अमेरिका का कड़ा एक्शनः ईरान से व्यापार करने वाली भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

Edited By Tanuja,Updated: 13 Oct, 2024 01:05 PM

us imposes sanctions on indian company for transporting iran

इजरायल पर किए गए मिसाइल हमले के जवाब अमेरिका ने ईरान द्वारा इज़रायल पर किए गए मिसाइल हमले के जवाब में वैश्विक स्तर पर लगभग दर्जन भर कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए...

International Desk: इजरायल पर किए गए मिसाइल हमले के जवाब   अमेरिका ने ईरान द्वारा इज़रायल पर किए गए मिसाइल हमले के जवाब में वैश्विक स्तर पर लगभग दर्जन भर कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन प्रतिबंधित कंपनियों में भारत की गब्बारो शिप सर्विसेज भी शामिल है, जो अपने टैंकर हार्नेट के जरिए ईरानी तेल की एशियाई देशों में आपूर्ति करती थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, गब्बारो शिप सर्विसेज का टैंकर हार्नेट तथाकथित "घोस्ट फ्लीट" का हिस्सा है, जो ईरान से पेट्रोलियम पदार्थों की अवैध आपूर्ति के लिए कुख्यात है। अमेरिका के इस कदम का उद्देश्य ईरान के तेल व्यापार पर अंकुश लगाना और इज़रायल पर किए गए हमले के लिए ईरान को आर्थिक रूप से दंडित करना है।

 

इन प्रतिबंधों के तहत अब प्रतिबंधित कंपनियां अमेरिकी वित्तीय प्रणाली का उपयोग नहीं कर सकेंगी और अमेरिकी बाजारों में व्यापार करने से रोक दी जाएंगी। अमेरिका ने यह कार्रवाई ईरान के साथ तेल व्यापार में शामिल कंपनियों पर कड़ा संदेश देने के लिए की है। 1 अक्टूबर को ईरान द्वारा इज़रायल पर मिसाइल हमला किए जाने के बाद यह प्रतिबंध लगाया गया है, जिसमें अमेरिका ने इज़रायल का समर्थन करते हुए ईरानी तेल व्यापार से जुड़े संगठनों को निशाना बनाया है। अमेरिका द्वारा भारतीय कंपनी गब्बारो शिप सर्विसेज और अन्य अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंध, ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ते तनाव और ईरानी तेल व्यापार पर लगाम कसने की दिशा में एक बड़ा कदम माने जा रहे हैं। 

 

ईरान और इज़रायल के बीच हालिया विवाद
ईरान और इज़रायल के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है, जो कई बार सैन्य संघर्ष में बदल जाता है। 1 अक्टूबर 2024 को ईरान ने इज़रायल पर मिसाइल हमले किए, जिनमें कई नागरिक और इज़रायली ठिकाने निशाना बने। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को और गहरा कर गया और अमेरिका के साथ इज़रायल की सुरक्षा को चुनौती देने का काम किया।

 

अमेरिका की सख्त कार्रवाई
इस हमले के जवाब में अमेरिका ने ईरान के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर सख्त कार्रवाई की। अमेरिकी प्रशासन ने सीधे तौर पर ईरान की तेल अर्थव्यवस्था को निशाना बनाया। अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार करने वाली लगभग दर्जन भर कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए, जिनका मुख्य कारोबार ईरानी तेल का निर्यात और वितरण करना है।

 

गब्बारो शिप सर्विसेज का किरदार
भारत की गब्बारो शिप सर्विसेज उन कंपनियों में शामिल है, जो ईरान से तेल आयात कर इसे एशियाई देशों में सप्लाई करती है। यह कंपनी अपने टैंकर हार्नेट के माध्यम से ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई करती है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह टैंकर ईरान की "घोस्ट फ्लीट" का हिस्सा है। घोस्ट फ्लीट उन जहाजों और टैंकरों के नेटवर्क को संदर्भित करता है, जो प्रतिबंधों से बचने के लिए अपनी गतिविधियों को छिपाते हुए तेल का अवैध रूप से परिवहन करते हैं।

 

 प्रतिबंधों का प्रभाव
अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के तहत गब्बारो शिप सर्विसेज और अन्य कंपनियां अमेरिकी वित्तीय प्रणाली में कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं कर सकेंगी। इसका मतलब है कि इन कंपनियों की अमेरिकी बैंकों में जमा राशि फ्रीज़ हो जाएगी और उन्हें अमेरिकी डॉलर में कारोबार करने की अनुमति नहीं होगी। यह कदम ईरान के तेल निर्यात को सीमित करने की दिशा में है, क्योंकि ईरान की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा तेल व्यापार पर निर्भर है।

 

एशियाई देशों से ईरान के व्यापारिक संबंधों पर पड़ेगा असर
ये प्रतिबंध न केवल ईरानी तेल व्यापार को प्रभावित करेंगे, बल्कि उन एशियाई देशों के साथ भी ईरान के व्यापारिक संबंधों पर असर डालेंगे, जो ईरानी तेल का आयात करते हैं। भारत, चीन, और अन्य एशियाई देश, जो ईरानी तेल का बड़ा बाजार हैं, इस प्रतिबंध से सीधे प्रभावित हो सकते हैं।

 

ईरान के तेल व्यापार पर कड़ी निगरानी 
अमेरिका के इन प्रतिबंधों के बाद ईरान के तेल व्यापार पर कड़ी निगरानी रहेगी। इसके अलावा, ऐसी कंपनियाँ जो ईरान से तेल आयात करती हैं, उन्हें अपने व्यापारिक मॉडल में बदलाव करना पड़ सकता है। एशियाई बाजारों में ईरानी तेल की आपूर्ति कम होने से तेल की कीमतों में अस्थिरता देखने को मिल सकती है।

 

अमेरिका-ईरान के बीच बढ़ेगा कूटनीतिक तनाव
इस कार्रवाई से अमेरिका-ईरान के बीच कूटनीतिक तनाव और बढ़ सकता है। साथ ही, भारत जैसी तटस्थ भूमिका निभाने वाले देशों पर भी दबाव बनेगा कि वे किस प्रकार से अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करते हैं, खासकर जब उनके व्यापारिक साझेदारों पर प्रतिबंध लगते हैं।
 

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