Edited By Mahima,Updated: 05 Feb, 2025 12:11 PM
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव से भारत को फायदा हो सकता है। अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाया, जिससे भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ सकती है। इसके साथ ही, भारत में विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि हो सकती है। पिछले डेटा के अनुसार,...
नेशनल डेस्क: अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध (US-China Trade War) अब एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने 1 फरवरी 2025 को चीन के उत्पादों पर 10% का टैरिफ (वस्तु पर अतिरिक्त शुल्क) लागू किया है। इसके बाद चीन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिका के उत्पादों पर 10 से 15 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा दिया है। यह टैरिफ युद्ध केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके वैश्विक व्यापार पर भी गहरा असर पड़ सकता है।
US-China Trade War का क्या है असर?
यह टैरिफ युद्ध अमेरिका और चीन के बीच हो रहे व्यापार विवाद का हिस्सा है। अमेरिकी सरकार का दावा है कि चीन के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का उद्देश्य चीन द्वारा व्यापारिक अनुशासन का पालन न करने और दूसरे देशों के मुकाबले अमेरिकी उत्पादों के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी माहौल बनाने को रोकना है। इसके कारण, चीन से आयात किए जाने वाले अधिकांश उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। चीन ने भी अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का जवाब दिया है। उसने अमेरिकी कोल-लिक्विफाइड गैस (LNG) पर 15%, और कृषि संबंधित उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाया है। इस व्यापार युद्ध ने चीन के साथ-साथ अमेरिका की कंपनियों को भी परेशानी में डाल दिया है, खासकर उन कंपनियों को, जो चीन में उत्पाद बनाती हैं या चीन से कच्चा माल खरीदती हैं।
भारत के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकती है यह स्थिति?
इस व्यापार युद्ध के कारण, भारत को कुछ खास फायदे हो सकते हैं, जो पिछले US-China Trade War के दौरान देखे गए थे। आंकड़ों से यह साफ होता है कि जब चीन और अमेरिका एक-दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाते हैं, तो भारत के लिए यह एक अवसर बन जाता है, क्योंकि भारत को इन दोनों देशों के बीच प्रतिस्थापन के रूप में अपने उत्पादों को बेचने का मौका मिलता है।
1. भारतीय निर्यात में वृद्धि
जब दोनों देशों के बीच टैरिफ बढ़ाए जाते हैं, तो उन देशों के उत्पाद महंगे हो जाते हैं, और इससे तीसरे देशों के उत्पादों की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में, भारत को चीन और अमेरिका दोनों के बाजारों में अपने उत्पादों का निर्यात करने का मौका मिल सकता है। भारत के उत्पाद जैसे टेक्सटाइल, गारमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, फार्मा, ऑटो कंपोनेंट्स और केमिकल्स के निर्यात में बढ़ोतरी हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, जब चीन पर भारी टैरिफ लगने के बाद अमेरिकी कंपनियां सस्ते उत्पादों के लिए भारतीय बाजार का रुख करेंगी, तो भारत का निर्यात बढ़ने के संकेत हैं।
2. भारत में विदेशी निवेश (FDI) का आकर्षण
US-China Trade War का एक और प्रभाव यह हो सकता है कि बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां चीन से अपने उत्पादन को भारत जैसे देशों में स्थानांतरित कर सकती हैं। भारत में कम श्रमिक लागत और एक बड़ा उपभोक्ता बाजार होने के कारण, कई कंपनियां भारत में निवेश करने का विचार कर सकती हैं। इससे भारत में विदेशी निवेश (FDI) बढ़ने की संभावना है। अमेरिका और चीन के व्यापार विवाद के कारण, कई बड़ी कंपनियों के लिए यह एक अवसर बन सकता है कि वे अपने उत्पादन केंद्रों को चीन से बाहर स्थानांतरित करें और भारत जैसे देशों में निवेश करें, जो की किफायती श्रम और एक मजबूत बाजार प्रदान करते हैं।
भारत-अमेरिका के व्यापारिक आंकड़े
जब पिछले US-China Trade War के दौरान अमेरिकी सरकार ने चीन पर टैरिफ बढ़ाया था, तब भारत का निर्यात लगभग 72-73 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। वर्तमान में, 2024-25 के फाइनेंशियल ईयर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 82.52 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। इसमें 52.89 अरब डॉलर का निर्यात और 29.63 अरब डॉलर का आयात शामिल है। यह दर्शाता है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध काफी मजबूत हो चुके हैं।
भारत पर टैरिफ का असर
हालांकि, अमेरिकी वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट किया था कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में कोई खास बड़ा बदलाव नहीं आएगा, लेकिन फिर भी अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि अगर अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाएगा, तो भारत इसकी समीक्षा करेगा और उचित कदम उठाएगा। US-China Trade War भारत के लिए एक अवसर साबित हो सकता है, क्योंकि इस व्यापार युद्ध के कारण भारत का निर्यात बढ़ने के साथ-साथ विदेशी निवेश में भी वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव के कारण भारतीय कंपनियों को नए बाजारों तक पहुंचने और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिल सकता है। इस प्रकार, भारत को इस स्थिति से लाभ उठाने के लिए तैयार रहना होगा।