Edited By rajesh kumar,Updated: 12 Dec, 2024 02:27 PM
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' योजना को मंजूरी दे दी है। सूत्रों की मानें तो इस बिल को मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान ही संसद में पेश किया जा सकता है।
नेशनल डेस्क: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' योजना को मंजूरी दे दी है। सूत्रों की मानें तो इस बिल को मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान ही संसद में पेश किया जा सकता है, जो पूरे देश में एकीकृत चुनावों का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे पहले बुधवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि केंद्र सरकार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पहल पर आम सहमति बनानी चाहिए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा राजनीतिक हितों से परे है और पूरे देश की सेवा करता है।
इस मुद्दा किसी पार्टी के नहीं बल्कि राष्ट्र के हित में- कोविंद
मुद्दे पर समिति की अध्यक्षता कर रहे कोविंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "केंद्र सरकार को आम सहमति बनानी होगी। यह मुद्दा किसी पार्टी के हित में नहीं बल्कि राष्ट्र के हित में है। यह (एक राष्ट्र, एक चुनाव) गेम चेंजर साबित होगा - यह मेरी राय नहीं बल्कि अर्थशास्त्रियों की राय है, जो मानते हैं कि इसके लागू होने के बाद देश की जीडीपी 1-1.5 प्रतिशत बढ़ जाएगी।" गौरतलब है कि इस साल सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य 100 दिनों के भीतर शहरी निकाय और पंचायत चुनावों के साथ-साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट में ये सिफारिशें प्रस्तुत की गई थीं।
पीएम ने लोकतंत्र की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया
कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस निर्णय की सराहना करते हुए इसे भारत के लोकतंत्र को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, "मंत्रिमंडल ने एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। मैं इस प्रयास की अगुवाई करने और विभिन्न हितधारकों से परामर्श करने के लिए हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी की सराहना करता हूं। यह हमारे लोकतंत्र को और अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"
बार-बार चुनाव करवाने से समय की बर्बादी - शिवराज सिंह चौहान
इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि बार-बार चुनाव कराने से समय और सार्वजनिक धन की काफी बर्बादी होती है। चौहान ने कहा कि बार-बार चुनाव होने से लोक कल्याणकारी कार्यक्रम बाधित होते हैं और परिणामस्वरूप सार्वजनिक धन का भारी व्यय होता है। चौहान ने कहा, "मैं कृषि मंत्री हूं, लेकिन चुनाव के दौरान मैंने तीन महीने प्रचार में बिताए। इससे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, अधिकारी और कर्मचारियों का समय बर्बाद होता है। सारे विकास कार्य ठप हो जाते हैं। फिर नई घोषणाएं करनी पड़ती हैं।"