Edited By Yaspal,Updated: 05 Feb, 2019 08:38 PM
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि आधार बायोमीट्रिक का इस्तेमाल शवों की पहचान जैसे फोरेंसिक उद्देश्यों के लिये करना वैधानिक और तकनीकी रूप...
नई दिल्लीः भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि आधार बायोमीट्रिक का इस्तेमाल शवों की पहचान जैसे फोरेंसिक उद्देश्यों के लिये करना वैधानिक और तकनीकी रूप से व्यवहारिक नहीं है। यूआईडीएआई ने मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमुर्ति वी के राव की पीठ को बताया कि आधार बायोमीट्रिक्स का इस्तेमाल शवों की पहचान के लिये करना आधार अधिनियम के विपरीत है।
प्राधिकरण की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय ने भी पिछले साल के अपने एक फैसले में कहा था कि बायोमीट्रिक्स का इस्तेमाल अधिनियम में तय उद्देश्यों के इतर किसी और उद्देश्य के लिये नहीं होना चाहिए। यूआईडीएआई ने कहा कि आधार अधिनियम को सुशासन और सब्सिडियों, फायदों, सेवाओं और सामाजिक योजनाओं के प्रभावी, पारदर्शी और लक्षित वितरण के लिये बनाया गया था।
हालांकि, याचिकाकर्ता अमित साहनी ने अदालत से कहा कि आधार का इस्तेमाल लापता बच्चों की तलाश और पहचान के लिये किया जा रहा है इसलिये इसका इस्तेमाल अज्ञात शवों की पहचान के लिये भी किया जा सकता है। साहनी के जवाब पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने यूआईडीएआई से जवाब मांगते हुए मामले की अगली तारीख 23 अप्रैल को तय की।