Edited By Anu Malhotra,Updated: 11 Apr, 2025 09:55 AM
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अपने संगठन को पूरी तरह सक्रिय और व्यवस्थित करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने जा रही है। जिन 28 जिलों में अब तक जिलाध्यक्षों की घोषणा नहीं हुई थी, वहां अब प्रक्रिया अंतिम चरण में है। पार्टी सूत्रों की मानें तो...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी संगठनात्मक बदलाव की ओर बढ़ रही है और अब सभी की निगाहें नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा पर टिकी हैं। सूत्रों के मुताबिक, अगले हफ्ते तक यूपी भाजपा को नया अध्यक्ष मिल सकता है। पार्टी के अंदरखाने से खबर है कि पिछड़े वर्ग से आने वाला एक वरिष्ठ नेता रेस में सबसे आगे चल रहा है, और केंद्रीय नेतृत्व की भी उस पर सहमति बनती दिख रही है।
वर्तमान में प्रदेश के 98 संगठनात्मक जिलों में से 70 जिलों में अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है, जबकि बचे हुए जिलों में प्रक्रिया अंतिम चरण में है। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही पार्टी संगठन को और गति देने की तैयारी है।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी जल्द प्रस्तावित है, और माना जा रहा है कि उसी दौरान प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी अंतिम मुहर लग सकती है।
संगठनात्मक मजबूती की दिशा में केंद्र का सख्त रुख
पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व अब और देरी के पक्ष में नहीं है। पहले यह माना जा रहा था कि नए प्रदेश अध्यक्ष की सहमति से बाकी जिलाध्यक्ष तय होंगे, लेकिन हाईकमान का साफ निर्देश है कि संगठनात्मक प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए ताकि आगामी चुनावों की तैयारी में कोई ढिलाई न रह जाए। यही वजह है कि अब जिलाध्यक्षों की सूची को अंतिम रूप देने में प्रदेश संगठन पूरी तरह जुट गया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भी अटकलें तेज
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के 17-18 अप्रैल को बेंगलुरु में होने की चर्चा है, और वहीं पर नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा की संभावनाएं जताई जा रही थीं। हालांकि अभी तक बैठक की तारीखों पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व में भी बदलाव की अटकलें तेज हैं।
प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में पिछड़ा वर्ग के नेता सबसे आगे
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि उत्तर प्रदेश भाजपा को अगले एक सप्ताह के भीतर नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है। इस बार पार्टी का फोकस सामाजिक संतुलन बनाने पर है, और इसी रणनीति के तहत पिछड़े वर्ग से किसी मजबूत नेता को कमान सौंपे जाने की संभावना सबसे प्रबल है।