Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 07 Feb, 2025 12:52 PM
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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) को एक और बड़ा झटका लग सकता है। जानकारी के मुताबिक, उद्धव गुट के नौ सांसदों में से छह सांसदों ने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया है। यह खबर महाराष्ट्र की...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) को एक और बड़ा झटका लग सकता है। जानकारी के मुताबिक, उद्धव गुट के नौ सांसदों में से छह सांसदों ने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया है। यह खबर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि अब ये सांसद शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं और राजनीति के जानकार इसे "ऑपरेशन टाइगर" का नाम दे रहे हैं।
"ऑपरेशन टाइगर" का खुलासा
सूत्रों के अनुसार, उद्धव गुट के छह सांसद शिंदे गुट के संपर्क में हैं और वे जल्द ही पार्टी बदल सकते हैं। यह सारा खेल "ऑपरेशन टाइगर" के तहत हो रहा है, जो शिंदे गुट के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। इस अभियान के तहत इन छह सांसदों को शिंदे गुट में शामिल किया जाएगा। अगर यह प्रक्रिया सफल होती है, तो यह उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका होगा।
दल-बदल विरोधी कानून का खतरा
इन छह सांसदों की संख्या को लेकर काफी विचार-विमर्श हो रहा था। दरअसल, दल-बदल विरोधी कानून की वजह से यह संख्या महत्वपूर्ण हो गई है। अगर इन सांसदों ने पार्टी छोड़ी, तो उन्हें दल-बदल विरोधी कानून से बचने के लिए सही प्रक्रिया का पालन करना होगा। शिंदे गुट की योजना है कि वह जल्द से जल्द इन सांसदों को अपनी पार्टी में शामिल कर ले, ताकि दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन न हो।
शिंदे गुट को मिल रहा है बीजेपी का समर्थन
यह भी सामने आया है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना को इस पूरे मामले में बीजेपी का समर्थन मिल रहा है। बीजेपी ने शिंदे गुट को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है, जिससे इस राजनीतिक बगावत को और ताकत मिल रही है। शिंदे गुट के इस कदम से उद्धव ठाकरे की पार्टी में भी असंतोष बढ़ गया है। हालांकि, अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि क्या कुछ और विधायकों को भी शिंदे गुट में लाने की योजना बनाई जा रही है।
सांसदों का क्यों हो रहा है मन बदल?
इन छह सांसदों का मुख्य कारण पार्टी छोड़ने के लिए यही है कि वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद, वे समझ रहे हैं कि यदि वे शिंदे गुट में शामिल होते हैं तो उन्हें केंद्र और राज्य दोनों जगह लाभ मिलेगा, क्योंकि शिंदे गुट की सरकार दोनों स्तरों पर सत्ता में है। इसके अलावा, सांसदों के लिए विकास कार्यों में तेजी आएगी और पैसे इकट्ठा करने में भी कोई परेशानी नहीं होगी।