Vegetable prices hike: Veg थाली पर दिखी 11% महंगाई की मार , Non-Veg थाली की कीमतों में आई गिरावट

Edited By Mahima,Updated: 05 Oct, 2024 10:25 AM

veg thali sees 11 inflation non veg thali prices fall

हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में शाकाहारी थाली की कीमत 11% बढ़ गई है, जबकि नॉन-वेज थाली की कीमतों में 2% की कमी आई है। प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में क्रमशः 53%, 50% और 18% की वृद्धि हुई है। ईंधन की लागत में 11% की गिरावट ने थाली की कुल लागत...

नेशनल डेस्क: हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर महीने में घर में पकाई जाने वाली शाकाहारी थाली की कीमतों में सालाना आधार पर 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, मांसाहारी थाली की कीमतों में 2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। यह जानकारी क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स द्वारा प्रदान की गई है, जिसने खाद्य पदार्थों की कीमतों पर एक गहन अध्ययन किया है।

शाकाहारी थाली की महंगाई का कारण
रिपोर्ट के अनुसार, शाकाहारी थाली की बढ़ी हुई लागत का मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में हुई वृद्धि है। सब्जियाँ थाली की कुल लागत का लगभग 37 प्रतिशत हिस्सा बनाती हैं। प्याज, आलू और टमाटर जैसे प्रमुख सब्जियों की कीमतों में काफी उछाल आया है, जिसने शाकाहारी थाली की महंगाई को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

- प्याज: प्याज की कीमतों में सालाना आधार पर 53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि का मुख्य कारण प्याज की कम आवक और उच्च मांग है। इसके अतिरिक्त, मानसून के दौरान फसल उत्पादन पर प्रभाव ने भी प्याज की कीमतों को प्रभावित किया है।

- आलू: आलू की कीमत में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके पीछे का कारण मुख्यतः उत्पादन में कमी और बाजार में आपूर्ति की कमी है। आलू एक ऐसा प्रमुख सब्जी है जिसका उपयोग लगभग सभी शाकाहारी व्यंजनों में होता है, जिससे इसकी महंगाई का सीधा असर शाकाहारी थाली पर पड़ता है।

- टमाटर: टमाटर की कीमतों में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसका मुख्य कारण भारी वर्षा और फसल में आई क्षति है। टमाटर की बढ़ती कीमतें उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गई हैं, क्योंकि यह आमतौर पर भारतीय खाने का एक आवश्यक हिस्सा होता है।

नॉन-वेज थाली की कीमतों में कमी
रिपोर्ट के अनुसार, नॉन-वेज थाली की कीमतों में कमी का मुख्य कारण ब्रायलर चिकन की कीमतों में कमी है। ब्रायलर की कीमतों में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो नॉन-वेज थाली की कुल लागत का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के निदेशक-शोध, पुशन शर्मा ने बताया, “ब्रायलर की कीमतों में कमी के कारण नॉन-वेज थाली की लागत में पिछले साल की तुलना में कमी आई है।” यह गिरावट उपभोक्ताओं के लिए राहत का कारण बन रही है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो मांसाहारी भोजन का सेवन करते हैं।

दालों की कीमतों का असर
दालों की कीमतें भी शाकाहारी थाली की लागत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दालों की कीमतें पिछले वर्ष उत्पादन में कमी के कारण 14 प्रतिशत बढ़ गई हैं। इसके अलावा, इस वर्ष प्रारंभिक स्टॉक में कमी के कारण भी दालों की कीमतों में वृद्धि हुई है। दालें भारतीय खान-पान का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, और इनकी बढ़ती कीमतें शाकाहारी थाली की कुल लागत को और बढ़ा रही हैं।

ईंधन की लागत में गिरावट
इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ईंधन की लागत में 11 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल सितंबर में 14.2 किलोग्राम के LPG सिलेंडर की कीमत 903 रुपये थी, जो इस साल मार्च में घटकर 803 रुपये हो गई। ईंधन की लागत में आई इस गिरावट ने थाली की कुल लागत में वृद्धि को रोकने में मदद की है। ईंधन की कीमतों में गिरावट का असर रसोई के खर्चों पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है।

भविष्य की संभावनाएँ
पुशन शर्मा ने आगे बताया कि "हमें उम्मीद है कि खरीफ की फसल की आपूर्ति बाजार में आने के बाद प्याज और आलू की कीमतों में मामूली सुधार होगा।" हालांकि, कम आपूर्ति के कारण टमाटर की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं। उपभोक्ताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे खाद्य पदार्थों की कीमतों में होने वाले परिवर्तनों पर नज़र रखें। आने वाले महीनों में बाजार की स्थितियों के आधार पर खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को अपनी खरीदारी की आदतों पर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है।

इस प्रकार, हालिया रिपोर्ट दर्शाती है कि सब्जियों की कीमतों में हुई वृद्धि के कारण शाकाहारी थाली की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है, जबकि नॉन-वेज थाली की कीमतों में कमी आई है। यह स्थिति भारतीय घरों के बजट पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को अपनी खरीदारी की आदतों पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। आने वाले दिनों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में होने वाले परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए।

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