Edited By Anu Malhotra,Updated: 21 Jan, 2025 04:44 PM
उन्नाव जिले के बांगरमऊ के मोहल्ला कटरा में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। सेना में सूबेदार के पद पर तैनात आलोक सिंह की पत्नी रचना सिंह (35) और उनके दो मासूम बच्चे, सात साल का बेटा वैभव और चार साल की बेटी वैष्णवी, सोमवार सुबह अपने घर में मृत पाए गए।...
नेशनल डेस्क: उन्नाव जिले के बांगरमऊ के मोहल्ला कटरा में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। सेना में सूबेदार के पद पर तैनात आलोक सिंह की पत्नी रचना सिंह (35) और उनके दो मासूम बच्चे, सात साल का बेटा वैभव और चार साल की बेटी वैष्णवी, सोमवार सुबह अपने घर में मृत पाए गए। कमरे में कोयले की जलती अंगीठी रखी हुई थी, जिससे दम घुटने के कारण उनकी मौत की पुष्टि हुई है।
सुबह फोन न उठने पर हुई जानकारी सूबेदार आलोक सिंह वर्तमान में लद्दाख में तैनात हैं। सोमवार सुबह उन्होंने अपनी पत्नी रचना को कई बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने अपने चचेरे भाई पंकज, जो करीब 11 किलोमीटर दूर फतेहपुर चौरासी गांव में रहते हैं, से जाकर स्थिति देखने को कहा। पंकज जब बांगरमऊ स्थित घर पहुंचे, तो दरवाजा अंदर से बंद था। पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया, तो कमरे में रचना और बच्चों के शव पड़े मिले।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दम घुटने की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, तीनों की मौत खाना खाने के लगभग तीन घंटे बाद हुई। अनुमान है कि रात करीब दस बजे अंगीठी के कारण कमरे में ऑक्सीजन की कमी और कार्बन मोनोऑक्साइड की मौजूदगी से उनकी हालत बिगड़ने लगी, जिससे दम घुट गया। डॉक्टरों ने बताया कि तीनों के फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था।
सूबेदार का परिवार और जीवन आलोक सिंह की शादी 2009 में फतेहपुर चौरासी के भड़सर नौसहरा गांव की रचना से हुई थी। आलोक ने अपने परिवार को 2024 में नए मकान में शिफ्ट किया था। उनकी बेटी वैष्णवी अभी स्कूल नहीं जाती थी, जबकि बेटा वैभव स्थानीय स्कूल में कक्षा दो का छात्र था। आलोक सिंह आखिरी बार 13 अक्टूबर 2024 को बेटे के जन्मदिन पर घर आए थे।
मायके और ससुराल में मातम रचना अपने मायके में इकलौती बेटी थीं और अपने माता-पिता की बेहद लाड़ली थीं। उनकी मौत से माता-पिता शिवशंकर और मुन्नी देवी समेत दोनों भाइयों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं, ससुराल में भी सास-ससुर और आलोक की दोनों बहनें, मधु और महिमा, गहरे सदमे में हैं।
सावधानी बरतने की अपील एफएसओ शिवराम यादव ने घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बंद कमरे में अंगीठी जलाना बेहद खतरनाक है। अगर कोयले की अंगीठी का उपयोग करना हो, तो कोयला पूरी तरह जलने के बाद ही कमरे में रखें। कमरे में एक खिड़की या दरवाजा हमेशा खुला रखें और पास में पानी से भरी बाल्टी जरूर रखें। हीटर और ब्लोअर का उपयोग करते समय भी विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।