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अमेरिका ने बदला नियम, इस जगह का नाम मिलने पर नहीं मिलेगा वीजा!

Edited By Parminder Kaur,Updated: 19 Apr, 2025 11:18 AM

us marco rubio announced foreign visa applicants who visit gaza strip

अमेरिका ने वीजा से जुड़ी अपनी नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जो भी विदेशी नागरिक 1 जनवरी 2007 के बाद गाजा पट्टी का दौरा कर चुका है वीजा आवेदन करते समय उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की जाएगी। यह फैसला अमेरिकी विदेश विभाग ने सचिव मार्को...

इंटरनेशनल डेस्क. अमेरिका ने वीजा से जुड़ी अपनी नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जो भी विदेशी नागरिक 1 जनवरी 2007 के बाद गाजा पट्टी का दौरा कर चुका है वीजा आवेदन करते समय उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की जाएगी। यह फैसला अमेरिकी विदेश विभाग ने सचिव मार्को रुबियो के नेतृत्व में लिया है।

सभी वीजा आवेदनों पर लागू होगा नियम

यह नया नियम सभी तरह के वीजा चाहे वह अप्रवासी हो या गैर-अप्रवासी  पर लागू किया गया है। इनमें छात्र वीजा, टूरिस्ट वीजा, डिप्लोमैटिक वीजा और यहां तक कि गैर-सरकारी संगठनों (NGO) में काम करने वाले कर्मचारियों व स्वयंसेवकों के लिए भी यह नीति लागू होगी।

गाजा से जुड़े लोगों पर डिजिटल निगरानी

इस बदलाव के पीछे अमेरिका का तर्क है कि गाजा पट्टी से लौटने वाले लोग संभावित सुरक्षा जोखिम हो सकते हैं। इसलिए यदि वीजा आवेदन करने वाले व्यक्ति के सोशल मीडिया या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ऐसा कोई कंटेंट पाया जाता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है, तो उसका वीजा विशेष समीक्षा प्रक्रिया (inter-agency review) के लिए भेज दिया जाएगा। सचिव मार्को रुबियो के अनुसार, 2025 की शुरुआत से अब तक 300 से अधिक वीजा रद्द किए जा चुके हैं, जिनमें कई छात्र वीजा शामिल हैं।

इजरायल की आलोचना करने वालों पर नजर?

रिपोर्ट्स बताती हैं कि ऐसे कई छात्रों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं, जिन्होंने गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना की थी। इस कदम को कई लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं। हालांकि अमेरिका का संविधान हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है, फिर चाहे वह नागरिक हो या वीजा होल्डर।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय भी बना निशाना

ट्रंप प्रशासन ने इस पूरे मुद्दे में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को भी निशाना बनाया है। गाजा संघर्ष के बाद हार्वर्ड परिसर में हुए विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार ने यूनिवर्सिटी से कई सख्त मांगें कीं

पॉजिटिव एक्शन (आरक्षण) को खत्म करना,

उन छात्रों की स्क्रीनिंग करना जो "अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ" हो सकते हैं,

यहूदी विरोधी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई।

जब यूनिवर्सिटी ने इन मांगों को नहीं माना, तो $2 बिलियन की फेडरल फंडिंग रोक दी गई। यहां तक कि होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने कहा कि हार्वर्ड अब अंतरराष्ट्रीय छात्रों को बुलाने के योग्य नहीं है।

क्या यह नीति अमेरिकी संविधान की भावना के खिलाफ है?

संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठनों और कई शिक्षाविदों ने इस नई नीति की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह एक तरह की डिजिटल सेंसरशिप है और इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है। यह कदम उन छात्रों, कार्यकर्ताओं और मानवीय संगठनों को चुप कराने का एक तरीका माना जा रहा है, जो इजरायल या अमेरिकी नीतियों की आलोचना करते हैं। साथ ही यह नीति विदेशी नागरिकों में डर का माहौल भी पैदा कर रही है।

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