एमएसपी कमेटी में नहीं शामिल होगा संयुक्त किसान मोर्चा, केंद्र सरकार पर लगाए ये आरोप

Edited By Yaspal,Updated: 19 Jul, 2022 11:49 PM

united kisan morcha will not be included in msp committee

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की समिति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले ‘‘तथाकथित किसान नेता'''' इसके सदस्य हैं

नई दिल्लीः संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की समिति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले ‘‘तथाकथित किसान नेता'' इसके सदस्य हैं। एसकेएम ने घोषणा की कि वह समिति में शामिल नहीं होगा। एसकेएम ने एक आधिकारिक बयान जारी कर आरोप लगाया कि समिति में सरकार ने अपने पांच ‘‘ निष्ठावान''लोगों को शामिल किया है। जिन्होंने खुले तौर पर तीन ‘‘किसान विरोधी''कानूनों का समर्थन किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनमें से सभी या तो सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हैं या उनकी नीतियों का समर्थन करते हैं।

एसकेएम के पांच नेताओं दर्शन पाल, हन्नान मुल्ला, जोगिंदर सिंह उगराहां, यदुवीर सिंह और योगेंद्र यादव ने बयान जारी कर कहा, ‘‘इन पांच लोगों ने खुले तौर पर तीनों कृषि विरोधी कानूनों का समर्थन किया था और इन्होंने किसान आंदोलन के खिलाफ ‘जहर उगला' था।'' एसकेएम ने कहा, ‘‘ तीन जुलाई की बैठक में हमने फैसला किया था कि हम किसी भी समिति के लिए अपने प्रतिनिधियों के नाम तभी देंगे, जब केंद्र की समिति के क्षेत्राधिकार और संदर्भ की शर्तें हमें स्पष्ट कर दी जाएंगी।''

मोर्चा ने कहा, ‘‘समिति के एजेंडे में एमएसपी पर कानून बनाने का उल्लेख नहीं है। कुछ बातें एजेंडे में शामिल की गई हैं, जिसपर पहले ही सरकारी समिति गठित की जा चुकी है। कृषि क्षेत्र में सुधार और विपणन के नाम पर इन मुद्दों को शामिल किया गया है, जिसके जरिये सरकार तीनों कानूनों को वापस लाने की कोशिश कर सकती है।'' एसकेएम नेताओं ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले यह सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी की कानूनी गांरटी हासिल करने के लिये संघर्ष जारी रहेगा।

सरकार ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेते हुए इस तरह की एक समिति के गठन का वादा किया था, जिसके आठ महीने बाद सोमवार को एमएसपी पर एक समिति का गठन किया गया। पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल समिति के अध्यक्ष होंगे। सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तीन सदस्यों को समिति में शामिल करने का प्रावधान किया है। एसकेएम के वरिष्ठ सदस्य दर्शन पाल ने आरोप लगाया कि केंद्र की समिति ‘फर्जी' दिखती है क्योंकि वह किसानों के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती।

किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि उन्हें इस समिति में कोई विश्वास नहीं है, क्योंकि इसके नियम और संदर्भ स्पष्ट नहीं हैं। दर्शन पाल ने कहा, ‘‘समिति में पंजाब का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। केंद्र द्वारा गठित यह समिति किसानों के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती है।'' एसकेएम के नेतृत्व में हजारों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक आंदोलन करते हुए अंतत: सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था।

पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी पर कानूनी गारंटी की किसानों की मांग पर चर्चा करने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था। कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में समिति की घोषणा करते हुए एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की। समिति में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के कृषि-अर्थशास्त्री सीएससी शेखर और आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह तथा कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह शामिल होंगे।

किसानों के प्रतिनिधियों में से समिति में, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किसान भारत भूषण त्यागी, एसकेएम के तीन सदस्य और अन्य किसान संगठनों के पांच सदस्य होंगे, जिनमें गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैयद पाशा पटेल शामिल हैं। किसान सहकारिता के दो सदस्य, इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी और सीएनआरआई महासचिव बिनोद आनंद समिति में शामिल हैं। कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ सदस्य, केंद्र सरकार के पांच सचिव और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के मुख्य सचिव भी समिति का हिस्सा हैं।

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