mahakumb

अब Degree के साथ मिलेगा स्किल-आधारित कोर्स! UGC के नए दिशानिर्देश से छात्रों की बढ़ेगी रोजगार क्षमता

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 04 Mar, 2025 03:50 PM

ugc s new guidelines will increase the employability of students

भारत में BA, BCom और BSc जैसे पारंपरिक डिग्री कोर्स करने वाले छात्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौती नौकरी के लिए जरूरी कौशल (Skills) की कमी रही है। पुराने पाठ्यक्रम, शिक्षा और उद्योग के बीच तालमेल की कमी और सख्त नियमों के कारण डिग्री पूरी करने के बाद भी...

नेशनल डेस्क। भारत में BA, BCom और BSc जैसे पारंपरिक डिग्री कोर्स करने वाले छात्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौती नौकरी के लिए जरूरी कौशल (Skills) की कमी रही है। पुराने पाठ्यक्रम, शिक्षा और उद्योग के बीच तालमेल की कमी और सख्त नियमों के कारण डिग्री पूरी करने के बाद भी छात्रों को अच्छी नौकरियां नहीं मिल पाती थीं लेकिन अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत UGC ने डिग्री प्रोग्राम्स में स्किल-आधारित शिक्षा को शामिल करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नए नियमों का मकसद छात्रों को रोजगार योग्य बनाना और शिक्षा को अधिक प्रैक्टिकल बनाना है।

अब डिग्री के साथ मिलेगा स्किल-आधारित शिक्षा का फायदा

UGC ने निर्देश दिया है कि अब सभी उच्च शिक्षण संस्थान (HEI) अपने डिग्री प्रोग्राम्स में स्किल-आधारित पाठ्यक्रम और माइक्रो/नैनो-क्रेडेंशियल्स को जोड़ सकते हैं।

➤ इससे छात्रों को डिग्री के साथ-साथ इंडस्ट्री में काम करने के लिए जरूरी कौशल भी मिलेगा।
➤ छात्रों की पढ़ाई का बोझ नहीं बढ़ेगा बल्कि उनकी जॉब पाने की संभावना अधिक होगी।
➤ पारंपरिक शिक्षा और नौकरी की जरूरतों के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी।

छात्रों को मिलेगा लचीलापन: खुद तय कर सकेंगे अपनी शिक्षा

UGC ने राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCRF) के तहत एक नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत:

➤ छात्र अपनी शिक्षा को खुद डिजाइन कर सकते हैं।
➤ अलग-अलग विषयों से अपने पसंदीदा पाठ्यक्रम चुन सकते हैं।
➤ माइक्रो/नैनो-क्रेडेंशियल अर्जित कर सकते हैं।
➤ अकादमिक और स्किल-आधारित कोर्स का संतुलन बना सकते हैं।

स्किल-आधारित कोर्स कौन कराएगा?

➤ भारतीय कंपनियां या मल्टीनेशनल कंपनियां (MNCs) भी अब स्किल-आधारित कोर्स डिजाइन कर सकती हैं।
➤ इन कंपनियों को UGC से मंजूरी लेनी होगी।
➤ विशेषज्ञों की एक टीम इन कोर्सेस की गुणवत्ता और इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार मूल्यांकन करेगी।
➤ स्वीकृत कोर्स SWAYAM प्लस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे।
➤ इन कोर्सेस को अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) से जोड़ा जाएगा ताकि छात्रों को पूरे देश में इनका लाभ मिल सके।

स्किल-आधारित कोर्स क्यों जरूरी हैं?

1️⃣ छात्रों को इंडस्ट्री के अनुरूप तैयार करना – सिर्फ डिग्री होने से नौकरी मिलना मुश्किल होता है। कंपनियों को स्किल्ड प्रोफेशनल्स चाहिए और ये कोर्स छात्रों को इसके लिए तैयार करेंगे।
2️⃣ छात्रों को अलग से ट्रेनिंग पर खर्च नहीं करना पड़ेगा – कई बार छात्र कोर्स के बाद महंगे ट्रेनिंग प्रोग्राम्स करते हैं। अब यह सब पढ़ाई के दौरान ही मिलेगा।
3️⃣ उच्च शिक्षण संस्थानों को जवाबदेह बनाना – अब कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को यह सोचना होगा कि उनके छात्र पढ़ाई के बाद नौकरी पा रहे हैं या नहीं।
4️⃣ नई तकनीकों के अनुसार शिक्षा को अपडेट करना – डिजिटल युग में AI, Data Science, Coding, Digital Marketing जैसी नई स्किल्स की जरूरत है। इन कोर्सेस से छात्रों को भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा।

क्या बदलाव होंगे उच्च शिक्षा में?

➤ डिग्री कोर्स में स्किल-आधारित कोर्स जोड़े जाएंगे।
➤ छात्रों को अलग-अलग विषयों से कोर्स चुनने का मौका मिलेगा।
➤ उद्योग जगत से जुड़े पाठ्यक्रम कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ाए जाएंगे।
➤ छात्रों को रोजगार योग्य बनाने के लिए प्रैक्टिकल नॉलेज दी जाएगी।

अब सिर्फ डिग्री नहीं, नौकरी के लिए जरूरी स्किल्स भी मिलेंगी

➤ UGC के नए नियमों से छात्रों को सिर्फ एक पारंपरिक डिग्री नहीं मिलेगी बल्कि उन्हें इंडस्ट्री के लिए जरूरी स्किल्स भी मिलेंगी।
➤ कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अब शिक्षा के पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ना होगा और प्रैक्टिकल स्किल्स पर ध्यान देना होगा।
➤ छात्रों को अब महंगे ट्रेनिंग कोर्स करने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि यह स्किल्स उन्हें उनकी डिग्री के साथ ही मिलेंगी।

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!