Loan लेने वालों के लिए बड़ी खबर: अमरीका में Fed Reserve से आज आएगा दिवाली का तोहफ़ा दरें, भारत पर भी कम होगी ब्याज दरें

Edited By Anu Malhotra,Updated: 18 Sep, 2024 07:29 AM

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अमेरिकी फेडरल रिजर्व 4 वर्षों में पहली बार ब्याज दरों में कटौती करने की तैयारी में है। मार्च 2022 से जुलाई 2023 के बीच मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के प्रयास में फेड ने ब्याज दरों में 11 बार बढ़ोतरी की थी। अंतिम बार जुलाई 2023 में दरों को 25 आधार...

नेशनल डेस्क: अमेरिकी फेडरल रिजर्व 4 वर्षों में पहली बार ब्याज दरों में कटौती करने की तैयारी में है। मार्च 2022 से जुलाई 2023 के बीच मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के प्रयास में फेड ने ब्याज दरों में 11 बार बढ़ोतरी की थी। अंतिम बार जुलाई 2023 में दरों को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.25% से 5.50% किया गया, जो पिछले 23 सालों में सबसे ऊंची दर थी। तब से फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा है।

हाल ही में अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों, जैसे श्रम बाजार में नरमी और महंगाई में कमी, के चलते यह उम्मीद बढ़ी है कि फेडरल रिजर्व 25 से 50 आधार अंकों की दर में कटौती कर सकता है। पिछले हफ्ते इन संभावनाओं के कारण अमेरिकी और भारतीय शेयर बाजारों में तेजी देखी गई।

बाजार की अनिश्चितता
विश्लेषकों का मानना है कि फेड के ब्याज दरों के निर्णय को लेकर बाजार में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। दर में बड़ी कटौती से शेयर बाजार में तेजी आ सकती है, लेकिन इससे अमेरिका की आर्थिक सेहत को लेकर भी चिंता पैदा हो सकती है, जिससे निवेशकों का आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। वहीं, अगर दरों में केवल 25 आधार अंकों की कटौती की गई, तो यह बाजार को निराश कर सकता है क्योंकि निवेशक ज्यादा कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।

मध्य अवधि में बाजार की दिशा
मध्य अवधि में बाजार की दिशा फेड की नीतियों पर निर्भर करेगी, जो आर्थिक आंकड़ों पर आधारित होंगी। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो दर कटौती का चक्र शुरू होने से तुरंत बाजार में तेजी नहीं आती।

फ्रैंकलिन टेम्पलटन इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ बाजार रणनीतिकार, क्रिस वेलिप्यू का कहना है कि "बाजार की प्रतिक्रिया अक्सर आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करती है।" उन्होंने कहा, "फेड के दरों में कटौती का असर कई स्तरों पर होता है, और हमें उम्मीद है कि अन्य केंद्रीय बैंक भी दरों में कटौती करेंगे।"

अतीत के प्रदर्शन से मिले संकेत
नोमुरा द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, पिछले 6 ब्याज दर कटौती चक्रों में अमेरिका और भारत के शेयर बाजारों का प्रदर्शन ज्यादा उत्साहजनक नहीं रहा है। उदाहरण के तौर पर, 30 जुलाई 2019 को दर कटौती के तीन महीने बाद, निफ्टी 4.5% और 12 महीने बाद केवल 1.1% बढ़ा था। इस दौरान, अमेरिका का एसएंडपी 500 तीन महीने में 1% और एक साल में 8.1% चढ़ा था।

ब्रोकिंग फर्म का कहना है कि बाजार के प्रदर्शन पर असर उन आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करता है जिनके कारण दरों में कटौती की आवश्यकता हुई है।

 आरबीआई रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखेगा
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस सप्ताह कहा है कि ब्याज दरों में नरमी का फैसला किसी अल्पकालिक मासिक डेटा के बजाय दीर्घकालिक मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण से निर्देशित होगा। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए 7 से 9 अक्टूबर तक बैठक करने वाली है। सबसे अधिक संभावना है कि आरबीआई रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखेगा।

अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व 50 आधार अंकों की महत्वपूर्ण कटौती का विकल्प चुनता है या 2024-25 के दौरान ब्याज दरों में गिरावट का रुख बनाए रखता है, तो निवेशकों के लिए भारत में फंड आवंटित करने का अवसर पैदा हो सकता है क्योंकि अमेरिकी फेड और आरबीआई की रेपो दर के बीच ब्याज दर का अंतर है। नतीजतन, यह भारतीय रिजर्व बैंक के लिए मौद्रिक नीति के प्रबंधन में चुनौतियां पैदा कर सकता है।

महंगाई घटेगी तो ब्याज घटेगा
-सब्जियों, खाद्य पदार्थों और ईंधन के सस्ता होने से थोक महंगाई अगस्त 2024 में चार महीने के निचले स्तर 1.31 प्रतिशत पर आ गई है। मई 2024 में यह 3.43 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, जो जुलाई में घटकर 2.04 प्रतिशत पर आ गई और अगस्त में इसमें और 0.46 प्रतिशत की गिरावट हुई।

 भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 2024-2025 की बैठकें निम्नलिखित तिथियों पर निर्धारित हैं: 

3-5 अप्रैल, 2024 
5-7 जून, 2024
 6-8 अगस्त, 2024 
7-9 अक्टूबर, 2024 
4-6 दिसंबर, 2024
 5-7 फ़रवरी, 2025
 

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