोचना की थी। पुतिन ने कहा था कि अमेरिकी डॉलर का उपयोग वैश्विक व्यापार में हथियार के रूप में किया जा रहा है, और यह नीति बड़ी गलती है। पुतिन ने कहा कि यह वे नहीं हैं जो डॉलर के इस्तेमाल से इनकार कर रहे हैं, बल्कि अमेरिका के प्रतिबंधों और नीतियों के कारण उन्हें वैकल्पिक रास्ते तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

ब्रिक्स देशों का उद्देश्य- अमेरिकी डॉलर और यूरो के प्रभाव को कम करना
ब्रिक्स देशों का मुख्य उद्देश्य अपनी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ाना और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अमेरिकी डॉलर और यूरो के प्रभाव को कम करना है। इससे वे अपनी संप्रभुता को बेहतर तरीके से कायम रख सकते हैं। हालांकि, अमेरिकी धमकियों के बावजूद ब्रिक्स देशों का यह कदम स्पष्ट करता है कि वे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार चाहते हैं और एक नई दिशा में कदम बढ़ाना चाहते हैं। ब्रिक्स देशों द्वारा नई करेंसी लाने की योजना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो वैश्विक वित्तीय बाजार में बड़े बदलाव का संकेत देता है। हालांकि, अमेरिकी धमकियों के बावजूद, ब्रिक्स देशों का इस दिशा में कदम बढ़ाना उनकी आर्थिक स्वायत्तता को प्रबल करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।  

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!