Edited By Radhika,Updated: 17 Mar, 2025 07:42 PM

अमेरिकी खुफिया विभाग की प्रमुख तुलसी गबार्ड ने दिल्ली पहुंची। तुलसी यहां पर रायसीना डायलॉग में हिस्सा बनने आई हैं। इस संबंध में उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों के बीच खालिस्तानी संगठन “Sikh for Justice”...
नेशनल डेस्क : अमेरिकी खुफिया विभाग की प्रमुख तुलसी गबार्ड ने दिल्ली पहुंची। तुलसी यहां पर रायसीना डायलॉग में हिस्सा बनने आई हैं। इस संबंध में उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों के बीच खालिस्तानी संगठन “Sikh for Justice” (SFJ) की भारत विरोधी गतिविधियों का मुद्दा उठाया और इस पर सख्त कार्रवाई करने की अपील की।
SFJ पर कार्रवाई की मांग-
सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर सामने आई है कि रक्षा मंत्री ने गबार्ड के साथ बैठक के दौरान SFJ के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। भारत सरकार द्वारा लगातार इस संगठन के खिलाफ ग्लोबल लेवल पर कार्रवाई करने की कोशिश कर रही है। यह ग्रुप संगठन विदेशों में अभी भी एक्टिव है। मंत्री ने कहा कि SFJ पाकिस्तान स्थित आतंकी नेटवर्क से जुड़ा हुआ है और देश में आतंकवाद फैलाने में इसकी बड़ी भूमिका है।
भारत ने किया पन्नू की हत्या के प्रयास से इंकार-
भारत सरकार ने पिछले साल नवंबर में पन्नू की हत्या के कथित प्रयास में अपनी संलिप्तता से साफ इनकार किया है। भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर आरोप है कि वह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल था। पन्नू, जिनके पास अमेरिकी और कनाडाई नागरिकता है, भारत में आतंकवादी गतिविधियों के आरोप में वॉन्टेड हैं। उसे भारत ने आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत आतंकवादी घोषित किया है।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग पर चर्चा-
मुलाकात के दौरान, तुलसी गबार्ड ने दोनों देशों के नेताओं के बीच संबंधों को मजबूत करने की बात की। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि दोनों देश अपने-अपने लोगों के हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। गबार्ड ने कहा कि दोनों नेताओं के पास बेहतर समझ है और वे समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं।
स्ट्रैटिजिक संबंधों पर चर्चा-
गबार्ड ने इस यात्रा में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और सूचना साझाकरण के संबंधों को मजबूत करने पर भी चर्चा की। यह डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के किसी शीर्ष अधिकारी की भारत की पहली उच्चस्तरीय यात्रा थी।