Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 31 Mar, 2025 12:05 PM

भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण चेहरे और पूर्व विधि एवं न्याय मंत्री गिरीश नारायण पांडेय का निधन हो गया। उन्होंने लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में अंतिम सांस ली। खास बात यह है कि उनकी पत्नी का भी एक दिन पहले ही निधन हुआ था।
नेशनल डेस्क: भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण चेहरे और पूर्व विधि एवं न्याय मंत्री गिरीश नारायण पांडेय का निधन हो गया। उन्होंने लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में अंतिम सांस ली। खास बात यह है कि उनकी पत्नी का भी एक दिन पहले ही निधन हुआ था। गिरीश नारायण पांडेय रायबरेली के सरेनी थाना क्षेत्र के शिवपुर गांव के निवासी थे। उनके निधन से राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। गिरीश नारायण पांडेय का नाम भारतीय राजनीति में तब सुर्खियों में आया जब उन्होंने 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के खिलाफ गवाही दी थी। इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और इंदिरा गांधी की जीत को उनके विरोधी राजनारायण ने कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले की सुनवाई जज जगमोहन लाल सिन्हा कर रहे थे।
गवाही के कारण छिन गई थी इंदिरा गांधी की सांसदी
मुकदमे के दौरान गिरीश नारायण पांडेय ने इंदिरा गांधी के खिलाफ महत्वपूर्ण गवाही दी थी। कहा जाता है कि कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने उन्हें इस गवाही से रोकने के लिए लालच और दबाव दिया था, लेकिन उन्होंने सत्य का साथ नहीं छोड़ा। उनकी गवाही के बाद जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध करार दिया और उनकी सांसदी छीन ली। इस फैसले के बाद इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था।
आपातकाल के दौरान जेल में बिताए दिन
जब देश में आपातकाल लागू हुआ तो गिरीश नारायण पांडेय को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। 3 जुलाई 1975 की रात डेढ़ बजे पुलिस ने उनके घर पर दस्तक दी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पहले उन्हें लालगंज कोतवाली लाया गया और फिर रायबरेली भेज दिया गया। उन पर सशस्त्र विद्रोह कर तख्ता पलटने की साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया। उनकी गिरफ्तारी की जानकारी उनके परिवार को भी कई दिनों तक नहीं दी गई थी। पांच महीने बाद उन्हें एक महीने की पैरोल मिली और फिर 11 महीने बाद हाईकोर्ट से जमानत पर रिहाई मिली।
आपातकाल के बाद बने विधायक और मंत्री
आपातकाल खत्म होने के बाद गिरीश नारायण पांडेय ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का करीबी माना जाता था। 1991 में भाजपा ने उन्हें रायबरेली से टिकट दिया और वह दो बार विधायक बने। कल्याण सिंह सरकार में उन्हें विधि एवं न्याय मंत्री का पद दिया गया। हालांकि, राम मंदिर आंदोलन के चलते कल्याण सिंह सरकार गिर गई, जिससे वह अधिक समय तक मंत्री नहीं रह सके।