Edited By ,Updated: 08 Mar, 2017 12:33 PM
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अगर बचपन से लेकर वर्तमान तक के जीवन और उनके कार्यों को एक शब्द में बयां किया जाएं तो वह शब्द होगा “सेवा”।
जयपुर: राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अगर एक शब्द में बचपन से लेकर वर्तमान तक के जीवन और उनके कार्यों को बयां किया जाएं तो वह शब्द होगा “सेवा”। वसुंधरा राजे का जन्म 8 मार्च, 1953 को मुम्बई में हुआ। वसुंधरा राजे एक ऐसी महिला हैं जिन्हें दो बार राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। उनका जन्म भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन हुआ और वो देश की महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की मिसाल बनकर उभरीं। राजस्थान जैसे प्रदेश में जहां महिलाएं चूल्हा चौकर और घूंघट से बाहर नहीं निकल पातीं वहां पर वसुंधरा राजे की कामयाबी ने लाखों महिलाओं के सपनों को उड़ान दी और आज मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे उनके लिए रोल मॉडल बनकर उभरी हैं। उनकी सफलता की कहानी संघर्ष भरी है, लेकिन जनता के भरोसे ने उन्हें लोकप्रियता के शिखर पहुंचाया है, जिसके आसपास राजस्थान को कोई नेता नहीं पहुंच पाया। वसुंधरा राजे के माता-पिता अत्यंत प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से गिने जाते थे, जिन्होंने भारतीय सार्वजनिक जीवन के लिए अमूल्य योगदान दिया।
वसुंधरा राजे के पिता महाराजा जीवाजी राव सिंधिया, ग्वालियर के शासक थे। ग्वालियर, आजादी से पूर्व भारत के मध्य में स्थित सबसे भव्य राज्य हूआ करता था। उनकी माता, राजमाता विजयाराजे सिंधिया आजादी के पश्चात् एक महान नेता के रूप में उभरी, जिन्हें उनकी सादगी, उच्च विचारधारा और वैचारिक प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता था, वह गरीब से गरीब जनता के प्रति बेहद समर्पित थी। 40 साल के राजनीतिक कार्यकाल के दौरान, उन्हें कुल 8 बार मध्यप्रदेश के गुना क्षेत्र से संसद का प्रतिनिधत्व चुना गया, जो कि एक रिकॉर्ड है। राजमाता सिंधिया को जनसंघ और भाजपा के कई दिग्गजों जैसे-अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ काम करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था।
वसुंधरा राजे एक ऐसे माहौल में पैदा हुई थी, जहां सेवा, देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति समर्पण ही सबसे महत्वपूर्ण था। वह अपने माता-पिता, महाराज जीवाजी और विजायाराजे जी की चार संतानों में से तीसरे नंबर की संतान थी। उनकी बड़ी बहन ऊषा राजे जी की शादी नेपाल के सबसे प्रतिष्ठित परिवार में हुई, जो वर्तमान में वहीं है। उनके बड़े भाई स्वर्गीय माधवराव सिंधिया, भारत के सफल नेताओं में से गिने जाते थे लेकिन 2001 में असामयिक घटना में उनका निधन हो गया था। वसुंधरा राजे की छोटी बहन यशोधरा राजे जी है, जो ग्वालियर से सांसद के रूप में भाजपा का प्रतिनिधित्व करती है।
राजनीतिक सफर
वसुन्धरा राजे का राजनीति में पदार्पण सन् 1984 में हुआ, जब उन्होंने नवगठित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्यता ली। मात्र एक वर्ष बाद ही इन्हें राजस्थान भाजपा के युवा मोर्चे का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसी वर्ष वे धौलपुर से 8वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य के रूप में भी निर्वाचित हुई। इस जीत ने एक बार फिर से वसुन्धरा के जनसेवा और समर्पण का परिचय दिया। दरअसल यह वह समय था जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस और राजीव गांधी को विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत प्राप्त हुआ था लेकिन वसुन्धरा ने पूरे देश में कांग्रेस का बहुमत होने के बावजूद विधानसभा चुनावों में सफलता हासिल की थी। इन्हीं सफलताओं के कारण सन् 1987 में उन्हें राजस्थान भाजपा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। वसुन्धरा राजे जी केंद्रीय मंत्री के रूप में मार्च 1998 में 12वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए, जिसमें भाजपा को 182 सीटों के साथ ज़बरदस्त जनादेश मिला। मार्च 1998 में वे न केवल एक सांसद के रूप में निर्वाचित हुईं, बल्कि इन्हें राज्य मंत्री के रूप में विदेश मंत्रालय का काम भी सौंपा गया। विदेश राज्य मंत्री के रूप में राजे ने विभिन्न देशों की यात्रा की और भारत के साथ उन देशों के संबंधों को और मजबूती प्रदान की। 11 और 13 मई 1998 को केंद्र की भाजपा सरकार ने वह कर दिखाया जो अभी तक किसी भी केंद्रीय सरकार ने नहीं किया था।
सुराज संकल्प रथ पर हुईं सवार
साल 2013 में सुराज संकल्प रथ पर सवार होकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जब प्रदेश के दौरे पर निकलीं तो उनकी झलक पाने जनसैलाब उमड़ पड़ा था। पूरे प्रदेश के दौरे में राजे जहां भी गईं वहां लोगों ने अपनी इस महबूब नेता के स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ी। हजारों की भीड़ उनका घंटों इंतजार करती रही, उनके प्रचार की सुनामी ने कांग्रेसी खेमे में खलबली मचा दी थी और चुनाव के बाद जब नतीजे आए तो भाजपा के खाते में 163 सीटें थीं।
चारों खानें चित्त हुई थी कांग्रेस
2013 में सीएम राजे के सामने कांग्रेस चारों खाने चित्त हो चुकी थीं। राजे की आंधी में अशोक गहलोत को छोड़ लगभग सभी नेता बुरी तरह से चुनाव हार गए थे। सीएम बनने के बाद राजे का क्रेज जनता जनार्दन के बीच लगातार बढ़ता गया। क्या किसान, क्या मजदूर, क्या व्यापारी, क्या खिलाड़ी और क्या कर्मचारी सब उनकी कार्यशैली से बेहद प्रभावित हैं।
किसानों को दीं सौगातें
किसानों को वसुंधरा राजे ने एक से बढ़कर एक सौगात दी। मुख्यमंत्री निवास के दरवाजे किसानों के लिए हमेशा खुले हैं। किसानों की खुशी में सीएम राजे खुद भी शामिल होती हैं, तो अन्नदाता के चेहरे पर मुस्कान रोके नहीं रूकती। बिजली की बढ़ी हुई कीमतें वापिस लेने के बाद राजस्थान के किसान की खुशी का ठिकाना नहीं है इसलिए मुख्यमंत्री का किसानों के बीच निराला अंदाज काश्तकारों को खूब रास आ रहा है।