Ustad Zakir Hussain: 12 साल की उम्र में शुरू की थी संगीत यात्रा, 5 रुपये थी पहली फीस, कलाकार के रूप में भी थे मशहूर

Edited By Mahima,Updated: 16 Dec, 2024 09:34 AM

ustad zakir hussain started his musical journey at the age of 12

उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन 73 वर्ष की आयु में हृदय संबंधी समस्याओं के कारण हुआ। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई और 5 बार ग्रैमी पुरस्कार जीतने के साथ ही पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मान प्राप्त किए। उनका...

नेशनल डेस्क: मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हुआ, जहां वह कुछ दिनों से हृदय संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती थे। उनके परिवार ने सोमवार को उनके निधन की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। उनका निधन भारतीय और वैश्विक संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। 

दो बेटियों के पिता उस्ताद जाकिर हुसैन 
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वह महान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी के बेटे थे, जिन्होंने अपनी जीवनभर की साधना से भारतीय शास्त्रीय संगीत की धारा को नई दिशा दी थी। उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने पिता से संगीत की शिक्षा ली और बहुत कम उम्र में ही तबला वादन में अपनी महक को महसूस कराया। उनकी मां का नाम बीवी बेगम था। जाकिर हुसैन के परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला, दो बेटियां अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी, और उनके भाई तौफीक और फजल कुरैशी शामिल हैं। उनके परिवार ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा है कि वह अपने पीछे एक अविस्मरणीय संगीत धरोहर छोड़ गए हैं। 

संगीत की दुनिया में जाकिर हुसैन का योगदान
उस्ताद जाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे बड़े नामों में से एक थे और उनका योगदान संगीत की दुनिया में हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने अपने करियर में छह दशकों तक तबला वादन के क्षेत्र में महारत हासिल की और भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। जाकिर हुसैन का संगीत न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत में गहराई से जुड़ा हुआ था, बल्कि वह पश्चिमी संगीत के साथ फ्यूजन बनाने में भी अग्रणी थे। वह 1970 और 1980 के दशकों में फ्यूजन बैंड 'शक्ति' के सदस्य रहे, जो भारतीय और पश्चिमी संगीत का अनूठा मिश्रण था। इस बैंड की शुरुआत 1973 में इंग्लिश गिटारिस्ट जॉन मैकलॉलिन, भारतीय वायलिन प्लेयर एल. शंकर, तबला वादक जाकिर हुसैन और टी.एच. विक्कू विनायकराम के साथ हुई थी। 

5 बार मिला ग्रैमी अवॉर्ड्स 
उस्ताद जाकिर हुसैन को अपने करियर में 5 बार प्रतिष्ठित ग्रैमी पुरस्कार से नवाजा गया, जो उनके अद्वितीय संगीत कौशल का प्रमाण है। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय सरकार से 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण जैसे उच्चतम नागरिक सम्मान प्राप्त किए। ये पुरस्कार उनकी संगीत यात्रा और कला के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सलाम करते हैं।

दुनिया भर में सम्मानित कलाकार
उस्ताद जाकिर हुसैन का योगदान न केवल भारतीय संगीत के क्षेत्र में था, बल्कि उन्होंने पूरे विश्व में भारतीय शास्त्रीय संगीत को फैलाने और उसे एक नई पहचान देने का काम किया। वह अमेरिका और यूरोप के कई बड़े संगीत महोत्सवों में भाग लेते रहे थे। उनका संगीत सुनने के लिए दुनिया भर से लोग आते थे, और उनकी कला ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया। 

संगीत से सजी जाकिर हुसैन की विरासत
जाकिर हुसैन का संगीत न केवल उनके दौर के सबसे बेहतरीन तबला वादक के रूप में जाना जाएगा, बल्कि उनकी अद्भुत साधना, अनुशासन और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें भारतीय और वैश्विक संगीत जगत का अनमोल रत्न बना दिया। उनका संगीत पूरी दुनिया में एक पुल के रूप में काम करता था, जो विभिन्न संस्कृतियों और पीढ़ियों को जोड़ता था। 

विभिन्न कलाकारों के साथ सहयोग
उस्ताद जाकिर हुसैन का संगीत कैरियर न सिर्फ भारतीय कलाकारों तक सीमित था, बल्कि उन्होंने विदेशी कलाकारों के साथ भी काम किया। उन्होंने जॉन मैकलॉलिन, पिच्चर, माइकल जैक्सन, जोनाथन कोंड्रास, और दूसरे पश्चिमी संगीतकारों के साथ मिलकर कई अद्भुत प्रदर्शन किए। वह अपने विशेष संगीत कार्यक्रमों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध थे और उनकी संगीतमाला को श्रोताओं ने हमेशा सराहा।

भारत और दुनियाभर में शोक की लहर
उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर सुनते ही भारत और दुनिया भर के संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। भारत के प्रमुख नेताओं और शख्सियतों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन भारतीय संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी धुनों ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में संगीत के प्रति प्रेम को जागृत किया था। उनकी कला ने पीढ़ियों को एक-दूसरे से जोड़ा और संगीत की एक नई दिशा दी।"

संगीत प्रेमियों के लिए बड़ी हानि
उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन संगीत जगत के लिए एक बडी हानि है। हालांकि उनका शास्त्रीय और फ्यूजन संगीत की अनमोल धरोहर हमेशा जीवित रहेगी, लेकिन उनके जैसा कलाकार फिर से पैदा होना मुश्किल है। उनका संगीत उन सभी के दिलों में हमेशा गूंजता रहेगा जो उनके साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके हैं। 

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