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महाकुंभ 2025: हर कोण से निगरानी, सुरक्षा के लिए AI और स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल

Edited By rajesh kumar,Updated: 19 Jan, 2025 02:06 PM

use of ai smart technology monitoring and security every angle

महाकुंभ, जो इस समय प्रयागराज में आयोजित हो रहा है, एक विशाल धार्मिक आयोजन है, जिसमें हर दिन लाखों लोग शामिल हो रहे हैं। 10,000 एकड़ में फैले इस अस्थायी शहर में एक समय में एक करोड़ से अधिक तीर्थयात्री और साधु-संत रहते हैं।

प्रयागराज (नरेश अरोड़ा) : महाकुंभ, जो इस समय प्रयागराज में आयोजित हो रहा है, एक विशाल धार्मिक आयोजन है, जिसमें हर दिन लाखों लोग शामिल हो रहे हैं। 10,000 एकड़ में फैले इस अस्थायी शहर में एक समय में एक करोड़ से अधिक तीर्थयात्री और साधु-संत रहते हैं। इसके साथ ही प्रतिदिन लगभग 20 लाख पर्यटक यहां आते हैं। इस विशाल भीड़ को संभालने के लिए एकीकृत नियंत्रण कमांड सेंटर (ICCC) द्वारा निरंतर निगरानी रखी जा रही है, ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे और भीड़ का सही तरीके से प्रबंधन हो सके।

चार ICCC में 400 से अधिक लोग बड़ी स्क्रीन पर लाइव फुटेज और डेटा को देखकर भीड़ की स्थिति पर नजर बनाए रखते हैं। इस निगरानी प्रणाली में 3,000 से अधिक कैमरे, पानी के नीचे के ड्रोन और 60,000 से अधिक सुरक्षा कर्मी शामिल हैं। यह महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 45 दिनों तक चलेगा। अब तक सात करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों ने संगम पर पवित्र स्नान किया है, जो गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का संगम है।
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ICCC का कार्यप्रणाली और AI का उपयोग
आईसीसीसी के प्रभारी पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि अब तक जो डेटा एकत्रित किया गया है, वह बेहद सटीक है, ताकि कोई अनुमान न किया जाए। उन्होंने कहा, "यह पहली बार है जब इस स्तर पर भीड़ प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल हो रहा है। हमने मेला क्षेत्र और शहर में 3,000 से अधिक कैमरे लगाए हैं, जिनमें से 1,800 कैमरे AI-सक्षम हैं। अब हमें अनुमान नहीं लगाना पड़ता, क्योंकि सभी डेटा वास्तविक समय पर उपलब्ध होते हैं।"

अगर किसी स्थान पर भीड़ का घनत्व अधिक हो जाता है, तो तुरंत स्क्रीन पर अलर्ट दिखाई देता है, और यह जानकारी वायरलेस ग्रिड्स के माध्यम से ग्राउंड टीम्स तक पहुंचाई जाती है। इसके बाद संबंधित स्थानों पर जरूरी बदलाव किए जाते हैं। सुरक्षा को लेकर 13 आकस्मिक योजनाएं तैयार की गई हैं, जिनमें से हर एक योजना का तरीका अलग होता है।
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10 घंटे की शिफ्टों में काम कर रहे पुलिसकर्मी 
कमान सेंटर में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बताया कि वे 10 घंटे की शिफ्टों में काम करते हैं, और एक कॉल सेंटर भी तीर्थयात्रियों की शिकायतों और सूचनाओं पर ध्यान देता है। कॉल सेंटर पुलिस हेल्पलाइन, महिला हेल्पलाइन, फायर और एम्बुलेंस सेवाओं से जुड़ा हुआ है, जिससे किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में तुरंत मदद मिल सके।

सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की चुनौती
महाकुंभ में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 60,000 से अधिक पुलिसकर्मी और 56 पुलिस स्टेशन तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, घाटों और मेला क्षेत्र में कुल 30 पोंटून पुल और भव्य प्रवेश व निकासी द्वारों पर कैमरे की निगरानी रखी जा रही है।

महाकुंभ नगर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि प्रशासन रेलवे और रोडवेज के साथ मिलकर तीर्थयात्रियों के आगमन का डेटा जांचता है। इसके साथ ही, 17 प्रवेश बिंदुओं पर भीड़ की निगरानी की जाती है, ताकि किसी भी प्रकार की भीड़भाड़ को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।
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प्रौद्योगिकी की मदद से भीड़ प्रबंधन
सरकार के अनुसार, इस बार महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक लोग शामिल होने का अनुमान है। इसलिए, भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है, लेकिन AI के द्वारा इसे संभालने में बहुत मदद मिल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बारे में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी से अधिकारियों को भेजने के लिए पत्र लिखा है, ताकि वे भीड़ प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर सकें।

महाकुंभ में सुरक्षा और सही भीड़ प्रबंधन को लेकर हमेशा बड़ी चिंता रहती है। 1954 में एक भीड़ दुर्घटना में 400 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि 2013 में भी 36 लोग मारे गए थे। ऐसे में इस बार की व्यवस्था के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

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