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समान नागरिक संहिता आने से मुस्लिम अब कैसे ले पाएंगे तलाक, जानें क्या होगा पूरा प्रोसेस

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 29 Jan, 2025 02:15 PM

ucc uniform civil code act after implementation of ucc in uttarakhand

उत्तराखंड अब देश का पहला राज्य बन चुका है, जहां समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) लागू किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में इसकी घोषणा की। इस नए कानून के तहत, राज्य में अब सभी धर्मों और जातियों के लोगों के लिए एक समान...

नेशनल डेस्क: उत्तराखंड अब देश का पहला राज्य बन चुका है, जहां समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) लागू किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में इसकी घोषणा की। इस नए कानून के तहत, राज्य में अब सभी धर्मों और जातियों के लोगों के लिए एक समान कानून लागू होगा। खासकर विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों में पहले अलग-अलग धर्मों के कानून लागू होते थे, लेकिन अब राज्य में सभी के लिए एक समान नियम होंगे।

UCC के तहत मुस्लिम समुदाय के लिए नया तरीका
समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद अब मुस्लिम समुदाय के लिए तलाक का तरीका भी बदल जाएगा। पहले मुस्लिम पर्सनल (शरिया) कानून के तहत तलाक के मामले हल होते थे, लेकिन अब यह कानून भी खत्म हो गया है। मुस्लिम महिलाओं को अब तलाक के लिए उसी तरह की प्रक्रिया से गुजरना होगा, जैसे हिंदू और अन्य धर्मों के लोग करते हैं।

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तीन तलाक की रोक के बाद अब क्या होगा?
देशभर में तीन तलाक पर पहले ही रोक लगा दी गई थी, और यह कानून अब पूरी तरह लागू हो चुका है। इसके बाद मुस्लिमों के लिए अन्य प्रकार के तलाक जैसे तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-बाईन, और तलाक-ए-किनाया भी बंद कर दिए जाएंगे। अब तलाक के लिए मुस्लिमों को एक कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह प्रक्रिया हिंदू धर्म के समान होगी, जहां पति-पत्नी को तलाक के लिए एक ही आधार पर अर्जी देनी होगी।

तलाक के लिए क्या करना होगा?
अब मुस्लिम समुदाय के लोग तलाक के लिए आवेदन करने से पहले एक साल का समय पूरा करेंगे। इसका मतलब यह है कि शादी के तुरंत बाद तलाक के लिए आवेदन नहीं किया जा सकेगा। उन्हें शादी के कम से कम एक साल बाद ही तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी देनी होगी। यह नियम सभी धर्मों के लिए समान होगा, यानी हिंदू और मुस्लिम दोनों को अब तलाक लेने के लिए एक समान प्रक्रिया से गुजरना होगा।

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क्या बदला है शादी और संपत्ति के अधिकारों में?
यूसीसी के तहत मुस्लिम लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल निर्धारित की गई है। पहले इस्लामी कानून में लड़कियों के वयस्क होने की कोई उम्र निर्धारित नहीं थी। अब सभी धर्मों की लड़कियों को संपत्ति में अधिकार मिलेगा, और कोई भी धर्म अपनी लड़कियों को संपत्ति में हिस्सा देने से नहीं रोक सकेगा।

समान नागरिक संहिता का उद्देश्य
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करना है, जिससे हर धर्म, जाति और पंथ के लोग एक समान अधिकारों का उपयोग कर सकें। इस कानून के तहत, उत्तराखंड में विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार और अन्य निजी मामलों में सभी धर्मों के लिए समान कानून होंगे। इस कदम से राज्य सरकार का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना है।

 

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