Edited By Tanuja,Updated: 04 Dec, 2024 12:17 PM
अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कैबिनेट के महत्वपूर्ण पदों पर कई ऐसे लोगों को नियुक्त किया है, जिनके पास अपेक्षाकृत कम अनुभव है लेकिन उनकी वफादारी पर कोई सवाल नहीं उठता...
International Desk: अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कैबिनेट के महत्वपूर्ण पदों पर कई ऐसे लोगों को नियुक्त किया है, जिनके पास अपेक्षाकृत कम अनुभव है लेकिन उनकी वफादारी पर कोई सवाल नहीं उठता। इनमें सबसे चर्चित नाम है तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard), जिन्हें राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) के पद पर नियुक्त किया गया है। यह पद अमेरिकी खुफिया तंत्र की 18 एजेंसियों की देखरेख करता है। तुलसी गबार्ड के पास खुफिया एजेंसियों के संचालन का प्रत्यक्ष अनुभव नहीं है। हालांकि, वह 2004-2005 में इराक युद्ध के दौरान हवाई नेशनल गार्ड में मेजर के रूप में तैनात थीं और वर्तमान में अमेरिकी सेना के रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए आवाज
तुलसी गबार्ड अमेरिकी कांग्रेस की पहली हिंदू महिला सदस्य हैं और अपने स्पष्ट विचारों और मजबूत रुख के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने हमेशा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा में आवाज उठाई है। बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर पाकिस्तान की करतूतों पर भी तुलसी खुल कर बात करती हैं जिसका एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जो 2021 का बताया जा रहा है। वीडियो में वह कर रही है बांग्लादेश में हिंदुओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है और उन पर अत्याचार किया जा रहा है, जैसा कि 1971 से हो रहा है, जब पाकिस्तानी सेना ने धर्म और जातीयता के कारण लाखों बंगाली हिंदुओं की व्यवस्थित रूप से हत्या की, उनके साथ बलात्कार किया और उन्हें उनके घरों से निकाल दिया।
गबार्ड का मानना है कि धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। उनके प्रयास न केवल हिंदुओं के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा हैं। गबार्ड ने भारत में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू, सिख और अन्य धार्मिक समूहों के खिलाफ हिंसा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस मुद्दे को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने का संकल्प लिया।
गबार्ड का हिंदू और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए संघर्ष
- 2021 में गबार्ड ने अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्ताव पेश कर बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ किए गए अत्याचारों को लेकर आवाज उठाई थी।
- उनके इस कदम ने उन्हें हिंदू समुदाय और मानवाधिकार समर्थकों के बीच लोकप्रिय बना दिया।
- उन्होंने 1971 में पाकिस्तान की सेना द्वारा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों की कड़ी निंदा की।
- गबार्ड ने बताया कि 1971 के नरसंहार में लगभग 30 लाख लोग मारे गए, जिनमें से बड़ी संख्या हिंदुओं की थी।
- गबार्ड ने भारत और अन्य देशों में आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया।
- उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता में कटौती की मांग की
- उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकवादियों के समर्थन को रोकने का दबाव बनाने का आह्वान किया।
तुलसी गबार्ड का जीवन और पृष्ठभूमि
तुलसी गबार्ड केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक सशक्त महिला नेता हैं, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा में हमेशा आगे रही हैं। उनकी स्पष्टवादिता और साहस उन्हें एक खास पहचान दिलाते हैं। गबार्ड की मां अमेरिकी मूल की हैं, लेकिन उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया था। तुलसी का पालन-पोषण हिंदू परंपराओं के अनुरूप हुआ। वह जन्म से शाकाहारी हैं और भारतीय संस्कृति से गहरा जुड़ाव रखती हैं। अमेरिकी कांग्रेस में प्रवेश करते समय उन्होंने भगवद गीता पर शपथ ली, जो उनकी आस्था को दर्शाता है।