Edited By Parminder Kaur,Updated: 07 Jan, 2025 10:23 AM
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फैकल्टी नियुक्ति के नियमों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है। यूजीसी के नए नियमों के तहत अब विषय विशेषज्ञों और खेल, कला तथा संस्कृति में विशेष योगदान देने वाले लोगों को भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में...
नेशनल डेस्क. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फैकल्टी नियुक्ति के नियमों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है। यूजीसी के नए नियमों के तहत अब विषय विशेषज्ञों और खेल, कला तथा संस्कृति में विशेष योगदान देने वाले लोगों को भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का मौका मिलेगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को 'यूजीसी रेगुलेशंस 2025' का ड्राफ्ट जारी किया। उन्होंने बताया कि इन नियमों पर सुझाव और फीडबैक मिलने के बाद फाइनल गाइडलाइंस जारी की जाएंगी। इस कदम से शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव की उम्मीद है।
यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया कि 23 दिसंबर 2024 को आयोग की बैठक में इन नए नियमों को मंजूरी दी गई थी। इनका उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों में फैकल्टी की भर्ती और प्रमोशन की प्रक्रिया को आधुनिक और व्यापक बनाना है।
नई शिक्षा नीति का असर
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। इसी दिशा में यूजीसी ने यह कदम उठाया है। नए नियमों में भारतीय भाषाओं में किताबों का प्रकाशन, पाठ्यक्रम अध्याय (बुक चैप्टर) और अकादमिक योग्यताओं को भी अहम हिस्सा बनाया गया है। इसका मकसद भारतीय भाषाओं को शिक्षा प्रणाली में मजबूत बनाना है।
वैश्विक स्तर पर समान प्रक्रिया
प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया कि वैश्विक स्तर पर भी इसी तरह की नियुक्ति प्रक्रिया अपनाई जाती है। अब भारत में भी इसे लागू किया जा रहा है ताकि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का दायरा बढ़ाया जा सके। कला, संगीत और नाटक में अवसरयोग, संगीत, मूर्तिकला और नाटक जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले प्रतिभाशाली लोगों को विशेष भर्ती प्रक्रिया के तहत मौका दिया जाएगा। यह कदम भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
नई चयन प्रक्रिया और योग्यता के मानदंड
नए नियमों के अनुसार, फैकल्टी चयन प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया है। अब शिक्षा जगत, शोध संस्थानों, सार्वजनिक नीति (पब्लिक पॉलिसी), प्रशासन (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) और उद्योगों से पेशेवरों को भी अवसर मिलेगा।
पीएचडी की अनिवार्यता में बदलाव
नए नियमों के तहत कुछ पारंपरिक और कला आधारित क्षेत्रों में पीएचडी की अनिवार्यता समाप्त की गई है। इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रतिभाओं को उच्च शिक्षा में योगदान देने का अवसर देना है।