Edited By Mahima,Updated: 16 Oct, 2024 03:23 PM
रतन टाटा, टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन, का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ। उनका जीवन व्यवसाय और समाज सेवा में प्रेरणादायक रहा। 11,000 हीरों से बने उनके पोर्ट्रेट ने श्रद्धांजलियों को और भी विशेष बना दिया। रतन टाटा ने कई सामाजिक परियोजनाएं शुरू कीं और...
नेशनल डेस्क: भारत के प्रमुख उद्योगपति और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ। उनका निधन पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है, और इस अवसर पर लोग उन्हें अपनी-अपनी तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे हैं। रतन टाटा को न केवल एक सफल बिजनेसमैन के रूप में जाना जाता था, बल्कि वे एक दयालु और समाज के प्रति संवेदनशील व्यक्ति के रूप में भी पहचाने जाते थे।
रतन टाटा का जीवन और करियर
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के एक स्कूल से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने bachelor degree प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से MBA की डिग्री हासिल की। रतन टाटा ने 1962 में टाटा ग्रुप में काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू कीं और विभिन्न उद्योगों में सफलता प्राप्त की। उनके कार्यकाल के दौरान, टाटा ग्रुप ने IT, steel, automobile, और telecom जैसे क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई।
11,000 हीरों से बना Portrait
उनके निधन के बाद, सूरत के एक हीरा व्यापारी ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने का एक अनोखा तरीका निकाला। उन्होंने 11,000 अमेरिकन डायमंड का उपयोग करके रतन टाटा का एक भव्य Portrait बनाया। यह Portrait न केवल कला का एक अद्भुत नमूना है, बल्कि यह रतन टाटा के प्रति श्रद्धांजलि का भी प्रतीक है।
इस Portrait के निर्माण का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया, जहां इसे देखकर लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इस वीडियो को अब तक 5 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है, और यह तेजी से वायरल हो रहा है। यूजर्स ने इस Portrait को देखकर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं, जिसमें कुछ लोगों ने इसे एक महान कार्य करार दिया है, जबकि अन्य ने कहा कि रतन टाटा इससे कहीं ज्यादा के हकदार हैं।
श्रद्धांजलि पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाओं में रतन टाटा को "भारतीय कोहिनूर" भी कहा। एक यूजर ने लिखा कि 11,000 हीरे मिलकर भी रतन टाटा जैसी असली हीरे की चमक नहीं दे सकते। इस तरह की टिप्पणियों ने यह दर्शाया कि रतन टाटा केवल एक व्यवसायी नहीं थे, बल्कि वे लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखते थे।
रतन टाटा का समाज के प्रति योगदान
रतन टाटा का जीवन न केवल व्यवसाय में बल्कि समाज सेवा में भी प्रेरणादायक रहा है। उन्हें 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण जैसे उच्च नागरिक सम्मान मिले। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कई सामाजिक परियोजनाएं शुरू कीं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य।
बड़े अधिग्रहण और उनके प्रभाव
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जैसे जगुआर लैंड रोवर (JLR) और कोरस स्टील। इन अधिग्रहणों ने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रतन टाटा ने टाटा नैनो को लॉन्च करके भारत की निम्न-आय वाली आबादी के लिए कार उपलब्ध कराई, जो उनके सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
रतन टाटा का योगदान भारतीय उद्योग और समाज में अमिट रहेगा। उनके निधन पर दी गई यह अनोखी श्रद्धांजलि न केवल उनकी याद को ताजा करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वे कितने प्रिय थे। उनके विचार, दृष्टिकोण, और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। उनकी विरासत को याद करते हुए, हम सभी को यह समझना चाहिए कि उनके जैसे लोगों का जीवन और कार्य केवल एक व्यवसायिक सफलता नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। रतन टाटा ने हमें यह सिखाया कि सफलता केवल आर्थिक लाभ में नहीं, बल्कि समाज के उत्थान में भी होती है।