Edited By Parminder Kaur,Updated: 08 Oct, 2024 04:50 PM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को घोषणा की कि PSLV-C37 रॉकेट का ऊपरी हिस्सा पूर्वानुमान के अनुसार पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर गया है। यह रॉकेट सात साल पहले 104 उपग्रहों का रिकॉर्ड प्रक्षेपण कर चुका है। इसरो के बेंगलुरू...
नेशनल डेस्क. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को घोषणा की कि PSLV-C37 रॉकेट का ऊपरी हिस्सा पूर्वानुमान के अनुसार पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर गया है। यह रॉकेट सात साल पहले 104 उपग्रहों का रिकॉर्ड प्रक्षेपण कर चुका है। इसरो के बेंगलुरू मुख्यालय ने बताया कि PSLV-C37 को 15 फरवरी 2017 को कार्टोसैट-2डी को मुख्य पेलोड के साथ 103 अन्य उपग्रहों के साथ प्रक्षिप्त किया गया था। इस मिशन ने एक ही यान से 104 उपग्रहों को प्रक्षिप्त करने का रिकॉर्ड बनाया।
ऊपरी स्टेज का प्रदर्शन
उपग्रहों को उनकी कक्षा में पहुंचाने के बाद ऊपरी 'स्टेज' (पीएस4) लगभग 470 गुणे 494 किलोमीटर की कक्षा में रह गई। इसे नियमित रूप से मॉनिटर किया गया और इसकी कक्षीय ऊंचाई धीरे-धीरे कम होती रही। सितंबर 2024 से, आईएस4ओएम (सुरक्षित और संधारणीय अंतरिक्ष संचालन प्रबंधन के लिए इसरो प्रणाली) ने इसकी कक्षीय ऊंचाई की निगरानी की और अक्टूबर के पहले सप्ताह में वायुमंडल में पुनः प्रवेश की भविष्यवाणी की।
पुनः प्रवेश की प्रक्रिया
पुनः प्रवेश 6 अक्टूबर को हुआ और इसका प्रभाव बिंदु उत्तरी अटलांटिक महासागर में था। इसरो ने बताया कि रॉकेट के हिस्से का वायुमंडल में पुनः प्रवेश अंतरराष्ट्रीय मलबा शमन दिशा-निर्देशों के अनुसार है, जो निम्न-पृथ्वी कक्षा (एलईओ) में निष्क्रिय वस्तुओं के कक्षीय जीवन को 25 वर्षों तक सीमित करने की अनुशंसा करता है।
भविष्य की योजनाएं
इसरो ने कहा कि भविष्य के PSLV मिशनों में ऊपरी हिस्से के नियंत्रित पुनः प्रवेश की योजना बनाई गई है। संगठन ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए हैं कि PSLV के ऊपरी हिस्सों का शेष कक्षीय जीवनकाल इंजन री-स्टार्ट के माध्यम से कम ऊंचाई वाली कक्षाओं में सक्रिय रूप से डी-ऑर्बिट किया जाए।
इसरो ने अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के तहत वर्ष 2030 तक मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सक्रिय उपाय लागू करने का वादा किया है।