Edited By rajesh kumar,Updated: 14 Jan, 2025 06:47 PM
सोशल मीडिया पर प्रयागराज महाकुंभ 2025 में एक युवती सुर्खियों में है। गले में रुद्राक्ष और फूलों की माला पहने, माथे पर तिलक लगाए और साध्वी के रूप में नजर आ रही इस युवती का नाम है हर्षा रिछारिया। उनके वीडियो वायरल हो रहे हैं और अब हर्षा ने मीडिया से...
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर प्रयागराज महाकुंभ 2025 में एक युवती सुर्खियों में है। गले में रुद्राक्ष और फूलों की माला पहने, माथे पर तिलक लगाए और साध्वी के रूप में नजर आ रही इस युवती का नाम है हर्षा रिछारिया। उनके वीडियो वायरल हो रहे हैं और अब हर्षा ने मीडिया से बात करते हुए अपनी पूरी कहानी बताई है।
हर्षा का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ था, लेकिन वे अपनी शुरुआती जिंदगी भोपाल, मध्य प्रदेश में बिता चुकी हैं। हर्षा के माता-पिता अभी भी भोपाल में रहते हैं। हर्षा ने मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में काम किया, जहां उनका संपर्क धर्म और अध्यात्म से हुआ। उन्होंने बताया कि वह पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में रहकर साधना कर रही हैं। हर्षा रिछारिया ने बताया कि दो साल पहले उन्हें महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि जी का सानिध्य मिला। गुरुजी के संपर्क में आने के बाद उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन आया।
भक्ति का कोई समय नहीं होता - हर्षा रिछारिया
हर्षा ने यह भी कहा कि भक्ति और साधना की कोई उम्र नहीं होती है। जब ईश्वर और गुरु का आशीर्वाद मिलता है, तो इंसान अपने आप धर्म के मार्ग पर चलने लगता है। जब उनसे पूछा गया कि रील की दुनिया को छोड़कर साध्वी जीवन अपनाने से क्या बदलाव आया, तो हर्षा ने कहा कि दोनों ही कार्यों में समानता है। पहले वह रील के माध्यम से लोगों को धर्म और संस्कृति के बारे में जागरूक करती थीं, और अब भी वही काम कर रही हैं, बस तरीका थोड़ा बदल गया है।
मैं साध्वी नहीं हूं, साधना कर रही हूं - हर्षा
30 वर्षीय हर्षा रिछारिया ने साफ कहा कि उन्होंने अभी तक साध्वी की दीक्षा नहीं ली है, लेकिन गुरुदेव से दीक्षा के लिए निवेदन जरूर किया है। उन्होंने कहा कि वह इस विषय पर विचार करेंगे और अब वह उनके आदेश का इंतजार कर रही हैं। इस प्रकार, हर्षा रिछारिया की साधना की यात्रा एक प्रेरणा है, जो यह बताती है कि जीवन में कोई भी समय भक्ति और साधना की ओर मुड़ने के लिए उपयुक्त हो सकता है।