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उत्तराखंड बना UCC लागू करने वाला पहला राज्य, कैबिनेट ने दी मंजूरी

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 20 Jan, 2025 02:06 PM

uttarakhand became the first state to implement ucc cabinet approved

उत्तराखंड की कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता (UCC) की नियमावली को मंजूरी दे दी है। यह प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक फैसला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि इसे जल्द ही पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। यह उत्तराखंड को देश का पहला ऐसा राज्य...

नेशनल डेस्क। उत्तराखंड की कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता (UCC) की नियमावली को मंजूरी दे दी है। यह प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक फैसला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि इसे जल्द ही पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। यह उत्तराखंड को देश का पहला ऐसा राज्य बनाएगा जो यूसीसी लागू करेगा।

सर्वसम्मति से दी गई UCC को मंजूरी

मुख्यमंत्री धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई जिसमें यूसीसी की नियमावली का प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। सीएम धामी ने बताया कि 2022 में उन्होंने जनता से वादा किया था कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू किया जाएगा। अब सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।

21 जनवरी को मॉक ड्रिल

समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने से पहले 21 जनवरी को पूरे प्रदेश में मॉक ड्रिल की जाएगी। इस दौरान सरकारी वेब पोर्टल पर विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशन, वसीयत आदि के पंजीकरण का अभ्यास किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यूसीसी लागू होने पर कोई तकनीकी समस्या न आए। मॉक ड्रिल के दौरान अधिकारी और कर्मचारी वेब पोर्टल पर लॉगिन करेंगे और सेवाओं की प्रक्रिया को परखेंगे।

घोषणा से लागू होने तक का सफर

फरवरी 2022: सीएम धामी ने विधानसभा चुनाव के दौरान यूसीसी लागू करने की घोषणा की।
मई 2022: सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन हुआ।
जनवरी 2024: विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
फरवरी 2024: विधानसभा में यूसीसी विधेयक पारित हुआ।
मार्च 2024: राष्ट्रपति ने विधेयक को मंजूरी दी।
जनवरी 2025: कैबिनेट ने नियमावली को अंतिम मंजूरी दी।

यूसीसी लागू होने से क्या बदलाव होंगे?

एक कानून: सभी धर्मों और समुदायों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और संपत्ति के लिए एक ही कानून होगा।
शादी का पंजीकरण अनिवार्य: शादी और तलाक का पंजीकरण न कराने पर ₹25,000 जुर्माना लगेगा और सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
महिला अधिकार: महिलाएं तलाक के लिए समान अधिकारों का उपयोग कर सकेंगी।
हलाला और इद्दत की प्रथा खत्म: महिलाओं को दोबारा शादी के लिए किसी शर्त का पालन नहीं करना होगा।
लिव-इन संबंध: लिव-इन में रहने वालों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। उनके बच्चों को भी जैविक संतान का दर्जा मिलेगा।
संपत्ति के अधिकार: बेटा और बेटी दोनों को संपत्ति में समान अधिकार होंगे।
नाजायज बच्चे: नाजायज बच्चों को भी जैविक संतान का दर्जा मिलेगा।
वसीयत का अधिकार: कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति किसी को भी वसीयत से दे सकता है।

लोगों पर क्या पड़ेगा असर?

यूसीसी लागू होने से समाज में समानता बढ़ेगी। सभी नागरिक एक ही कानून का पालन करेंगे। महिलाओं और बच्चों को उनके अधिकार मिलने में मदद होगी। लिव-इन और तलाक जैसे मुद्दों पर स्पष्टता आएगी।

अंत में बता दें कि यह कदम उत्तराखंड को प्रगतिशील और आधुनिक समाज की ओर ले जाने वाला बड़ा फैसला माना जा रहा है।

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